shabd-logo

शिक्षक और समाज निर्माण

5 सितम्बर 2022

19 बार देखा गया 19

नमस्कार दोस्तों आज'' शिक्षक दिवस ''है ,आज ही के दिन ''डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन ''का भी जन्म दिवस भी  है। वो शिक्षक ,जो एक राष्ट्र का निर्माण करने की भी क्षमता रखता है। माता -पिता बालक के प्रथम गुरु होते हैं ,उसके पश्चात ,बच्चे के विकास में ,एक श्रेष्ठ शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान होता है। शिक्षक ही बच्चे के जीवन पर अपने व्यक्तित्व का प्रभाव डालता है। अपने व्यवहार और अपनी शिक्षा द्व्रारा उसके जीवन को प्रभावशाली बना देता है। शिक्षक बच्चे पर तभी अपनी छाप छोड़ सकता है। जब उसका अपना  व्यक्तित्व और ज्ञान प्रभावशाली हों। 



शिक्षक अथवा गुरु का स्थान ,हमेशा से ही पूज्यनीय रहा है ,चाहे वो सतयुग ,द्वापर ,त्रेता अथवा कलयुग ही क्यों न हो ?गुरु आध्यात्मिक हों या सांसारिक ,वे अपने ज्ञान द्वारा ऐसे चरित्र का निर्माण करता है ,जो आगे चलकर ,समाज निर्माण में सहायक होता है। वो ऐसा तभी कर सकता है ,जब स्वयं चरित्रवान और ज्ञानी हो अपनी गरिमा को बनाये रखे। 

गुरुकुल के समय में ,माता -पिता और छात्र ,गुरु पर सब न्यौछावर कर देते थे ,उन्हें मालूम था -कि गुरु जो भी कहेंगे अथवा करेंगे उनके हित  में ही होगा। आज के समय में गुरु भी बदले हैं और लोगों की सोच भी। आज के गुरु शिक्षा दान की अपेक्षा व्यापारी बन गए हैं। शिक्षा दान करना ,पहले पूण्य और धर्म का कार्य था किन्तु आज शिक्षा मात्र ,धन संचय का माध्यम हो गयी है। उसी तरह ,शिक्षा भी प्रभावहीन हो चली है। 

आजकल बच्चे शिक्षा गृहण ,ज्ञान के लिए नहीं वरन कक्षा में आगे बढ़ने के लिए करते हैं ,पहले हम जो भी पढ़ते थे ,हमें सालों -साल स्मरण रहता था किन्तु आज के समय में ,क्लास पास करते ही ,पिछले वर्ष का सब भूल जाते हैं, क्योंकि वो ये शिक्षा समझकर नहीं रटकर पास करते हैं। इस समय तो हालात ये हैं ,कि अधिक से अधिक प्रतिशत लाने  की होड़ रहती है। हो भी क्यों न ?आगे क्लास में दाख़िला मिलने में परेशानी जो आती है और अपने शिक्षक की तरह ही अच्छे व्यवसायी बन सकें नंदिनी ने अपना सुझाव दिया। 

आज के समय में ,शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण नहीं ,धन संचय रह गया है। इस आधार पर ''जैसा गुरु ,वैसा चेला ''कहावत चरितार्थ होती दिखलाई  देती है , कंचन बोली।

ऐसा नहीं कि ,जीवन यापन के लिए ,गुरु को धन की आवश्यकता नहीं किन्तु विद्या के प्रति वो समर्पण भाव न ही शिक्षकों में ,न ही छात्रों में दिखलाई पड़ता है क्योकि छात्र भी तो उनके जीवन से प्रभावित होकर ऐसा ही व्यवहार करते हैं नंदिनी कहती है। 

पहले समय में कोई बच्चा पढ़ाई में कमजोर या फिर ग़रीब होता था ,तब शिक्षक उन्हें मुफ़्त शिक्षा देते थे किन्तु आज जितना प्रसिद्ध अध्यापक उतना ही ज्यादा शुल्क। आजकल तो शिक्षा का भी स्तर [स्टेट्स ]बन गया है ,जितने भी महंगे विद्यालय में डालिये ,उन्हें ही सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। शिक्षा दान करना ,पहले गर्व की बात थी किन्तु आज तो शिक्षक भी तभी बनते हैं ,जब अन्य स्थान पर कहीं रोज़गार न मिल रहा हो। शिक्षक के बच्चे भी शिक्षक नहीं बनना चाहते। वे भी ,कोई अभियंता ,या फिर डॉक्टर या फिर किसी बड़ी कम्पनी में ,जाना चाहते हैं। किन्तु वे ये बात नहीं समझ पाते ,जिस जगह पर आज वो हैं किसी न किसी  शिक्षक की बदौलत ही हैं। चाहे शिक्षा पद्धति में ,अथवा गुरु -छात्रों के रिश्ते में कितने भी परिवर्तन आ जाएँ किन्तु गुरु का महत्व कम नहीं हो जाता है। आज भी कुछ अध्यापक ऐसे हैं ,जो शिक्षा जगत के लिए ,समर्पित हैं। आज भी गुरु अपनी गरिमा को कायम रखे हुए हैं ,जो'' समाज निर्माण'' में सहायक हैं।   


मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा आपने बहन 👌🙏

7 अगस्त 2023

15
रचनाएँ
आलेख
0.0
हमारे जीवन में अथवा समाज में हम कुछ ऐसा देखते या सुनते हैं जिन पर कई बार हम सहमत होते हैं और कई बार सहमत नही होते तब उस विषय पर हमारे विचार हमारी सोच उसके पक्ष या विपक्ष में हमें लिखने पर बाध्य कर देती है। कई बार किसी चीज की जानकारी हम लेख द्वारा ही जान सकते हैं या किसी को जानकारी दे भी सकते हैं। अपने विचारों से किसी को अवगत कराना चाहेंगे तब भी लेख ही ऐसा माध्यम है। उन विचारों से कुछ लोग सहमत हो सकते हैं, कुछ सहमत नहीं हो सकते सभी की अपनी अपनी सोच है। किसी को बाध्य नही किया जा सकता किंतु अपने लेखों द्वारा दूसरे व्यक्ति तक अपने विचार पहुंचाए अवश्य जा सकते हैं। अपनी समीक्षाओं द्वारा उन विचारों पर अपना मत सकते हैं।
1

शिक्षक और समाज निर्माण

5 सितम्बर 2022
1
1
1

नमस्कार दोस्तों आज'' शिक्षक दिवस ''है ,आज ही के दिन ''डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन ''का भी जन्म दिवस भी  है। वो शिक्षक ,जो एक राष्ट्र का निर्माण करने की भी क्षमता रखता है। माता -पिता बालक के प्रथम गुर

2

शिक्षक और समाज निर्माण

5 सितम्बर 2022
3
0
2

नमस्कार दोस्तों आज'' शिक्षक दिवस ''है ,आज ही के दिन ''डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन ''का भी जन्म दिवस भी  है। वो शिक्षक ,जो एक राष्ट्र का निर्माण करने की भी क्षमता रखता है। माता -पिता बालक के प्रथम गुर

3

हवेली का रहस्य (भाग १)

15 अक्टूबर 2022
0
0
0

कामिनी ,हाँ !ये ही तो नाम है ,अंगूरी देवी की छोटी बहु का। वो एक पढ़ी -लिखी ,समझदार लड़की है ,अंगूरी देवी का बेटा भी पढ़ा -लिखा अफसर है। निहाल सिंह ,किन्तु कामिनी तो उसे निहाल ही कहती है । अंगूरी दे

4

सकारात्मक, नकारात्मक सोच

20 अक्टूबर 2022
1
0
1

सोच तो सोच ही होती है ,चाहे वो'' नकारात्मक ''हो या ''सकारात्मक'' ! हम सोचते नहीं -कि हमें कब और क्या सोचना है ?वरन परिस्थितियों के आधार पर हमारी सोच स्वतः ही परिवर्तित हो जाती है। कहने और सुनने में आत

5

माँ

14 मई 2023
1
0
0

माँ ,वो ही तो मुझे इस दुनिया में लाई है। उसी ने तो ,ये रंगीन दुनिया दिखलाई है। माँ ,ने ही तो ,मेरे जैसी 😇 रचना रचाई है। उसी ने रीति -रिवाज़ों की सीख़ सिखलाई है।धन्य है ,वो माँ जिसने ये द

6

आध्यात्म

8 अगस्त 2023
0
0
0

मानव ,जब इस संसार में अपनी आँखें खोलता है ,तब उसे समाज ,रिश्ते ,प्रकृति और इस संसार की रंगीनियां नजर आती हैं, और वो इन सबमें अपने को उलझा लेता है। कुछ लोग इस संसार के मोह से शीघ्र ही ,बाहर आ जाते हैं।

7

मातृत्व!

1 सितम्बर 2023
2
1
2

एक लड़की ,जब तक अपने घर में है ,तब तक उसका रिश्ता ,बहन ,बेटी ,बुआ के रिश्तों से जुडा होता है। विवाह के पश्चात ,लड़की से औरत के रूप में ,उसकी पद्दोन्नति होती है ,इसके साथ ही ,उससे नए रिश्ते बनते और जु

8

प्रॉमिस डे!

17 दिसम्बर 2023
0
0
0

करता रहा ,अपने आप से वादा, जिंदगी में सफल बनने का, ना सोचा था -यह वादा आज इस तरह सताएगा।'' जी का जंजाल'' बन जाएगा। वादे की खातिर कोई रिश्ता ना रहा। आज पहुंचा, जिस मक़ाम पर ,कोई अपना ना रहा। वादा बहुत क

9

इज्जत!

19 दिसम्बर 2023
0
0
0

इज्जत यानी सम्मान ! मान ,मर्यादा !आदर ! प्रतिष्ठा ! आबरू !सम्मान !हमें किस तरह से प्राप्त होता है ? पैसे से, उम्र से, या हमारे रुतबे से , कभी-कभी हम, अपने बाहुबल या धन के जोर पर किसी को दबा देते हैं

10

गुमशुदा नोट

7 जनवरी 2024
0
0
0

जीवन सुचारु रूप से चल रहा था, सब कुछ सही तो था। अचानक ही ऐसी घोषणा सुनकर, सब हतप्र्भ रह गए। सबकी जुबां पर एक ही सवाल था -यह कैसे हो गया ? यह क्या कर दिया ? किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था , सबके दिलो

11

कश्मीर की सैर

24 जनवरी 2024
0
0
0

आओ !कहीं वादियों में खो जाते हैं, प्रकृति की सुंदरता का अनुभव करते हैं। ऐसी प्रकृति जहां पर स्वर्ग का आभास हो। सुंदर-सुंदर,मनभावन पुष्प खिले हों , झील का किनारा हो, लोगों का रहन-सहन भी अलग है और शिका

12

सोशल मीडिया

27 जनवरी 2024
0
0
0

सोशल मीडिया ,के माध्यम से, लोगों से मिलने और उनसे जुड़ने का आपको मौका मिलता है किन्तु वो कौन लोग हैं ?जिन्हें कुछ को हम जानते भी हैं और कुछ को नहीं जानते हैं। किन्तु'' सोशल मीडिया'' के माध्यम से जानने

13

सहज सपने

2 अप्रैल 2024
1
0
0

सहज, सरल सपना, सिर्फ निद्रा में ही,बंद आँखों से देखे जा सकते हैं और नींद में ही पूर्ण हो सकते हैं। नींद में तो न जाने, हम राजा भी बन जाए, कठिन से कठिन कार्य पूर्ण कर दें। सोते हुए ,ये सपने बड़े हसीन

14

आधा सच

7 अप्रैल 2024
0
0
0

आधा सच ''हो या ''आधा झूठ'', यह एक फरेब है ,मानव को उलझाने का , न ही उसे वास्तविकता का पता चल पाता है, उस ''अधूरे सत्य'' को लिए घूमता रहता है। मीठे और धीमे विष की भांति ही 'अधूरा सत्य' है किंतु पूर्ण

15

घोड़े की सवारी

30 अप्रैल 2024
0
0
0

घुड़सवारी ''बीते जमाने की बात हो गई है , 'घुड़सवारी 'और ''हाथी की सवारी'' शाही सवारी मानी जाती थी। शाही लोग ही, इनका अधिकतर प्रयोग करते थे। सामान्य जन भी घोड़े की सवारी का आनन्द ले लिया करते थे। राज

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए