राम कृष्ण का देश है ये,
केवट को गले लगाया जाता है
प्यार का मूल्य है यहां,
सबरी माता के जूठे बेरों को खाया जाता है
हर कोई ज्ञानी हो सकता,
वाल्मीकि रामायण की रचना करते हैं
राम छत्रिय होकर भी,
भगवान बाल्मीकि की चरण बन्दना करते हैं
गरीबी-अमीरी का भेद नहीं,
मित्र सबसे ऊपर होता है
गरीब सुदामा के दुःख देख,
कान्हा फूट-फूट कर रोता है
ज्ञानी कोई भी हो यहां,
सदैव सम्मान पाता है
यदुवंशी भगवान श्री कृष्ण को,
हर घर में पूजा जाता है
माता सबरी के मंदिर में,
सब जाके शीश निभाते है
माँ कर्माबाई के चरणों में,
सब मिलकर श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं