पिछले भाग में अपनें पड़ा अमन शिखा की कॉल डिटेल ,लोकेशन वगैरह की रिपोर्ट रचित को बताता हैं।इधर चित्रा सुमन के फोन में उसकी कल रात की फोटो देख लेती हैं जिसमें सुमन ने मॉडल शिखा की गायब हुई ड्रेस पहनी हैं, चित्रा के पूछने पर सुमन बताती है कि ये ड्रेस उसे उसके बॉयफ्रेंड सुन्दर ने दी है,चित्रा को याद आता है कि सुन्दर नाम के ही एक शख्स ने शिखा को आखरी कॉल भी की थी।उधर रचित साउथ एक्सटेंशन मेट्रो स्टेशन के सारे सी.सी.टी. वी. फुटेज देख लिए हैं यहीं शिखा की लास्ट लोकेशन शो हो रही थी।
अब आगे
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हैप्पी बर्थडे टू यू ,हैप्पी बर्थडे डियर चित्रा हैप्पी बर्थडे टू यू
रात के बारह बजते ही निशा बर्थडे सॉन्ग गाते हुए चित्रा के गले लग गई और बर्थडे सॉन्ग में सुमन दीपक और शकुन्तला ने भी निशा का साथ दिया। शकुन्तला एक छोटा- सा चॉकलेट केक ले आई ,निशा ने उस पर कैण्डल जला दी
"अब देखती ही रहेगी या केक काटेगी भी" निशा बोली
"ये केक तूने बनाया हैं न "चित्रा निशा को देखते हुए बोली
"सुबह ही बना लिया था अब अपनी बेस्ट फ्रेंड के लिए इतना तो कर ही सकती हुँ" निशा उसके गालो को पकड़ कर बोली
"आ,आ छोड़ मेरे गाल अब क्या केक के बदलें गाल लेगी" चित्रा चिल्लाते हुए बोली
"चल केक काट अब जल्दी से" निशा चित्रा के गाल छोड़ते हुए बोली
चित्रा ने केक काटा और सबसे पहले एक टुकड़ा निशा की ओर बढ़ाया निशा ने मुँह खोला और चित्रा ने अरे... ये क्या चित्रा ने केक निशा के मुँह में नहीं डाला बल्कि उसके गालों पर मसल दिया।
"चित्रा की बच्ची ठहर तू, मैंने इतनी मेहनत से केक बनाया और इसे मुझ पर ही लगा रही है" निशा चित्रा के पीछे दौड़ी चित्रा इधर उधर भागती रही
"अरे भई हम भी हैं हमें भी तो केक खिलाओ या लगाओ" सुमन नाराजगी दिखाते हुए बोली
चित्रा ने उस पर भी केक लगा दिया। सब एक दूसरे पर केक लगाने लगे ।शकुन्तला सब को देखकर मुस्करा रही थी ,तभी अचानक से उसकी आँखो से आंसू भी छलक पड़े ,उसने झट से उन्हें पोंछ लिया और बर्तन हटाने लगी लेकिन उसके छलक आए आँसुओ को चित्रा ने देख लिया था
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अगली सुबह चित्रा जल्दी ही उठ गई थी उसे रचित को कल रात वाली सुमन की बातें रचित से शेयर करनी थी।
"क्या बात हैं आजकल मैडम जल्दी उठ जाती है" निशा चाय का कप पकड़वाते हुए बोली
"हाँ यार वो थोड़ा रचित से मिलने जाना हैं" चित्रा चाय का कप थामते हुए बोली
"रचित से मिलने... ओह हो तभी वरना तो महारानी सुबह कोल्ड टी ही लेती थी गर्म चाय तो भूल ही गई थी" निशा चिढ़ाते हुए बोली
"चल अब मुझे ज्यादा चिढ़ा मत हाँ, वो बस मेरा दोस्त हैं" चित्रा चाय का घूंट भरते हुए बोली
चित्रा चाय खत्म करके फटाफट बाथरूम की ओर बढ़ गई। कल मैगजीन वाली बात उसके दिमाग से फिलहाल निकल चुकी थी। चित्रा बाथरूम से बाहर आई तो निशा वही टेबल पर नाश्ता लगा रही थी।
"तु आ गई चल अब फटाफट नाश्ता कर ले ,तु जल्दी में हैं इसलिए मैंने नाश्ता यही मंगवा लिया" निशा चित्रा को देख कर बोली
"इसे कहते हैं अच्छी दोस्त" चित्रा बोली
"सुन शाम को रचित के घर जाने से पहले हम वृद्धा आश्रम चलेंगे बहुत टाइम से मैं जा नहीं पाई और आज तेरा बर्थडे हैं तो बुजुर्गो का आशिर्वाद तो लेना ही चाहिए" निशा बोली
"तुझे ये शौक भी हैं मुझे तो तेरे बारें में कुछ पता ही नहीं हैं यार" चित्रा ने कहा
"कभी कभी चली जाती हुँ, अच्छा लगता हैं उनके साथ बैठना उनकी हेल्प करना,अनाथ आश्रम भी जाती हुँ बच्चों के साथ खेलकर अपना बचपन याद आ जाता" निशा ने बताया
"अरे मेरी फ्रेंड तो छुपी रुस्तम निकली यार, आज से तु जब भी वृद्धाआश्रम या अनाथाश्रम जाएगी मुझे बस बता दियो मैं पक्का तेरे साथ आऊंगी" चित्रा बोली
"ठीक हैं बाबा जरूर बताऊंगी ,अब नाश्ता कर ले" निशा नाश्ते की तरफ देखते हुए बोली
चित्रा ने नाश्ते की तरफ देखा और बोली " तु तो मुझे मोटा करके ही चैन लेगी"
"क्यों भाई ऐसा मैंने क्या कर दिया"
"कल कचौड़ी फिर रात को केक अब ये मोमो और चाट और मीठे में गुलाब जामुन "ये सब खाकर मैं पतली तो होने से रही
"तेरा बर्थडे हैं न और मैं कौन सा रोज तुझे ये सब खिलाने वाली हुँ,और ये सब तेरी मनपसन्द चीजे हैं तु कब से इनके लिए मना करने लगी" निशा बोली
"मना कौन कर रहा हैं भई वो भी मोमो और गुलाब जामुन के लिए, मैं तो बस मोटा होने की बात कर रही हुँ"
"चल अब खा ले,और ये बॉटल भी ले जाना इसमें मैंने जूस पैक कर दिया हैं दोपहर में ले लियो"
"ओके बॉस " चित्रा ने कहा नाश्ता फिनिश करके वो जाने लगी और जाते जाते बोली
"शाम को मिलते हैं ओके"
"ओके-ओके" निशा बोली
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पुलिस स्टेशन में
रचित सी.सी.टी.वी की फुटेज ऑन करके बैठा ही था तभी चित्रा केबिन में दाखिल हुई।
"क्या चल रहा हैं ,कहाँ तक पहुँची बात" चित्रा बोली
"सी.सी.टी.वी फुटेज चल रहा हैं और बात शुरू हो तब तो कहीं पहुँचे" रचित ने जवाब दिया
"मतलब" चित्रा बोली
"मतलब तुम्हारें सवाल का जवाब दिया हैं मैने, अब तक किसी सुन्दरी से मैंने बात ही नहीं कि तो पहुँचे कहाँ" रचित मुस्कराता हुआ बोला
"मैं केस की बात कर रही हुँ" चित्रा बोली
"अच्छा मुझे लगा शायद .... अरे आज तो तुम्हारा 1st बर्थडे हैं ,विश यू ए वैरी हैप्पी बर्थडे"
"थैंक यू, पर मेरा गिफ्ट कहाँ हैं"
" इस सी.सी.टी.वी. में देखो"
"क्या,मेरा गिफ्ट इसमें हैं"
"नहीं रे पुष्पा ,इसमें तो सिर्फ शिखा हैं लेडीज़ टॉइलेट में जाती हुई बात वापस आती हुई नहीं हैं" रचित राजेश खन्ना स्टाइल में बोला
चित्रा फुटेज देखने लगी ।तभी दीपक भी वहाँ आ गया
"आओ दीपक बैठो" रचित कुर्सी की ओर इशारा करके दीपक से बोला
चित्रा ने नजरें घूमा कर दीपक को देखा उसे कुछ समझ नहीं आया
"तुमनें बुलाया तो आ गया ऐसी क्या बात हैं जो तुमनें मुझे यहाँ बुला लिया" दीपक रचित से बोला
"कुछ खास नहीं बस तुमसे कुछ पूछना था" रचित बोला
"मुझसे... किस बारें में " दीपक ने पूछा
"कल तुम साउथ एक्स्टेंशन क्यूँ गए थे" रचित ने दीपक से आँखे मिलाते हुए पूछा
"मैं ऐसे ही कुछ काम था" दीपक थोड़ा सा घबरा गया
"तुम वहाँ निशा का पीछा करते हुए गए ,पर क्यों तुम निशा का पीछा क्यों कर रहे थे" ये चित्रा ने पूछा था
"निशा का पीछा" रचित हैरान होते हुए बोला
"हाँ ये देखो ये निशा हैं, निशा के पीछे ही दीपक यहाँ आया और उस पर नजर रखने लगा जब निशा टॉइलेट से बाहर आई तो दीपक थोड़ा पीछे हो गया और फिर निशा के पीछे ही चला भी गया", चित्रा फुटेज दिखाते हुए बोली
"तुम ,निशा का पीछा कर रहे थे पर क्यों" रचित अब भी हैरान था
"वो... क्योंकि मुझे उस पर शक था मतलब हैं" दीपक हिचकिचाते हुए बोला
"कैसा शक "रचित दीपक की आँखो में आँखे डाल कर बोला
चित्रा भी दीपक की तरफ ही देख रही थी
"मैं जानना चाहता था कि वो ऐसा क्या काम करती हैं जिससे उसे इतने पैसे मिलते हैं" दीपक बोला
"कितने पैसे " इस बार चित्रा ने पूछा
"तुम...तुम्हें कुछ नहीं पता क्या" दीपक थोड़ा हैरानी से चित्रा को देखते हुए बोला
"क्या नहीं पता" चित्रा ने पूछा
"कैसी फ्रेंड हो तुम"दीपक बोला
"तुम अपनी बात पूरी करों" रचित दीपक से बोला
"घर का सारा सामान निशा ही लाती हैं साथ में हर महीनें पापा को कुछ रुपये भी देती हैं,इसके अलावा खुद की जरूरत का भी सब कुछ हैं उसके पास और....." बताते हुए दीपक रुक गया
"और.... और क्या बात पूरी करो दीपक" रचित बोला चित्रा की नजरें भी दीपक पर ही टिकी थी
"और वो नौकरानी उसे भी निशा न जाने कहाँ से लाई हैं ,जब से आई हैं तब से कभी अपनें घर नहीं गई न ही कभी कोई जिक्र करती हैं मैं कभी कुछ पूछता हुँ तो कहती हैं निशा दीदी ने बताने से मना किया हैं" दीपक ने बात पूरी की
"सर सुन्दर को ले आया हुँ" तभी अमन ने आकर बताया
और चित्रा को ध्यान आया कि उसे सुमन और उस ड्रेस के बारें में भी तो रचित को बताना हैं लेकिन दीपक के सामने उसे ये ठीक नहीं लगा
"दीपक तुम यही रुको हम अभी आते है"रचित उठते हुए चित्रा को साथ चलने का इशारा करके बोला
रचित और चित्रा दोनो केबिन से बाहर आ गए।
"रचित मुझे तुम्हें एक बात बतानी हैं " चित्रा बोली
"बोलो " रचित चित्रा को देखते हुए बोला
चित्रा ने अपना मोबाईल रचित की ओर बढ़ा दिया जिसमे सुमन की फोटो थी जो चित्रा ने कल रात सुमन के फोन से अपनें फोन में ले ली थी। फोटो देखकर रचित चित्रा को देखते हुए बोला
"ये तो सुमन हैं इस ड्रेस में ये ड्रेस सुमन के पास कहाँ से आई"
"मैंने पूछा था सुमन से उसने बताया उसके बॉय फ्रेंड ने गिफ्ट की हैं जिसका नाम हैं सुन्दर" चित्रा ने बताया
"सुन्दर.... कहीं ये सुन्दर वही सुन्दर तो नहीं ,शिखा को आखरी कॉल भी इसी ने की हैं,लगता हैं तीर निशाने पर जा रहा हैं" रचित बोला
दोनों उस लॉकअप में पहुँच गए थे जहाँ सुन्दर को बिठाया गया था,सुन्दर अपनें नाम के अनुरूप ही सुन्दर नवयुवक था।
"तो तुम ही हो सुन्दर " रचित उसके सामने जाकर बोला
"जी...मेरा ही नाम हैं सुन्दर पर मैंने किया क्या हैं" सुन्दर घबराया हुआ सा बोला
" सर का एक हाथ पड़ेगा न तो सब याद आ जायेगा जो किया हैं वो भी और जो नहीं किया वो भी" विशाल तपाक से बोला
"जो किया ही नहीं हैं वो कैसे याद आयेगा" अमन थोड़ा कड़क स्वर में विशाल से बोला
"मैं तो ऐसे ही .....
"एकदम खामोश रहो सर को उनका काम करने दो" अमन विशाल को डांटते हुए बोला ।विशाल मुँह पर अंगुली लगा कर खड़ा हो गया
"शिखा कहाँ हैं "रचित ने सुन्दर से पूछा
"कौन शिखा "
"तो तुम शिखा को जानते ही नहीं हो"
"देखिये सर अगर आप उस मॉडल शिखा की बात कर रहे हैं तो मैंने उसे सिर्फ मैगजीन में ही देखा हैं"
"तो तुम ऐसे नहीं बताओगे" रचित गुस्से से बोला
"मैं सच कह रहा हुँ सर"
"परसों तुमनें उसे कॉल क्यों की थी" रचित बोला
"सर मैंने .... मेरे पास तो उसका नम्बर ही नहीं हैं और मैं क्यों कॉल करूँगा उसे"
रचित ने कई बार पूछा पर सुन्दर का एक ही जवाब था उसने शिखा को कोई कॉल नहीं की । फिर सुमन का जिक्र आया
"तुमनें सुमन को एक ड्रेस गिफ्ट की थी, वो ड्रेस तुमनें कहाँ से ली"रचित ने पूछा
"अब ये सुमन कौन हैं सर मैं किसी सुमन को नहीं जानता" सुन्दर बोला
"शिखा को तुम कॉल करते हो उसे मिलने बुलाते हो पर तुम शिखा को नहीं जानते, सुमन को तुम ड्रेस गिफ्ट करते हो पर उसे जानते नही हो, सारे काम तुमसे अनजाने में ही होते हैं क्या" रचित बोला
सब कुछ जानने समझने के बाद चित्रा के मन में उथल-पुथल मची हुई थी जो कुछ भी हो रहा था उससे उसे दूसरे ही संकेत मिल रहे थे ।
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"हैलो निशा तु अभी घर आ जा, तु आ जा फिर बताती हुँ" चित्रा घर आ गई थी और निशा को कॉल लगा कर घर बुला लिया था उसके दिमाग में शक का एक कीड़ा कुलबुला रहा था वो बस उसे दूर करना चाहती थी मन ही मन भगवान से दुआ कर रही थी कि उसके सारे शक झूठे हो ।
निशा हाँफती हुई सी घर पहुँची चित्रा को बेचैनी से टहलता देखकर वो बोली
"क्या हुआ तु ठीक तो हैं न ,इस तरह घर क्यूँ बुलाया" निशा अपनी सांस ठीक करते हुए बोली
"ये क्या हैं ,क्यों हैं" चित्रा निशा को वो सारी मैगजीन दिखाते हुए बोली जो चित्रा को बाथरूम की अलमारी से मिली थी
"क्या मतलब हैं तेरा" निशा मैगजीन की तरफ देखकर बोली
"मेरा मतलब तु अच्छे से जानती हैं" चित्रा गुस्से में थी
"नहीं मैं नहीं जानती तेरा मतलब,कहना क्या चाहती है तु" निशा भी थोड़ा चिल्लाकर बोली
"इन सारी मैगजीन में जगह जगह पर पेज खाली क्यूँ हैं" चित्रा उसी गुस्से में बोली
"ये तु मुझसे क्यूँ पूछ रही हैं मैगजीन वालों से पूछ" निशा नजरें चुराते हुए बोली
"निशा अब इतनी भी अंजान मत बन"
"तु कहना क्या चाहती हैं "
"तु मुझे मेरी दुनिया में वापस भेज दे" चित्रा बोली
"ये..ये तु क्या कह रही हैं" निशा हैरान नजरों से चित्रा को देखती हुई बोली
"मैं बिल्कुल सही कह रही हुँ ,मुझे नहीं रहना ऐसी दुनिया में जहाँ तेरे जैसे खुदगर्ज इंसान रहते हैं"
"क्या कहा तूने मैं खुदगर्ज हुँ"
"हाँ तु खुदगर्ज हैं,मतलबी हैं,धोखेबाज हैं"
"मैं तुझे अपना दोस्त मानती रही और तु ऐसा सोचती हैं मेरे बारें में"
"मत बुला मुझे अपनी दोस्त, तुझ जैसी दोस्त दुश्मन की भी न हों, तु सिर्फ अपनी सोचती हैं उस दिन भी तूने अपनें मतलब के लिए मुझे तस्वीर से बाहर निकाला और फिर चाची को तस्वीर में डाल दिया, मुझे भी डाल दे किसी तस्वीर में ताकि तुझ जैसी दोस्त से मेरा पीछा छूटे" चित्रा गुस्से में निशा को धक्का देते हुए बोली
और निशा ने भी गुस्सें में चित्रा को धक्का दे दिया चित्रा मैगजीन पर जा गिरी
🙏आगे की कहानी अगले भाग में🙏