आप पढ़ चुके हैं निशा जो कि एक अनाथ लड़की हैं अपने दूर के चाचा-चाची के साथ रहती हैं। एक दिन एक तस्वीर पर हाथ फेरते ही उस तस्वीर से एक लड़की चित्रा,निशा के सामने आ जाती हैं कुछ दिन चित्रा निशा के साथ ही रहती है एक दिन रचित उसे वहाँ देख लेता है और अपने घर ले जाता है । इधर निशा की चाची उसी पोस्टर में समा जाती है जिसमें से चित्रा बाहर आई थी । उधर चित्रा को रचित के अंकल अपने साथ ले जाते हैं ।
रचित पुलिस इंस्पेक्टर बन चुका हैं और चित्रा वकालत में अपना कैरियर की शुरुआत कर रही है। चित्रा रचित से बोलती हैं कि निशा का व्यवहार उसे कुछ बदला हुआ लग रहा हैं रचित को भी ऐसा ही लगता हैं चित्रा को डर है कहीं निशा कुछ गलत न कर रही हो इसलिए निशा के कहने पर वो उसी के साथ रुक जाती है। इधर रचित के पास एक अजीब केस आता हैं एक उभरती हुई मॉडल ने कम्प्लेंट की हैं कि"ब्यूटी" मैगजीन में उसकी विदाउट ड्रेस फोटो छपी हैं जबकि उसने ऐसा कोई फोटो शूट नहीं करवाया है। उस फोटो को लेकर खासा सनसनी फैली हुई हैं। रचित मैगजीन के सम्पादक से मिलता है सम्पादक उर्वशी का कहना है वो खुद इस फोटो से हैरान है और निजी तौर पर इसकी जांच कर रही हैं । रचित चित्रा को इस केस के बारें में बताता हैं चित्रा उसे उस ड्रेस का पता लगाने को कहती हैं जो मॉडल ने पहनी थी ।
अगली सुबह रचित चित्रा को फोन कर के बताता हैं कि वो मॉडल शिखा भी गायब हो चुकी हैं
अब आगे
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"ये तुम क्या कह रहे हो सुबह सुबह भांग पी ली या कुछ और पी लिया है" चित्रा बोली
"तभी कहता हुँ जरा दुनिया की भी खबर रखा करों, सारी दुनिया को पता हैं बस तुम्हें ही नही खबर" रचित ने कहा
"क्या सच में शिखा गायब हो गई है" चित्रा अब भी हैरानी से बोली
"मेरी बातों पर विश्वास नहीं है तो न्यूज चैनल ही देख लो" रचित ने कहा
चित्रा ने टी. वी. ऑन किया लगभग सभी चैनल पर एक ही न्यूज थी आखिर शिखा गई कहा
"पर ये सब कैसे हो गया"चित्रा उसी हैरानी से बोली
"ये तो मुझे नही मालूम ,लेकिन उसके घर वालों का शक मैगजीन पर ही है"
"मैं अभी तुम्हारें पुलिस स्टेशन पहुँचती हुँ" चित्रा बोली
"मैंने तुम्हें इसलिए ही फोन किया था, तुम आ जाओ फिर साथ में जांच पड़ताल करते है" रचित बोला
"ओके मैं पहुँचती हुँ" चित्रा फोन रख कर जल्दी से उठती है
"अरे क्या बात हैं आज तुम जल्दी उठ गई" निशा बाल पोंछते हुए वाशरूम से बाहर आती हुई बोली
"बाद में बताती हुँ" कहती हुई चित्रा वाशरूम में घुस गई
वाशरूम बहुत छोटा था पुराने समय का था चित्रा ब्रश कर रही थी बहुत जल्दी में थी नहाने के लिए शैम्पू देखा तो शीशी में शैम्पू नहीं था
"इसे भी अभी खत्म होना था" कहती हुई चित्रा इधर उधर टटोलने लगी
एक दीवार से सटी हुई अलमारी पर उसकी नजर पड़ी उसे खोल कर देखा शैम्पू की शीशी उसे मिल गई
"अच्छा हुआ मिल गई " शीशी निकाल कर चित्रा बोली
चित्रा फटाफट नहाकर वाशरूम से बाहर आ गई
"अरे-अरे इतनी जल्दी में कहा" निशा चित्रा को देख कर बोली
"मुझे रचित से मिलने जाना हैं" चित्रा फटाफट बालों पर कंघी फेरते हुए बोली
"नाश्ता"
"वो मैं वही कुछ खा लूंगी"
"अरे लेकिन मैंने तेरी फेवरेट कचौरिया बनवाई हैं"
"कचौरी, थैंक यू पर अभी देर हो रही हैं" कचौरी के नाम पर चित्रा थोड़ा रुककर बोली
"तु दो मिनट वेट कर मैं आती हुँ"
"ओके" कहकर चित्रा हाथ में घड़ी पहन लेती हैं, अपना फोन जीन्स की जेब में डालते हुए घड़ी पर नजर डालती हैं
"ले दोनों वही खा लेना तुम दोनों की ही फेवरेट है न" निशा एक लिफाफा पकड़ाते हुए बोली
"ये हुई न बात, वैसे कही मेरे जरिये ये कचौरिया रचित तक तो नहीं पहुँचाई जा रही है" चित्रा शरारती मुस्कान के साथ बोली
"पहुँच तो रही है रचित तक ,लेकिन जैसा तु सोच रही हैं वैसा कुछ नहीं है,और तुझे ऐसा ही लग रहा हैं तो ला वापस दे" निशा कचौरी के थैले की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली
"नहीं -नहीं अब तूने पैक कर ही दी हैं तो ले जाती हुँ रचित के लिए" कहकर चित्रा बाहर को दौड़ गई
"आज से फिर कभी तेरे लिए कचौरी नहीं बनेगी" निशा पीछे से चिलाती हुई बोली
"उसके लिए तो बनेंगी" चित्रा बाहर जाते-जाते हंसकर बोली
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पिछली शाम
"हैलो कौन बोल रहा हैं" शिखा फोन पर बोली
"मैं चाहे जो भी हुँ आपको उससे मतलब नहीं होना चाहिए" फोन पर आवाज आई
"क्या,क्या मतलब हैं तुम्हारा" शिखा बोली
"मैगजीन में छपी हुई आपकी फोटो का पूरा सच पता हैं मुझे,इसलिए मुझे आपसे मिलना हैं " फोन से बोला गया
"तो तुम...तुम पुलिस के पास क्यों नहीं गए" शिखा थोड़ा से घबराते हुए बोली
"पुलिस से ज्यादा मुझे आपसे बात करना ठीक लगा इसलिए" फोन वाले ने कहा
"तो तुम घर आ जाओ"शिखा बोली
"नहीं घर नहीं , आपको आना होगा"
"कहाँ"
"घबराइये नहीं,पब्लिक प्लेस पर ही आना हैं"
"कब -कब आना हैं"
"अभी आ जाती तो ठीक होता"
"ठीक हैं मुझे एड्रेस सेंड कर दो"
"ठीक हैं जरा जल्दी करना"
शिखा जल्दी जल्दी में घर से निकल गई
इधर उसके घर वाले उसके लिए परेशान थे,रात भर उसका फोन लगाते रहे लेकिन फोन स्विच ऑफ था, अपने परिचितों से पूछ चुके थे सारी रात उसकी खोजबीन की जब उसका कुछ पता नहीं चला तो पुलिस स्टेशन जाकर मैगजीन के खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दी
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इधर सुमन(निशा के चाचा की बेटी) अपनी किसी फ्रेंड के भाई की शादी में इंजॉय कर रही थी उसने गाऊन जैसी एक जामुनी रंग की ड्रेस पहनी थी गले में सुन्दर सा मोतियों का नेकलेस और साथ में मैचिंग इयरिंग्स थे सभी उसकी तारीफ कर रहे थे
"यार ये ड्रेस बड़ी सुन्दर हैं कहाँ से ली"एक फ्रेंड ने पूछा
"सुन्दर ड्रेस सुन्दर ने ही गिफ्ट की हैं" सुमन मुस्कराते हुए बोली
"ओह तेरा बॉयफ्रेंड, हमें भी मिलवा न उससे, हम भी तो देखे नाम से ही सुन्दर हैं या चेहरे से भी हैं" दूसरी फ्रेंड हँसते हुए बोली
"मरी क्यूँ जा रही हो वक्त आने दो मिलवा दूंगी" सुमन बोली
"हाय और वो वक्त कब आयेगा" पहली फ्रेंड बोली
"वो वक्त भी वक्त आने पर ही आयेगा" सुमन मुस्कराते हुए बोली
"सही कहा हैं लोगों ने लोग इश्क में शायर हो जाते हैं" दूसरी फ्रेंड बोली
"हाँ सुमन को देख कर लग भी रहा हैं" पहली फ्रेंड बोली और तीनों खिलखिला कर हंस दिए
"वैसे तेरा भाई क्या कर रहा हैं आजकल" पहली फ्रेंड ने सुमन से पूछा
" अभी अभी कोई कम्पनी जॉइन की हैं, पर उसे वो जॉब पसन्द नहीं है" सुमन बोली
"हाय तेरे भाई को कहाँ कुछ पसन्द आता हैं, हम तो कुँवारे ही मरेंगे ऐसा लगता हैं" दूसरी फ्रेंड बोली
"तू मेरी भाभी बनने के सपने मत देख फ्रेंड हैं फ्रेंड ही बन के रह" सुमन बोली
"हाय-हाय मर जांवा,मेरी ननद का तो गुस्सा भी सिर आँखो पर" सुमन को चिढ़ाते हुए उसकी दूसरी फ्रेंड बोली
"तुम दोनो ठहरो अभी , जब भैया मुझे लेने आएंगे तब देखती हुँ तुम्हारी ये हरकतें ,आज तो भैया को बता ही दूंगी ,मेरी ये दोनों फ्रेंड मरती हैं तुम पर" सुमन भी उन्हें डराने के अंदाज में बोली
"अरे न बाबा हम तो बस यूही बोल रहे थे"दोनों फ्रेंड एक साथ बोली
सुमन को जोर से हंसी आ गई तभी उसका मोबाईल बजा
"हैलो भैया अच्छा आप आ गए ठीक हैं मैं अभी आती हुँ" समन फोन पर बोली
"अभी तो हम भगवान से कुछ और मांगते तो वो भी हमें मिल जाता" एक फ्रेंड बोली
"बाज नहीं आओगी न तुम, मैं तो चलती हुँ" सुमन जाते जाते बोली
"जा-जा और सुन हमारी तरफ से भैया को ..... दोनो की बात अधूरी ही रह गई सुमन जा चुकी थी
"अरे ये बाइक किस की ले आए" सुमन बाहर आकर अपने भाई से बोली
"अपनें एक दोस्त से ले आया, अब इतनी रात को हम ऑटो कहाँ ढूढ़ते फिरते"दीपक बाइक स्टार्ट करते हुए बोला
"अच्छा,ये ठीक किया तुमनें"सुमन बोली
",चल बैठ जा अब, वैसे मुझे लगता हैं मैं फालतू में निशा का पीछा करता हुँ" दीपक बोला
"क्यों कुछ हाथ नहीं लगा" सुमन बाइक पर बैठते हुए बोली
"उसका पता नहीं लेकिन तेरे पीछे लगूंगा तो कुछ न कुछ तो जरूर हाथ लगेगा" दीपक बोला
"मेरे पीछे क्यों" सुमन चौंकते हुए बोली
" हर बार नए कपड़े,महंगी ज्वेलरी जो पहनती हैं तु"दीपक मुस्कराते हुए
"फिर भी तुम्हारें हाथ कुछ नहीं लगेगा" सुमन भी मुस्कराते हुए बोली
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"क्या हुआ बताओ अब" चित्रा रचित के पुलिस स्टेशन पहुँचते ही बोली
"अरे वकील साहिबा थोड़ा धीरज रखिए पहले बैठिए पानी पी लीजिए,और मुझे लगता है आप जल्दी में नाश्ता भी नहीं कर के आई ,ठहरो मैं कुछ मंगवाता हुँ" रचित बोला और इससे पहले वो कुछ मंगवाता चित्रा ने उसे रोक लिया
"जल्दी क्या हैं इंस्पेक्टर साहब, मैं नाश्ता लेकर आई हुँ आपकी फेवरेट कचौरी" चित्रा भी उसी के अंदाज में बोली
"अरे वाह कचौरी, लगता हैं वकील साहिबा का दिल इस पुलिसिये पर आ रहा हैं" रचित शरारत से बोला
"कचौरी तो मैं अपने लिए लाई हुँ, मैंने ऐसा तो नहीं कहा आपके लिए लाई हुँ, आपके सामने बैठकर मैं इनका स्वाद लूंगी" चित्रा भी उसी शरारत से बोली
"इतना सितम न कीजिए "
"तो आप भी लाइन पर आ जाइए"
"बिल्कुल आ गया मैं लाईन पर तो अब "
"तो अब कचौरी खाइये" चित्रा ने कचौरी रचित की तरफ बढ़ा दी
"लीजिए हवलदार साहब आप भी खा लीजिए" चित्रा वही खड़े विशाल से बोली
"मैं कैसे" विशाल थोड़ा हिचकिचाते हुए बोला
"खा लो विशाल ,वकील साहिबा दे रही हैं" रचित के कहने पर विशाल ने कचौरी ले ली
"हाँ अब बताओं क्या हुआ" चित्रा कचौरी फिनिश कर के हाथ धोते हुए बोली
"क्या बताऊँ बुरा हाल हैं,सो कर उठता हुँ तो नींद नहीं आती,खाने के बाद भूख नहीं लगती"
"मैं तुम्हारी नहीं केस की बात कर रही हुँ"
"अच्छा मुझे लगा मेरे हाल चाल पूछ रही हो"
"तुम्हारें हाल तो दिख ही रहे हैं, चलो अब ये बताओं मॉडल कब और कैसे गायब हुई"
"आज सुबह ही शिखा के पेरेंट्स रिपोर्ट लिखवाने आए थे, उन्होंने तो सीधा सीधा मैगजीन वालों पर आरोप लगाया हैं"
"आरोप की वजह"
"वजह और क्या होगी,वही मैगजीन में छपी फोटो के लिए जो उन्होंने कम्प्लेंट की थी, उसी को मुख्य वजह बता रहे हैं, उनका मानना हैं कि मैगजीन की उस कम्प्लेंट से बड़ी किरकिरी हुई हैं इसलिए उन्होंने शिखा को ही गायब कर दिया हैं"
"कब से गायब हैं शिखा "
"कल शाम से, शिखा को कोई कॉल आई और घर से निकल गई तब से अब तक उसकी कोई खबर नहीं"
"क्या पता अपनी किसी फ्रेंड या रिलेटिव के घर गई हो"
"उनका कहना हैं उन्होंने सब से पूछ कर चेक कर लिया है, वो कही नहीं है, और उसका फोन भी लगातार स्विच ऑफ जा रहा हैं"
"ये मॉडल फेमस हुए बिना ही इतने कारनामें कर रही हैं अगर फेमस हो जाती तो.... विशाल ने बात अधूरी छोड़ दी क्योंकि रचित उसे घूर कर देख रहा था
"हमारा काम लोगों की सुरक्षा हैं वो लोग चाहे आम हो या फेमस,समझे" रचित उसे डपटते हुए बोला
"जी सर"
"वैसे याद हैं कल तुमनें कहा था एक ड्रेस की ही तो बात हैं ,हम दे देते हैं अब पूरी मॉडल गायब हैं, बोलो तुम्हें भेज दे उसकी जगह उसके घर" रचित विशाल से बोला
"तुम तो भेज दोगे और ये महाशय चले भी जाएंगे, पर क्या शिखा के परिवार वाले इसे शिखा मान लेंगे ,मूंछो वाली शिखा" चित्रा की बात सुनकर पहले तीनों ने एक दूसरे को देखा फिर खिलखिला कर हंस पड़े
"चलो अब शिखा के घर जाकर थोड़ी पूछताछ हो जाए" रचित बोला
"हाँ चलो"चित्रा उठते हुए बोली
"विशाल तुम्हें भी चलना हैं, घबराओ मत तुम्हें वहाँ शिखा की जगह नहीं लेनी मेरे साथ चलना है" रचित मुस्करा कर बोला
"क्या सर आप भी" विशाल बोला
तीनों पुलिस स्टेशन से निकल गए
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शिखा के घर पर
"कैसे आना हुआ इंस्पेक्टर शिखा के बारे में कुछ पता चला" मि0 अरोड़ा बोले
"उसी बारे में थोड़ा पूछ-ताछ करने आए है"रचित बोला
"आप तो हमारे ही सिर पर आकर बैठ गए, मैगजीन वालों को पकड़ कर उनसे पूछिए कहाँ हैं हमारी शिखा" मि 0 अरोड़ा बोले
"देखिये हमें अच्छे से पता हैं हमे कब क्या और कैसे करना हैं, और आपसे थोड़े सहयोग की उम्मीद रखते हैं" रचित थोड़ा कड़क स्वर में बोला
"पूछिए क्या पूछना हैं" मि0 अरोड़ा रूखे स्वर में बैठते हुए बोले
"शिखा किस वक्त घर से निकली थी" रचित ने पूछा
"5-6 के बीच शाम का समय था" मि0 अरोड़ा ने बताया
"आपने खुद उसे जाते हुए देखा था"रचित ने फिर से सवाल किया
"हाँ उस वक्त मैं बाहर लॉन में बैठा शाम की चाय के साथ न्यूज पेपर पढ़ रहा था"
"तो आपने उसे रोकना या पूछना जरूरी नहीं समझा, कि इस वक्त वो कहाँ जा रही हैं"
"वो अक्सर ही वॉक के लिए जाती थी तो मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया,वैसे भी जब से उसके साथ मैगजीन वाला हादसा हुआ वो कुछ परेशान सी थी , वॉक करने से उसका मन फ्रेश हो जायेगा ये सोच कर भी मैं कुछ नहीं बोला"
"मिसेज अरोड़ा उस वक्त कहाँ थी"
"वो उस वक्त अंदर ही थी"
"इस वक्त वो कहाँ हैं"
"ऊपर कमरें में हैं कल शाम से उसने कुछ खाया नहीं है और आज सुबह से ही कमरें से बाहर भी नहीं आई हैं,वो कहती हैं जब तक शिखा नहीं आ जाती उसे न तो कुछ खाना हैं न ही किसी से बात करनी हैं" मि0 अरोड़ा भावुक होते हुए बोले
"हम समझ सकते हैं,आप भी थोड़ा धीरज रखिये, क्या हम उन से मिल सकते है" रचित ने मि0 अरोड़ा को ढांढस देते हुए कहा
"जी" कहकर मि0 अरोड़ा ने अपनी नौकरानी से कहा
"सरोजनी साहब को ऊपर कमरें में ले जाओ"
"जी साहब" नौकरानी ने सिर हिलाया
"एक सवाल और मि0 अरोड़ा" रचित उठकर वापस बैठते हुए बोला
"जी पूछिए"
"आपने पुलिस स्टेशन में बताया था कि कोई कॉल आई थी उसके बाद शिखा घर से निकली थी,किसकी कॉल थी कुछ पता हैं"
"जी नहीं इस बारें में भी कुछ नहीं पता"
"आपको ये कैसे पता चला कि कोई कॉल आई थी"
"सरोजनी ने बताया था" मि0 अरोड़ा अपनी नौकरानी की तरफ इशारा करते हुए बोले
"तो मैं अब इनसे भी कुछ सवाल करना चाहूंगा" रचित ने बोला
"आप जारी रखिए मैं सुमित्रा को बुला लाता हुँ"मि0 अरोड़ा उठते हुए बोले
"हाँ तो तुम्हारें साहब का कहना हैं तुमनें शिखा की कॉल के बारें में उन्हें बताया था"
"जी मैंने ही बताया था"
"क्या बताया था"
"जी"
"तुमनें साहब को क्या बताया था वही सब अब मुझे बताओ,बल्कि विस्तार से बताओं तुमने क्या सुना,देखा"
" जी जब मैडम फोन पर बात कर रही थी तब मैं वही थी" नौकरानी रुक कर रचित को देखने लगी
"बोलती रहो मैं सुन रहा हुँ"
"फोन पर मैडम ने घबराई हुई आवाज में कहा ,'तुमनें पुलिस को क्यों नहीं बताया' फिर मैडम ने एड्रेस भेजने को कहा और चली गई" नौकरानी चुप हो गई
रचित ने चित्रा और विशाल की तरफ देखा फिर नौकरानी की तरफ देखते हुए बोला
"इतनी ही बात हुई थी फोन पर"
"जी साहब"
"तुम उस वक्त वहाँ क्या कर रही थी"
"जी मैं मैडम को कॉफी देने गई थी"
"और उसी वक्त मैडम का फोन आ गया ,तुम रुक कर फोन सुनने लगी" रचित पैनी निगाहों से देखते हुए बोला
"जी,जी नहीं" सरोजनी घबराकर बोली
"फिर इतनी देर तक तुम वहाँ क्या करती रही"
" वो मैडम ने अपनीं अलमारी से पुराने कपड़े अलग करने को बोला तो मैं वही कर रही थी"
"अच्छा को कर दिये"
"जी"
"अरे अलमारी से पुराने कपड़े अलग कर दिये "
"जी नहीं "
"क्यों" रचित सरोजनी पर नजरें गड़ाते हुए बोला
"जी वो मैडम चली गई थी न"
"तो मैडम के जाते ही तुम्हारा काम खत्म,फोन सुनने तक ही तुम्हारा काम था,नहीं"
"जी वो" सरोजनी रचित के पूछने के तरीके से घबरा गई
"हाँ बोलो तुमनें मैडम का बताया हुआ काम क्यों नहीं किया"
"मैडम ने ही मना कर दिया था"
"क्यो" रचित आँखे फैलाते हुए बोला
"जब वो नहीं होती हैं तो अपना कमरा लॉक करके जाती हैं,उनके पीछे उनके कमरें में जाने की इजाजत नहीं हैं"
"अच्छा" रचित चित्रा की तरफ देखते हुए बोला
तभी मि0 अरोड़ा सुमित्रा को लेकर वही आ गए
"आप लोगों को कुछ खबर लगी मेरी शिखा की" मिसेज सुमित्रा अरोड़ा तीनों पर सरसरी आस भरी नजर दौड़ते हुए रचित से बोली,उनकी आँखे सूजी हुई थी शायद रात भर सो नहीं पाने के कारण और कुछ शिथिल भी लग रही थी
"जल्द ही हम पता लगा लेंगे मिसेज अरोड़ा,बस आप की थोड़ी मदद चाहिए" रचित बेहद नर्म स्वर में बोला
मि0 अरोड़ा ने अपनी पत्नी को सोफे पर बैठा दिया और खुद भी वही बैठ गए
"आप लोगों के लिए कुछ मंगवा दू" मि0 अरोड़ा बोले
"जी बिल्कुल चाय और साथ में पोहे हो तो ठीक रहेगा" चित्रा तपाक से बोली
रचित हैरानी से चित्रा को देखने लगा मि0 अरोड़ा भी थोड़े हैरान हुए
"सरोजनी सबके लिए चाय और पोहे का इंतजाम करो" मि0 अरोड़ा नौकरानी से बोले
सरोजनी किचन में जाकर चाय और पोहे बनाते हुए मन ही मन बड़बड़ाने लगी," हमारी मैडम गायब हैं और इनको पोहे खाने हैं, सही कहते हैं लोग पुलिस वालों के पास दिल नहीं होता
बाहर रचित ने मिसेज अरोड़ा से कुछ सवाल पूछे
"जब शिखा घर से बाहर गई ,तब आप कहाँ थी" रचित ने पूछा
"मैं उस वक्त यही थी बाहर लॉन की तरफ जा रही थी " मिसेज अरोड़ा बोली
"तो मतलब अपनें शिखा को जाते हुए देखा"
"जी"
"आपने पूछा नहीं कि वो कहाँ जा रही हैं"
"पूछा था वो बहुत जल्दी में थी ,उसने इतना ही कहा कि वो आकर बताएगी, और फिर निकल गई"
तभी सरोजनी चाय और पोहे ले आई
"सुमित्रा पोहे ले लो तुमनें कुछ भी नहीं खाया हैं कम से कम पोहे तो खा लो" मि0अरोड़ा अपनी पत्नी से बोले
"मैंने कहा न आपसे जब तक मेरी शिखा नहीं मिल जाती मैं कुछ भी नहीं खाऊँगी"मिसेज अरोड़ा बोली
"आंटी शिखा जल्द ही आपके पास होगी मेरा वादा हैं आपसे ,आप कुछ खा लीजिए सोचिए शिखा जब वापस आयेगी तो आपको इस हालत में देखकर उसे अच्छा लगेगा क्या"चित्रा मिसेज अरोड़ा के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए बोली
"कैसे खा लूँ उसके बिना" मिसेज अरोड़ा भीगी पलकों के साथ बोली
"उसके बिना नहीं उसके लिए खाना पड़ेगा" कहते -कहते चित्रा ने पोहे से भरा चम्मच मिसेज अरोड़ा के मुँह पर लगा दिया ।मिसेज अरोड़ा की आँखो से आँसुओ की धारा बह निकली चित्रा के इस अपनेपन को वो न नहीं कह पाई और उन्होंने मुँह खोल दिया
"ये हुई न बात" चित्रा ने पोहे खिलाते हुए कहा।बाकी सब इस दृश्य को चुपचाप देख रहे थे मि0 अरोड़ा की आँखो में भी आंसू भर आये थे।
दो चार चम्मच पोहे खाने के बाद मिसेज अरोड़ा चित्रा से चम्मच लेते हुए बोली "अब तुम भी खा लो तुम्हारी चाय ठंडी हो रही हैं"
सबने चाय नाश्ता किया । रचित ने अपनी प्लेट नीचे रखते हुए मि0 अरोड़ा से कहा" एक बार मैं शिखा का रूम देखना चाहूँगा"
"सरोजनी इन्हें शिखा का रूम दिखा दो" मि0 अरोड़ा अपनी नौकरानी से बोले
"विशाल तुम यही रुको ,चित्रा तुम साथ चलो शायद कुछ हाथ लगे" रचित बोला , फिर चित्रा और रचित सरोजनी के पीछे शिखा के कमरें की तरफ चल दिए
"साहब यही हैं शिखा मैडम का कमरा" कमरें में आकर नौकरानी बोली
"हमें शिखा की वार्डरोब दिखाओं जिसमें शिखा के सारे कपड़े हैं" चित्रा बोली
"ये है साहब ,मैडम के सारे कपड़े यही पर है"एक अलमारी खोलते हुए नौकरानी बोली
चित्रा और रचित ने एक सरसरी नजर अलमारी पर दौड़ाई कुछ कपड़ो को उलट-पुलट कर देखा थोड़ी देर देखने के बाद रचित ने पूरे कमरें में नजर दौड़ाई फिर नौकरानी से पूछा "तुमनें जामुनी रंग की कोई ड्रेस मैडम के पास देखी कभी"
"अभी तो नहीं शायद इस रंग की ड्रेस" नौकरानी सोचते हुए बोली
"मतलब पहले थी"इस बार चित्रा ने पूछा
"पता नहीं मैडम इतना तो याद नहीं है मुझे"
"चलो चित्रा, चलते हैं" रचित बोला
चित्रा और रचित हॉल में आ गए पीछे पीछे नौकरानी भी आ गई
"मि0 अरोड़ा हम चलते हैं "रचित बोला
"हमारी बेटी को जल्दी ढूंढ लीजिये इंस्पेक्टर" इस बार मि0 अरोड़ा बहुत ज्यादा नर्म थे
"हम पूरी कोशिश कर रहे हैं" रचित बोला
फिर तीनों वहाँ से बाहर निकल आए विशाल तुम शालिनी बुटीक जाओ और वहाँ से ड्रेस ले आओ। हम मैगजीन की प्रिंटिंग प्रेस से होकर आते हैं" रचित गाड़ी में बैठते हुए बोला
"ओके सर" विशाल बोला
" प्रिंटिंग प्रेस ,वहाँ क्यूँ" चित्रा ने गाड़ी में बैठते हुए पूछा
"भागते भूत की लँगोटी पकड़ने की कोशिश कर रहा हुँ" रचित बोला
"मतलब"चित्रा हैरानी से बोली
"मतलब अब तक एक भी सिरा हमारे हाथ नहीं लगा हैं न तो मैगजीन की फोटो के बारें में न ही शिखा के लापता होने के बारे में, अब सोच रहा हुँ एक्शन हो ही जाए"
"तो किसको दबोचने का इरादा हैं" चित्रा उसका इरादा समझते हुए बोली
"वहाँ के गार्ड को ,प्रिंटिंग में गड़बड़ हुई है तो इसमें उसका हाथ या पैर कुछ तो जरूर होगा" रचित बोला और अपने फोन से किसी को फोन लगाने लगा
"हैलो अमन तुम्हें एक काम दिया था,अच्छा हो गया ,ठीक हैं मैं थोड़ी देर में पहुँचता हुँ" रचित ने फोन डिस्कनेक्ट कर दी और गाड़ी वापस पुलिस स्टेशन की तरफ मोड़ दी।
"क्या हुआ" चित्रा ने पूछा
"कुछ खास नहीं ,गार्ड को तो वही बुला लूंगा फिलहाल पुलिस स्टेशन चल कर एक दो जरूरी काम निपटा लूँ शायद कुछ हाथ लगे" रचित गाड़ी चलाते हुए बोला
पुलिस स्टेशन पहुँच कर रचित ने विशाल को अपनी केबिन में आने को कहा और खुद भी केबिन में चला गया उसके पीछे पीछे चित्रा भी उसकी केबिन में आ गई।
हाथ में एक थैला लिए विशाल केबिन का गेट खोलते हुए बोला" सर मैं अंदर आ जाऊँ"
"आओ भई बड़ी बेसब्री से इंतजार हैं तुम्हारा" रचित बोला
"सर ये रही ड्रेस" विशाल थैला रचित की तरफ बढ़ाते हुए बोला
"ओपन करके दिखाओ भई इस अनोखी ड्रेस को "रचित बोला
"जी सर" कहकर विशाल ने ड्रेस बाहर निकाली और पूरी तरह से खोल दी। गहरे जामुनी रंग की एक बेहद खूबसूरत लॉन्ग ड्रेस सबके सामने थी।
"ड्रेस तो बहुत खूबसूरत है सर ,इसे तो चोरी करना बनता हैं" विशाल ड्रेस को देख कर बोला
"तुम पुलिसवाले हो या चोर और ड्रेस चोरी नहीं हुई हैं, प्रिंटिंग से छेड़छाड़ की गई है" रचित बोला
"सॉरी सर पर न्यूज में तो कुछ लोग ऐसा ही दावा कर रहे थे, जब उन्होंने पहले मैगजीन देखी थी तब उसमें ड्रेस थी और वो भी उस ड्रेस का रंग जामुनी ही बता रहे थे" विशाल ने अपनी बात पूरी की
रचित को याद आया चित्रा ने भी उसे ये न्यूज दिखाई थी पर ऐसा कैसे हो सकता हैं ,उसने चित्रा की ओर देखा वो ड्रेस को ही देख रही थी और कुछ खोई खोई सी थी।
"चित्रा तुम्हें क्या हुआ,तुम इस ड्रेस को इस तरह क्यों देख रही हो" रचित ने चित्रा से पूछा
"मुझे लगता हैं रचित मैंने इस ड्रेस को देखा हैं"चित्रा ड्रेस को देखते हुए ही बोली
"हाँ मैंने भी देखा हैं"विशाल बोला
"कब,कहाँ" रचित और चित्रा एक साथ बोले
"अभी अभी खोलकर तो देखा हैं हमनें "विशाल बोला
"मैं अभी की बात नहीं कर रही हुँ, मैंने इससे पहले भी देखा है इस ड्रेस को मतलब ऐसी ही ड्रेस को" चित्रा बोली
"मुझे पता हैं ,आपने कहाँ देखी हैं" विशाल फिर बोला
"कहाँ "
"उस मैगजीन में ही देखी होगी न ,जैसे बाकी लोगों ने देखी"
"तुम बाहर जाओ यहाँ से"रचित विशाल को बाहर की तरफ इशारा करते हुए बोला