अब तक आपने पढ़ा निशा एक अनाथ लड़की हैं और अपनें दूर के चाचा- चाची के साथ रहती हैं। एक रोज एक तस्वीर पर हाथ फेरते ही तस्वीर वाली लड़की उसके सामने आ खड़ी होती है जिसको निशा चित्रा कहकर बुलाती हैं, कुछ दिन निशा के साथ छुपकर रहने के बाद जब एक रोज रचित उसे वहाँ देखता हैं तो निशा अपनी तरह ही चित्रा को भी अनाथ बताती है ।रचित चित्रा को अपने साथ अपने घर ले जाता है ।इस बीच एक रोज जब निशा की चाची उसे डांट रही थी तो निशा ने उन्हें धक्का दिया और वो भी उसी तस्वीर में समा गई जिसमें से कभी चित्रा बाहर आई थी। निशा डर कर उस तस्वीर को फेंक देती हैं। चित्रा जब निशा से मिलने आती हैं तो उसे बताती है कि रचित के पापा के दोस्त ने उसे गोद ले लिया हैं और वो अब उनके ही साथ रहेगी दूसरे शहर में।
दोनों रोते हुए एक दूसरें को विदा करते हैं ।
रचित पुलिस इंस्पेक्टर बन जाता हैं ,चित्रा वकालत पूरी कर चुकी हैं और अब इसी शहर यानी दिल्ली में शिफ्ट होने का सोच रही हैं। चित्रा रचित को बताती है की निशा अजीब सी हो गई है ठीक से बात भी नहीं की उसने ,रचित भी चित्रा की बातों पर सहमति जताता हैं और कहता हैं मुझे भी ऐसा ही लगता हैं।
इधर निशा एक मॉल में जॉब करती हैं क्या जॉब हैं ये वो किसी को नहीं बताती । घर की सभी जरूरते निशा ही पूरी करती हैं साथ ही चाचा को भी एक नियमित रकम देती हैं। उसके कमरें में उसके श्रृंगार की हर चीज है । घर के काम के लिए वो एक नौकरानी न जाने कहाँ से लाई हैं।
अब आगे
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सुबह का समय था निशा मॉल जाने के लिए तैयार हो रही थी तभी घर की नौकरानी उसके कमरें में आई,करीब चालीस के आस-पास की उम्र होगी उसकी और नाम था शकुन्तला। निशा आईने के सामने बैठी अपनें बाल संवार रही थी
"दीदी" कमरें में आते ही नौकरानी बोली
"तुम, कितनी बार कहा हैं न दरवाजा खटखटा के अंदर आया करो" निशा थोड़ा गुस्सा में बोली
"वो, दीदी दरवाजा खुला था तो..." शकुन्तला थोड़ा सहम गई
"दरवाजा खुला था तो तुम दनदनाते हुए आ जाओगी क्या, और हाँ मेरा नाम निशा हैं दीदी मत बोला करो मुझें, अब खड़ी क्या हो बोलो क्या बोलना हैं" निशा अपने बाल संवारते हुए बोली
"वो, दीदी मेरा मतलब निशा जी मैं एक बार बस एक बार अपनें घर हो आऊँ" शकुन्तला थोड़ा घबराते हुए बोली
"हाँ हो आओ, लेकिन वहाँ जाकर बोलोगी क्या, बताओं" निशा उसे घूरते हुए बोली
"एक बार बस दूर से ही देख लूंगी " शकुन्तला थोड़ा आहिस्ते से बोली
"और तुम्हें किसी और ने वहाँ देख लिया तब , तब क्या करोगी , बोलो" निशा खड़ी होते हुए बोली उसने बाल बांध लिए थे पोनी टेल में एक हल्का गुलाबी टॉप और आसमानी ब्रांडेड जीन्स उसके छरहरे बदन पर खूब फब रहे थे।
"ठीक हैं नहीं जाती"शकुन्तला सिर झुका कर उदास होते हुए बोली।
"अब जाओ नाश्ता तैयार करो,मुझे देर हो रही हैं" कानों में टॉप से मैचिंग ईयररिंग्स डालते हुए निशा बोली
निशा किसी मैगजीन के बीते महीने के अंक के पन्ने पलट रही थी तभी दरवाजा खुलने की आवाज आई।
"कितनी बार कहा हैं दरवाजा खटखटा के अंदर आया करों, नाश्ता लेकर आई हो तो टेबल पर रख दो" मैगजीन के पन्ने पलटते-पलटते ही निशा बोली
"ये अच्छा हैं , पहले पता होता तो ले आती" चित्रा अंदर आते हुए बोली
"अरे तुम " निशा ने चित्रा और रचित को देख कर मैगजीन बन्द कर दी
"हाँ हम ,तुम तो जानें कहा खोई रहती हो हमनें सोचा हम ही तुम से मिल ले" इस बार रचित बोला
"हाँ वो बस टाइम नहीं मिलता" निशा अनकम्फर्टेबल होते हुए बोली
"लगता हैं पुलिस की वर्दी से डरती हैं ये बच्ची, मैं दीपक से मिल कर निकलता हुँ मुझे देर हो रही हैं तुम दोनों लगे रहो" पहले चित्रा फिर निशा की तरफ देखते हुए रचित बोला
"मेरी दोस्त किसी से भी नहीं डरती, तुम अपनी ये पुलिसगिरी अपनें पुलिस स्टेशन में दिखाना मिस्टर पुलिस" निशा के कन्धों पर अपनें हाथ रखते हुए चित्रा बोली
निशा हल्का सा मुस्कराई रचित भी मुस्कराते हुए कमरें से निकल गया
"मुझे देर हो रही हैं मैं शाम को तुझसे मिलती हुँ" निशा अपना बैग उठाते हुए बोली
"अरे ये क्या बात हुई भला कल भी तूने मुझसे बात नहीं की, आज तो मैं पूरा दिन तेरे साथ ही रहूंगी"चित्रा उसकी बाँह पकड़कर उसके कन्धे पर सिर रखते हुए बोली
"अभी मुझे जॉब पर जाना हैं मैं शाम को आकर मिलती हुँ न तुझसे" निशा बोली
"मैं भी तेरे साथ चलती हुँ न क्या प्रॉब्लम हैं " चित्रा भी जिद करती हुई बोली
"पर तु वहाँ क्या करेगी" निशा बोली
"क्या करूँगी से क्या मतलब तेरी मदद करूँगी" चित्रा भी जिद पर अड़ गई
"अच्छा ठीक है चल " निशा हार मानते हुए बोली
मेन रोड़ पर आकर निशा ने एक ऑटो किया और दोनो उसमें बैठ गए
"तुझे मेरी याद नहीं आई न ,मैं तो तुझे बहुत मिस करती थी सोचा था जब तुझ से मिलूंगी तो ढेर सारी बातें करूँगी पर तुझे तो टाइम ही नहीं है" चित्रा थोड़ा उदास होते हुए बोली
"ऐसा नहीं है यार तू अब वकील बन गई हैं और मैं वही एक मामूली सी लड़की, मामूली सी जॉब" निशा बोली
"वकील बन गई हुँ तो क्या तुझ से मेरा रिश्ता खत्म हो जायेगा तेरे लिए मैं हमेशा तेरी चित्रा ही रहूंगी जिसकी इस दुनिया में होने की वजह ही तू हैं" चित्रा निशा के हाथों में हाथ डालते हुए बोली
"चल तेरी खातिर आज काम पर जाना कैंसिल" निशा उसे प्यार से देखते हुए बोली
"सच्ची, फिर अब हम कहाँ जा रहे है" चित्रा खुश होते हुए बोली
"पहले मुझे इधर पास में ही जाना हैं फिर मैं तुझे मैट्रो से दिल्ली की सैर करवाती हुँ" निशा बोली
"वाव ,ये हुई न बात इतनी बार दिल्ली आई हुँ पर घूमी कभी नहीं" चित्रा उत्साहित होते हुए बोली
"हाँ लेकिन मेरी एक शर्त हैं " निशा थोड़ा गम्भीर होते हुए बोली
"कैसी शर्त" चित्रा आश्चर्य से बोली
"तू मुझसे कभी पूछेगी नहीं कि मैं क्या ,क्यों और कैसे कर रही हुँ" निशा उसी गम्भीरता से बोली
"ठीक हैं मुझे अपनी दोस्त की ये शर्त मंजूर हैं, पर तू भी मुझ से एक वादा कर" चित्रा निशा की आँखो में देखते हुए बोली
"किस तरह का वादा" अब निशा थोड़ा हैरान थी
"जब भी तुझे कोई परेशानी हो या तुझे लगे कि तुझे अपनें मन की बात बोलनी चाहिए तो तू मुझे बेहिचक बता देगी" चित्रा प्यार से निशा के कन्धे पर सिर रखते हुए बोली
"ठीक है" निशा उसके सिर पर अपना सिर टिकाते हुए बोली
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उधर दो दोस्त अपनी दोस्ती के वादे कर रहे थे इधर रचित एक ऐसे केस में उलझा हुआ था जिसनें पूरे देश में सनसनी फैला दी थी।
एक नया चेहरा जो मॉडलिंग में अपना भविष्य तलाश रही थी जिस चेहरे को अभी कम ही लोग पहचानते थे अचानक उसे लेकर चर्चाएं पूरे देश में गर्म थी और इन चर्चाओं ने और भी जोर पकड़ लिया जब उसके परिवार वालों ने दिल्ली की एक मैगजीन के खिलाफ पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखवाई
दरअसल दिल्ली से निकलने वाली उस मैगजीन में उस मॉडल का एक फोटोशूट था जिसमें वो सिर्फ अपनें अन्तः वस्त्रों में थी और अब उसने और उसके परिवार वालों ने कम्प्लेंट की थी कि उसने इस तरह का कोई फोटो शूट करवाया ही नहीं हैं ,जो फोटो शूट उसने करवाया हैं उसमें वो पूरी ड्रेस में थी।
कल ही उस मैगजीन जिस का नाम" ब्यूटी" था का इस महीने का अंक निकला था और आज इस कदर तहलका मचा हुआ था कि उस मैगजीन की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी।
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निशा ने ऑटो रुकवाया फिर कुछ गलियों से होते हुए एक गली के एक घर का दरवाजा खटखटाया ,करीब आठ-नौ साल की एक लड़की ने दरवाजा खोला
"अरे दीदी आप "निशा को देखकर खुश होते हुए वो लड़की बोली
"हाँ मैं , आ जाओ मेरे पास" निशा ने बाँहे फैला दी और वो लड़की उसकी गोद में आ गई उसे गोद में पकड़ कर निशा ने उसे एक डॉल दी वो लड़की बहुत खुश हुई और निशा के गालों को चूम लिया। चित्रा चुपचाप देखती रही थोड़ी देर पहले ही निशा ने उसे कुछ भी पूछने से मना जो किया था
"भैया और पापा कहाँ हैं गुड़िया" निशा ने उस लड़की से पूछा
"पापा दुकान गए हैं भैया अंदर पढ़ाई कर रहा हैं" गुड़िया बोली
"जाओ भैया को बुला लाओ" निशा उसे गोद से उतारते हुए बोली
"कौन है गुड़िया" तभी बारह-तेरह साल का एक लड़का वहाँ आया
"भैया देखो दीदी मेरे लिए एक डॉल लाई है" गुड़िया उस लड़के को अपनी डॉल दिखाते हुए बोली
"दीदी आप पापा अभी अभी दुकान से सामान लेने गए हैं"वो लड़का गोलू बोला
"कोई बात नहीं गोलू लो ये तुहारे लिए" निशा उसकी तरफ एक पैकेट बढ़ाती हुई बोली
"और ये चॉकलेट्स तुम दोनों के लिए"निशा दोनों की तरफ चॉकलेट्स बढ़ाती हुई बोली
"तुमनें मुझे पहले क्यों नहीं बताया कि हम दो क्यूट से बच्चों से मिलने वाले हैं मैं तो इनके लिए कुछ भी नहीं लाई" चित्रा गुड़िया के गालों पर हाथ लगाते हुए बोली
"कोई बात नहीं मैं तो लाई हुँ न" निशा बोली
"अच्छा ताकि ये तुम्हें ही अच्छा माने और मुझे गन्दी दीदी कहे" चित्रा थोड़ा मुँह बनाते हुए बोली
"अच्छा बाबा सॉरी अगली बार तू ही लाना, गुड़िया और गोलू ये मेरी दोस्त हैं इसे पता नहीं था कि हम तुम से मिलने वाले हैं वरना ये भी तुम्हारें लिए कुछ लाती" निशा ने पहले चित्रा फिर बच्चो से कहा
"कोई बात नही दीदी, आप दोनो ही बहुत अच्छी हो
निशा ने बैग से एक लिफाफा निकाला और गोलू को देते हुए बोली" ये पापा को दे देना"
"आप ही दे देना दीदी पापा बस आने ही वाले हैं",गोलू बोला
"मुझे देर हो रही हैं अभी चलती हुँ" निशा उसके हाथ पर लिफाफा पकड़ाते हुए बोली
निशा और चित्रा गली के बाहर आए ही थे कि सामने से एक आदमी लंगड़ाते हुए आते दिखा शायद उसके एक पैर में कोई परेशानी थी।निशा को देखते ही वो आदमी बोला"अरे निशा जी आप"
"मैं लिफाफा गोलू को दे आई हुँ" निशा उसे देख कर बोली
"आप भी रुक जाती ,मैं थोड़ा सामान लेने गया था " उसने हाथ में थैला दिखाते हुए कहा
"नहीं अभी मैं जल्दी में हुँ, फिर कभी" निशा ने कहा
दोनों वहाँ से आ गई,चित्रा इंतजार कर रही थी कि निशा उसे बताएगी,कौन थे ये लोग निशा इन्हें कैसे जानती थी और वो लिफाफा जिसमे शायद रुपये थे वो क्यूँ दिया पर निशा कुछ नहीं बोली चित्रा समझ गई निशा उसे नहीं बताना चाहती।
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सभी न्यूज चैनल पर बस एक ही खबर थी नई मॉडल शिखा के फोटोशूट की और फिर इस बात से मुकरने की उसका बयान था उसने इस तरह का कोई फोटो शूट करवाया ही नहीं था।
अलग-अलग कयास लगाए जा रहे थे कोई कह रहा था पब्लिसिटी के लिए हैं ये सब तो कोई कह रहा था मैगजीन वालो से अनबन के कारण हुआ । जितने मुँह उतनी बातें
इधर मैगजीन के सम्पादक को कुछ नहीं सूझ रहा था उसने बयान दिया था कि हम इसकी जांच करेंगे ये सब कैसे हुआ आखिर हमारी मैगजीन पर इसका असर पड़ रहा हैं ।
किसी चैनल पर ये न्यूज भी थी कि हो सकता हैं ये मॉडल शिखा और मैगजीन वालों की मिलीभगत हो। अगर शिखा ने इस तरह का फोटो शूट करवाया ही नहीं था तो मैगजीन में कैसे छप गया था।
रचित इसी मामले की पूछताछ में लगा हुआ था सबसे पहले वो मैगजीन की सम्पादक उर्वशी मल्होत्रा से मैगजीन "ब्यूटी"के बिजनेस ऑफिस में मिला।
"मैडम मैं उम्मीद करता हुँ आप पुलिस की पूरी ईमानदारी से मदद करेंगी"रचित उर्वशी से बोला
"पुलिस की मदद करना मेरे फर्ज के साथ साथ इस वक्त मेरी जरूरत भी हैं इंस्पेक्टर " उर्वशी सहज भाव से बोली
"शिखा अरोड़ा की कम्प्लेंट के बारें में आपको पता होगा ही आप मुझे खुद ही विस्तार से सब बता दीजिए"
" गलती हमारी तरफ से ही हुई हैं इंस्पेक्टर लेकिन कहाँ पर ये मैं खुद ही चेक कर रही हुँ " उर्वशी गहरी सांस लेते हुए बोली
"मतलब शिखा अरोड़ा की कम्प्लेंट एकदम सही है" रचित ने पूछा
"पूरी तरह नहीं लेकिन हाँ सच हैं उनका फोटो शूट हुआ था हमारी मैगजीन में उसकी स्टोरी लिखी गई हैं सब कुछ ठीक हैं बस उस फोटो के सिवा ,मैगजीन की एक कॉपी सबसे पहले मैं देखती हुँ उस दिन मैं कुछ जल्दी में थी फिर भी एक सरसरी नजर मैंने पूरी मैगजीन पर डाली थी उस वक्त शायद मैं उस फोटो पर ध्यान नहीं दे पाई ।अगले दिन न्यूज चैनल पर ही मैंने अपनी मैगजीन देखी थी तब मुझे खुद बहुत बाद झटका लगा था" उर्वशी बोली
"आपको क्या लगता हैं " रचित ने पूछा
"अभी मैं आपको कुछ भी ठीक से नहीं कह सकती सिर्फ इतना कह सकती हुँ ये गलती से नहीं हुआ जिसने भी किया है जानते बुझते किया हैं" उर्वशी ने बात पूरी की
"आपको किसी पर शक" रचित ने फिर पूछा
"फिलहाल तो नहीं ,मेरा सारा स्टाफ मेरे भरोसे का हैं ये काम किसी बाहर वाले का हो सकता है" उर्वशी ने कहा
"आपके हिसाब से आपके स्टाफ का कोई भी इंसान इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं" रचित बोला
"मैंने कहा न इंस्पेक्टर मेरा स्टाफ ऐसा काम नहीं कर सकता, फिलहाल मुझे तो कोई ऐसा नहीं लगता ,किसी पर शक नहीं हैं"
"तो बिना शक के आप जांच कैसे करेंगी, खैर ये हम पर छोड़ दीजिए अभी चलता हुँ जल्द ही आपके स्टाफ के लोगों से भी मुलाकात होगी"रचित उठते हुए बोला
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