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रहस्य तस्वीर का 8

14 दिसम्बर 2021

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निशा एक अनाथ लड़की है और अपनें चाचा-चाची के साथ रहती हैं ,जब निशा एक तस्वीर पर हाथ फेरती उस तस्वीर की लड़की चित्रा उसके सामने आ जाती है जिसे कुछ दिन बाद रचित अपने घर ले जाता हैं । निशा को डांटते समय उसकी चाची को धक्का लगता हैं और चाची उसी तस्वीर में समा जाती हैं जिसमें से चित्रा बाहर आई थी। उधर रचित के घर पर चित्रा को देखकर उसके अंकल उसे गोद ले लेते है। रचित अब इंस्पेक्टर बन गया हैं और चित्रा ने वकालत पूरी कर ली हैं। चित्रा  निशा से मिलने जाती हैं पहले तो निशा उससे ठीक से बात नहीं करती फिर चित्रा जब पीछे ही पड़ जाती हैं तो उसे भी अपने साथ ले जाती हैं रास्ते में निशा एक परिवार से मिलती हैं वहाँ एक आदमी को पैसे और बच्चों को खिलौने देती है लेकिन चित्रा को इस बारें में कुछ भी नहीं बताती । इधर रचित एक केस की जांच पड़ताल में लगा हुआ हैं । मॉडल शिखा का एक फोटो शूट मैगजीन में आया है जिसमे वो सिर्फ अन्तः वस्त्रों में है और उसका दावा हैं ,उसने ये फोटोशूट नहीं करवाया हैं ।इधर मैगजीन की सम्पादक से बात करने पर रचित को पता चलता हैं सम्पादक उर्वशी मल्होत्रा खुद इस बात से हैरान हैं कि इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई ,और वो निजी तौर पर इस बात की पड़ताल कर रही हैं आखिर इसमें उनकी मैगजीन की इमेज का भी तो सवाल हैं
अब आगे
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निशा और चित्रा शाम को लौटी तब काफी थक चुकी थी
निशा ने शकुन्तला से कमरें में चाय-नाश्ता लाने को कहा 
"यार इस कमरें का नक्शा ही बदल दिया तूने तो पहले यहाँ कबाड़ हुआ करता था एक साइड तो तब भी तूने साफ की हुई थी पर अब तो रंग रोगन सज सज्जा से पूरा कमरा ही बदल गया है" चित्रा पूरे कमरें को देखते हुए बोली
"हाँ तब की बात और थी ,चल मैं फ्रेश होकर आती हुँ, तू बैठ" निशा टॉवल और कपड़े लेते हुए बोली
चित्रा पूरा कमरा निहारने लगी एक दीवार पर हल्के हरे रंग का पेंट था बाकी की तीन दीवारें हल्के गुलाबी रंग की थी डबलबेड की साइड में टेबल था जिस पर निशा की तस्वीर थी ड्रेसिंग टेबल पर मेकअप का हर सामान नजर आ रहा था चित्रा उन्हें देखने लगी सभी ब्रांडेड लग रहे थे कुछ नई ब्रांड के थे तो कुछ जानी मानी ब्रांड के
"चल तू भी फ्रेश हो जा ,चाय नाश्ता आता ही होगा" निशा वाशरूम से आकर बोली
"ओके" चित्रा मेकअप किट ड्रेसिंग टेबल पर रखते हुए बोली
"और सुन कपड़े अलमारी से निकाल ले जो भी तुझे ठीक लगे आज तू यही रुक रही हैं ,आज ही क्यूँ जब तक तू दिल्ली में है यहीँ रहेगी" निशा पूरे हक से बोली
"ओके जैसी आपकी आज्ञा "चित्रा मुस्कराते हुए अलमारी की तरफ बढ़ गई, चित्रा ने अलमारी खोली ,पूरी अलमारी अलग -अलग तरह की ड्रेस से भरी हुई थी ,चित्रा ने पलटकर निशा को देखा वो अपनें फोन में बिजी थी चित्रा वापस घूमी,अलमारी को फिर से देखा सभी ड्रेसेस महंगी लग रही थी हर रंग की ड्रेस थी अलमारी में चित्रा ने पूरी अलमारी में नजर दौड़ाई अलमारी की एक साइड में घर पर पहनने वाले कपड़े थे उसने हरे रंग की टी-शर्ट और काले रंग का पजामा निकाल कर अलमारी बन्द कर दी और फ्रेश होने चली गई
"चित्रा जल्दी बाहर आ कितना टाइम लगाती हैं, चाय नाश्ता आ गया हैं जल्दी कर" निशा जोर से बोली तभी वाशरूम का दरवाजा खुला और चित्रा बालों से क्लेचर निकालते हुए बोली"आ गई बाबा, अरे वाह कचौरियां " नाश्ते की प्लेट की तरफ देखते हुए चित्रा चहक कर बोली
"हाँ मैंने ही बनवाई हैं ,मुझे पता हैं कचौरी के नाम पर तुझे आधी रात को भी भूख लग जाती है" निशा मुस्कराते हुए बोली
"हाँ ये तो तूने एकदम सही कहा" चित्रा बैठ कर कचौरी खाने लगी
"कल का क्या प्रोग्राम हैं", निशा ने कचौरी उठाते हुए कहा
"कल रचित से मिलने जाना हैं उसके पुलिस स्टेशन" चित्रा कचौरी खाते-खाते बोली
"घर पर क्यूँ नहीं" निशा ने पूछा
"अरे यार घर पर आंटी केस की बातें करने कहाँ देती हैं " वो कल किसी केस के बारें में बता रहा था पर आंटी ने टोक दिया तो..... चित्रा बात अधूरी छोड़ते हुए बोली
"ठीक हैं तू कल उससे मिल आना मैं काम पर चली जाऊँगी फिर लौट कर हम मूवी देखने चलेंगे" निशा ने अपनी चाय खत्म करते हुए कहा
" ओके ये ठीक रहेगा , रचित से भी कहूंगी मूवी के लिए" चित्रा चाय का आखरी घूंट लेते हुए बोली
"वैसे तू वापस कब जा रही हैं" रचित के नाम से निशा कुछ अनमनी सी होते हुए बोली
"अरे मैंने तुझे बताया नहीं मैं अब यही रहने वाली हुँ" चित्रा कप नीचे रखते हुए बोली
"और ये तू मुझे अब बता रही हैं" निशा आँखे फैलाते हुए बोली
"अरे मौका कहा मिला यार, रचित के साथ ही घर देखने भी जाना हैं" चित्रा बोली
"तु तो मुझ से बहुत कुछ छिपाने लगी," निशा बोली
"और तु जैसे मुझे सब बता रही है" चित्रा भी उसी अंदाज में बोली और दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े
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अगली सुबह निशा अपने काम पर चली गई चित्रा अलसाई हुई बेड पर ही पड़ी रही, निशा के जाने के बाद वो उठी  फ्रेश होकर चाय नाश्ता किया ,तैयार होकर रचित के पुलिस स्टेशन की तरफ चल दी। निशा को लेकर उसके मन में कई सवाल थे रचित से इस बारे में वो डिस्कस करना चाहती थी ,उसे डर था कहीं निशा गलत राह पर तो नहीं थी, चित्रा पुलिस स्टेशन पहुँची रचित वहाँ नहीं था ,उसने सोचा रचित के घर ही चली जाए पर वहाँ पर आंटी के सामने निशा के बारे में बात करना उसे ठीक नही लगा वो वहीं बैठ कर रचित का इंतजार करने लगी इंतजार करते हुए एक घण्टा बीत चुका था उसने घड़ी की तरफ देखा दोपहर के बारह बज गए थे इससे पहले कि वो वहाँ से उठ कर जाती रचित केबिन में दाखिल होते हुए बोला
"ज्यादा इंतजार तो नहीं करवाया वकील साहिबा को"

"करवाया तो है ,इसकी सजा भी बराबर मिलेगी"
"और सजा क्या होगी वो भी बता दीजिए"
"मेरे साथ चलकर मेरे लिए घर ढूंढने में मेरी मदद करनी होगी"
"अरे ये काम तो हम वैसे भी कर देते इसमे सजा वाली क्या बात हैं,बल्कि दो चार जगह हैं मेरी नजर में"
"अरे वाह तुम तो बहुत फास्ट पुलिस वाले हो"
"तारीफ के लिए शुक्रिया,और कोई काम हो तो कहिए"
"फिलहाल तो इतना ही बहुत हैं ,तो कब चल रहे हैं हम घर देखने"
"शाम को यहाँ से फ्री होते ही तुम्हें घर देखने ले चलूंगा, कल दोस्त के साथ खूब घूमी दूसरे दोस्त को भूलकर"
"हाँ घूमे तो बहुत पर हम दो दोस्त ही काफी थे हड्डी की जरूरत नहीं थी" चित्रा मुस्कराते हुए बोली
"ओह तो मैं हड्डी हो गया"
"अच्छा छोड़ो ये सब परसों तुम कह रहे थे एक अजीब सा केस आया हैं"
"कल उससे भी ज्यादा अजीब केस आया हैं"
"अच्छा कैसा अजीब"
"कमाल हैं जिस न्यूज ने पूरे देश में खलबली मचा दी हैं ,उसकी तुम्हें खबर तक नहीं ,लगता है दोस्त के अलावा कुछ दिखता नहीं तुम्हें"
"अब बातों को जलेबी मत बनाओ,सीधे सीधे बताओं क्या हुआ हैं"
"ठीक हैं तो सुनों" रचित चित्रा को अब तक की पूरी कहानी बताता हैं
"हैं तो सच में अजीब, मैगजीन वाले खुद इस तरह के फोटो शूट को नकार रहे हैं ।तुम्हें क्या लगता हैं ये सब जानबूझ कर किया गया है? पब्लिसिटी के लिए"
"नहीं मैं ऐसा नहीं मानता ,एक बार को मॉडल के नजरिये से देखे तो शायद वो ऐसा कर भी ले लेकिन मैगजीन वाले ऐसा हरगिज नहीं कर सकते क्योंकि वो एक साफ सुथरी इमेज वाली मैगजीन है और उसे पब्लिसिटी की भी जरूरत नहीं है, वो टॉप मैगजीन में गिनी जाती हैं"
"मुझे भी ऐसा ही लग रहा हैं,क्या लगता हैं तुम्हें मैगजीन की इमेज खराब करने के लिए किया गया है ये सब या उस मॉडल के करियर को बर्बाद करने के लिए"चित्रा ने पूछा
"इस बारे में तो अभी कुछ नहीं कह सकते ,मेरी अब तक की जांच के हिसाब से इसमें मैगजीन का हाथ तो कतई नहीं हैं"
"अच्छा फिर"
"मैं मैगजीन के संपादक, निदेशक, फोटोग्राफर सभी से मिल कर आया हुँ लेकिन कुछ खास हाथ नहीं लगा, सबका कहना यही हैं कि फोटोशूट में शिखा ने ड्रेस पहनी थी जो फोटो मैगजीन में है उस तरह की फोटो तो ली ही नहीं गई , पोज तो  वैसा ही हैं जैसा फोटोशूट के वक्त था " रचित ने बताया 
"कमाल हैं ,मैगजीन की प्रिंटिंग प्रेस में गए तुम वहाँ हो सकता हैं कुछ हाथ लगे" चित्रा बोली
"वहाँ भी काफी पूछताछ की , उनका भी वही कहना हैं जो बाकी सब का हैं,खोजबीन करने पर कुछ मिला भी नहीं" रचित बोला
"फोटोग्राफर से वो फोटो मिली जो उसने शूट की थी, " चित्रा ने पूछा
"नहीं उसने फोटो मैगजीन के लिए दे दी थी, बिजनेस ऑफिस गया था वहाँ भी वही फोटो हैं जो मैगजीन में छपी हैं, वो लोग खुद हैरान है कि असली फोटो कहाँ चली गईं" रचित बोला
"तो अब तुम्हारा आगे क्या विचार हैं "चित्रा ने पूछा
"फिलहाल तो उस बुटीक से आ रहा हुँ जहाँ वो ड्रेस डिजाइन की गई थी, वो एक ही ड्रेस थी जो स्पेशली उस फोटोशूट के लिए शिखा के लिए तैयार की गई थी "  रचित ने बताया
"मतलब वहाँ भी तुम्हारें हाथ कुछ नहीं लगा", चित्रा बोली
"फिलहाल तो ऐसा ही है, लेकिन तुमनें इन सब बातों में क्या पकड़ा वो भी बता दो" रचित शिखा को गौर से देखते हुए बोला
"मतलब" चित्रा थोड़ा चौंक गई
"मतलब कुछ हैं जो मुझसे तो छूट गया हैं लेकिन तुमनें उस पर अपनें दिमाग के घोड़े दौड़ा दिए हैं, "
"मानना पड़ेगा तुम बड़े तेज पुलिस वाले हो"चित्रा कुर्सी पर आराम से बैठते हुए बोली
"सो तो हुँ अब तुम बता भी दो तुम्हारे दिमाग के घोड़ो की दिशा" रचित ने कहा
"तो सुनो पहला तो ये क़ी बुटीक से उस ड्रेस की नकल तैयार करने को कहो ताकि ये तो पता चले आखिर ड्रेस थी कैसी,"
"और दूसरा"
"और दूसरा ये कि जो ड्रेस शिखा ने पहनी थी वो अब कहाँ हैं" 
"लेकिन इससे क्या होगा , प्रिंट में गलती कहाँ हुई या किसने की, कैसे की ये तो पता नहीं चलेगा न"
"पहले ड्रेस का अस्तित्व तो सामने आए ,तुम्हारी इस पूरी कहानी में ऐसा लग रहा हैं जैसे ड्रेस तो कभी थी ही नहीं"
"अच्छा ठीक हैं ,और कुछ", रचित ने पूछा
"हाँ मुझे उस मैगजीन की एक कॉपी दिखा सकते हो?"
"बिल्कुल अभी लो" रचित ने अपने केबिन की एक अलमारी से फाइल निकाली उसमें से मैगजीन निकाली और चित्रा की ओर बढ़ा दी"
चित्रा मैगजीन के पन्ने पलटने लगी पूरी मैगजीन पर सरसरी नजर दौड़ाने के बाद शिखा की फोटो वाले पेज को निकाल कर पढ़ने लगी
"तो कुछ नया मिला "रचित ने पूछा
"नया तो नहीं पर एक बात दिमाग में आई है" चित्रा ने मैगजीन बन्द करके रचित की तरफ बढ़ा दी
"कौन-सी बात" रचित उत्सुकता से बोला
"यही कि पुलिस वाले तुम हो तुम ढूंढो सुराग , मुझे तो अगर फिलहाल कुछ ढूंढना हैं तो वो हैं घर" चित्रा बोली
"तुम वकील लोग न बड़े अकड़ू होते हो" रचित बोला
"ऐसा ख्याल तो पुलिस वालो के लिए कायम हैं" चित्रा बोली
"सर आपने बुलाया"एक हवलदार अंदर आते हुए बोला
"आओ विशाल" रचित बोला
"तुम्हें शालिनी बुटीक जाना हैं " रचित ने विशाल से कहा 
"शालिनी बुटीक पर क्यों सर" विशाल चित्रा की तरफ देखते हुए बोला
" वहाँ तुम्हें ...... 
"रचित ये न्यूज देखो" रचित की बात पूरी होने से पहले ही चित्रा फोन रचित की तरफ बढ़ाते हुए बोली 
"यार ये क्या नया पेंच हैं ,क्या ये सब सच हैं" रचित न्यूज देख कर बोला
"कुछ लोग दावा कर रहे हैं जब मैगजीन उन्होंने ली थी तब उसमे शिखा ने ड्रेस पहनी हुई थी ,जामुनी कलर की लेकिन बाद में वो ड्रेस गायब थी" चित्रा न्यूज दोहराती हुई बोली
"ये सब तो मैं भी देख रहा हुँ पर ऐसा कैसे हो सकता" रचित बोला
" जिन-जिन लोगों ने ड्रेस में शिखा की बात की हैं सब ने यही कलर बताया हैं और कुछ लोगों ने ड्रेस देखी हैं पर ड्रेस का कलर उन्हें याद नहीं है" चित्रा फिर बोली
"ये लोग बस बात का बतंगड़ बना रहे हैं" रचित बोला
"हो सकता हैं, तुम अब वो ड्रेस ढूंढो पहले " चित्रा बोली
"हाँ पुलिस वालो का काम ही अब मॉडलों की ड्रेस ढूंढना है पता नही पहनी भी थी या नहीं" रचित बोला
"सर मैं एक बात बोलू" विशाल बोला
"तुम भी बोल ही दो जो तुम्हारें दिल में हैं" रचित ने कहा
"सर बात एक ड्रेस की ही तो हैं वैसी ही दूसरी ड्रेस दे देते है मैडम को"  विशाल बोला
"वाह क्या बात कही तुमने क्या दिमाग पाया हैं तुमने ,मेरे दिमाग में ये ख्याल क्यों नहीं आया" रचित हाथ हवा में उठाते हुए बोला । विशाल शर्माते हुए मुस्कराने लगा
"अगली बार किसी के यहाँ चोरी होगी तो उसके पैसे भी हम भर देंगे, और किसी का खून हो गया तो क़ातिल को ढूंढने की जरूरत ही नही, तुम्हें मरे हुए आदमी की जगह उसके घर भेज देंगे ,लेकिन इसमें भी एक समस्या हैं"
"वो क्या सर"
"अगर किसी लेडी का खून हुआ हो या गायब हो जाए तो तुम्हें लेडी तो नहीं बना सकते न"
"😀😀😀😀" विशाल खीसें निपोरने लगा
"मुँह बन्द करो, दूसरी ड्रेस दे दो (विशाल की नकल उतारते हुए)। कमाल के लोग हैं मेरे आस- पास" रचित विशाल को डांटते हुए बोला
"तुम्हें जो काम बताया हैं वो करों" रचित बोला
"लेकिन सर काम तो आपने बताया ही नहीं"
"ऐसा करते हैं साथ ही चलते हैं, चित्रा तुम भी चलना चाहोगी" चित्रा की ओर देखते हुए रचित बोला
"यही ठीक रहेगा ,यहां बैठकर तो वैसे भी मैं बोर ही हो जाऊँगी
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अगले दिन रचित के फोन से चित्रा की नींद खुली निशा शायद वाशरूम में थी
" हाँ बोलो रचित इतनी सुबह-सुबह क्यूँ फोन किया" चित्रा नींद में ही बोली
"अरे नींद रानी न्यूज भी देख लिया करो" रचित फोन पर बोला
"अब क्या हो गया ,ड्रेस के साथ साथ मॉडल भी गायब हो गई क्या" चित्रा नींद में ही बोली
"हाँ एकदम यही हुआ हैं" रचित बोला
"क्या " चित्रा उछल कर बैठ गई

🙏आगे अगले भाग में🙏


रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बहुत सुन्दर 👌 👌 👌

24 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

बहुत खूब

17 दिसम्बर 2021

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