0.0(0)
0 फ़ॉलोअर्स
1 किताब
कलयुग में वो प्रीत गयी हो गयी अभिलाषा पूर्ण कैकेयी तुम जीत गयी। भाई के रहते-रहते ही भरत अब सत्ता चाहता है खड़ाऊ की चाह किसे अब तुरुप का इक्का चाहता है। भाई का अनुसरण कर वन जाने की रीत गयी
औरत और इन्हे आरक्षण एक परमाणु दूसरा बम... हे सरकार मर्दो को छुपने की जगह बता दो कम से कम । अरे यह शक्ति तो.. शिव के छाती पर चढ़ जाती है.... ग्वाह है समय ---मिटाने को अधर्म... देवताओं