संजय लीला भंसाली की आने वाली फिल्म पद्मावत 25 जनवरी को रिलीज होने वाली है. मतलब करणी सेना के पास अभी 4 दिन और हैं दीपिका पादुकोण का गला काटने के लिए. लेकिन इस बार मसला करणी सेना का नहीं, सेंसर बोर्ड का है. पहले नाम बदलवाया. अब ‘घूमर’ गीत में दिख रहे दीपिका के पेट को वीडियो एडिटिंग से ढंकवा दिया है.
अब आप सोच रहे होंगे कि घूमर गीत में तो दीपिका वैसे भी गहनों और कपड़ों से लदी हुई हैं. ऐसा तो कुछ अश्लील नहीं कि ढंका जाए. मगर यहीं आप करणी सेना से मात खा जाते हैं. आपने गाने को ध्यान से देखा नहीं. साढ़े तीन मिनट के गाने में, साढ़े तीन सेकंड के लिए, दीपिका कि साढ़े तीन इंच कमर दिखी थी. उतनी ही कमर, जितनी मेरी साड़ी पहनने वाली मां की रोज दिखती है.
मगर साढ़े तीन सेकंड बहुत होते हैं. इतने में एक राजपूत अस्मिता का रक्षक साढ़े तीन हजार बार आहत होकर साढ़े तीन लाख लोगों को गाली दे सकता है. इसलिए सेंसर बोर्ड इनका ख़ास खयाल रखता है.
धर्मों और समुदायों की अस्मिता के स्वघोषित रक्षक मुझे ख़ास पसंद हैं. क्योंकि जब इन्हें लगता है कि इनकी औरतों की ‘इज्जत’ खतरे में है तो ये उसे बचाने के लिए दूसरी औरतो को चरित्रहीन और वेश्या जैसी बातें कहने लगते हैं. जैसे इन्हें लगा कि भंसाली उनकी पूज्य रानी पद्मावती को गलत तरीके से दिखा रहे हैं तो इन्होंने दीपिका पादुकोण को जान से मारने की धमकी दे दी.
खैर. बहुत अच्छा हुआ जो दीपिका की कमर ढंक दी गई. क्योंकि सिनेमा समाज का आईना होती है. उसमें कुछ गलत नहीं दिखाना चाहिए. हमें मालूम होना चाहिए हमें अपनी औरतें कैसी पसंद हैं. जैसे हमें पता होता है कि हमें हमारा खाना कैसा पसंद है. घी में या कड़वे तेल में. हमें हमारी औरतें गर्म और तड़केदार पसंद हैं. मगर अपनी थाली में. दूसरों को हम उन्हें उबालकर परोसते हैं.
इतनी सफाई से दीपिका की कमर ढंकना इस बात का परिचय है कि एडिटिंग की तकनीकें कितनी आगे बढ़ गई हैं. और हम कितना पीछे आ चुके हैं.
यह लेख लल्लनटॉप की प्रतीक्षा द्वारा लिखा गया है .