ओशो (ओशो) जिनका दूसरा नाम रजनीश चंद्र मोहन था भारत के अध्यात्मिक गुरूओं में से एक थे। उन्होंने विश्व के प्रमुख धर्मों की व्याख्या की तथा उसे विस्तृत रूप से दुनिया के सामने रखा। वे ध्यान, प्यार और खुशी को इंसान के जीवन का प्रमुख मूल्य मानते थे और उनका विश्वास था कि मनुष्य शांति तथा सत्य की खोज अपने अंदर विधिमान ईश्वर में ध्यान लगाकर कर सकता हैं।
1. इस संसार में मित्रता शुद्धतम् प्रेम है, मित्रता प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहां कुछ भी मांगा नहीं जाता,कोई शर्त नहीं होती,जहां बस दिया जाता है।
2. मनुष्य खुद ईश्वर तक नहीं पहुंचता है,बल्कि जब वह तैयार होता है तो ईश्वर खुद उसके पास आ जाते है।
3. जो कुछ भी महान है उस पर किसी का अधिकार नहीं हो सकता. और यह सबसे मूर्ख बातों में से एक है जो मनुष्य करता है – मनुष्य अधिकार चाहता है
4. किसी के साथ किसी भी प्रतियोगिता की कोई ज़रूरत नहीं है. तुम जैसे हो अच्छे हो. अपने आप को स्वीकार करो.
5. तुम जीवन में तभी अर्थ पा सकते हो जब तुम इसे निर्मित करते हो. जीवन एक कविता है जिसे लिखा जान चाहिए. यह गाया जाने वाला गीत
6. तुम्हें अगर कुछ हानिकारक करना हो तभी ताकत की जरूरत पड़ेगी. वरना तो प्रेम पर्याप्त है
7. जब भी कभी तुम्हें डर लगे,तलाशने का प्रयास करो. और तुमको पीछे छिपी हुई मृत्यु मिलेगी. सभी भय मृत्यु के हैं. मृत्यु एकमात्र भय-स्रोत है.
8. इससे पहले कि तुम चीजों की इच्छा करो,थोड़ा सोच लो. हर संभावना है कि इच्छा पूरी हो जाए,और फिर तुम कष्ट भुगतो
9. एक व्यक्ति जो 100 प्रतिशत समझदार है , वास्तव में वह मर चूका है
10. जहाँ पर भय समाप्त होता है , जीवन वहीँ से शुरू होता है