छोड़ के राहें प्यारी चाहत की,
जाने किस रास्ते पे चल निकले,
तु गलत, मैं गलत, इन्ही सब में
है खबर कितने अपने कल निकले ?
लम्हें अनमोल कितने खो बैठें,
किमती कितने अपने पल निकले ?
इतनी सिद्धत से पाले हैं नफरत,
कैसे उल्फ़त का कोई फल निकले,
एक मौका दे एक -दूजे को,
सब शिकायत की बर्फ गल निकले,
ख्वाहिशे तो फन्ना हुई; रोकें,
इस से पहले की यादें जल निकले,
चल भुला जिद, आ बैठ बात करें,
रंजिशों के तमाम हल निकले