हो जो फुर्सत तो आ के मिल ले कभी,
हर घड़ी तुझको ही बुलाता हुं,
सोचता हूँ तुझे ही मैं अक्सर,
गीत तेरे ही गुनगुनाता हुं,
तु तो मशरूफ़ दूर बैठी है,
तेरी यादों से दिल लगाता हुं,
तेरी चाहत में जो भी लिखता हुं,
तेरी तस्वीर को सुनाता हुं,
यादें देती हैं तेरी जब दस्तक,
खुद को भी मैं तो भूल जाता हुं,
बेख़बर अजनबी मेरे दिलबर,
क्या तुझे याद मैं भी आता हुं ?