हमने पूछा कि मोहब्बत का फ़साना क्या है,
उसने बोला यूँ ही कुछ पल का याराना-सा है,
दिल के बदले में जहाँ दर्द-ए-दिल हैं लेते लोग,
मन को बहलाने का बेकार बहाना-सा है,
बस किताबो में,कहानी में सिमट बैठा है जो,
लोगों की याद में इक गुजरा जमाना-सा है,
सच की धरती पे सिसक तोड़ चुकी दम कब की,
ख्वाब में आज भी उल्फ़त वो सुहाना-सा है |||