shabd-logo

राष्ट्र प्रेम

hindi articles, stories and books related to rashtra-prem


चिर आनंद हो उपवन का। सुधा सरस सी धारा बहती हो। गुंजित होता हो मधुकर के कलरव से। सुन्दर सा उपवन, चंदन से लेपित हो। तनिक प्रहर बीते, मैं शांति मन की पा लूं। हे कोकिल तुम बोलो, कहां पड़ाव मैं डालूं? जगमग

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए