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रावण दहन

17 अक्टूबर 2015

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दो पैर , दो भुजाएँ /

चौड़ी छाती, मजबूत कंधे -

बिशालकाय शरीर बनाई /

उस पर दस शीश लगाई /

पुतला निस्तेज पड़ा था /

फिर उसे सहारा दिया -

खड़ा किया /

फिर भी पुतला चुप था /

हाथों में हथियार थमाएँ /

आँखों में नफ़रत का रंग भरा /

पुतले में कोई हलचल ना हुई /

फिर भी मन ना भरा /

हाथ , पैर , पेट, पीठ ,

एक-एक अंग में बारूद भरा /

पुतला डरा, सहमा /

बारूद के जहर से कराहा /

लेकिन कुछ ना किया ना कहा /

फिर उस बारूद में आग लगा दी गई /

पुतला धूं- धूं करके जलने लगा /

अपने को बचाने के लिए /

छटपटाने लगा /

जलते बारूद बिखरने लगे /

लोगों पर गिरने लगे /

लोग जलने लगे /

गिरने -पड़ने लगे /

भागने चिल्लाने लगे /

एक दूसरे को कुचलने लगे /

अगले दिन लोगों ने कहा /

रावण, सचमुच बड़ा शैतान था /

पुतले की आत्मा ने अट्टाहास किया /

रावण बड़ा शैतान था ?

बनाया इसको -

वो क्या इंसान था ?

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दो पैर , दो भुजाएँ /चौड़ी छाती, मजबूत कंधे -बिशालकाय शरीर बनाई /उस पर दस शीश लगाई /पुतला निस्तेज पड़ा था /फिर उसे सहारा दिया -खड़ा किया /फिर भी पुतला चुप था /हाथों में हथियार थमाएँ /आँखों में नफ़रत का रंग भरा /पुतले में कोई हलचल ना हुई /फिर भी मन ना भरा /हाथ , पैर , पेट, पीठ ,एक-एक अंग में बारूद भरा /पु

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