रामेश्वरम पहुंच चिंतित हुए लक्ष्मण,कैसे करेंगे यह सागर पार;क्रोधित लक्ष्मण धनुष ताने चले,करने छोटा सागर का आकार;प्रभु राम ने शालीनता से कहा,सागर को करने के लिए विचार।हाथ जोड़ विनम्रता से सागर ने,किया प्रभु राम को प्रणाम;किया कम अपने आवे
काल विवश पति कहा न माना (मन्दोदरी ) डॉ शोभा भारद्वाज राम कथा के मंचन के बाद दशहरा के दिन हर वर्ष एक कतार में रावण के एक तरफमेघनाथ उसका महान शूरवीर प्रतापी पुत्र जिसने पुत्र का धर्म निभाते हुए पिता सेपूर्व युद्ध में शत्रू के हाथी मृत्यू का वरन किया दूसरी तरफ कुम्भकरण जिसने श्रीहरी की