काल विवश पति कहा न माना (मन्दोदरी ) डॉ शोभा भारद्वाज राम कथा के मंचन के बाद दशहरा के दिन हर वर्ष एक कतार में रावण के एक तरफमेघनाथ उसका महान शूरवीर प्रतापी पुत्र जिसने पुत्र का धर्म निभाते हुए पिता सेपूर्व युद्ध में शत्रू के हाथी मृत्यू का वरन किया दूसरी तरफ कुम्भकरण जिसने श्रीहरी की