9/9/2022
प्रिय डायरी,
आज का शीर्षक है रेल यात्रा,
रेल में यात्रा करना कितना मनमोहक लगता है नदियां, पेड़, खेत खलिहान रास्ते में सफर को मोह लेते हैं। एक स्टेशन पर खड़ी रेल कुछ देर के लिए जिनकी मंजिल आ गई वह रेल गाड़ी से उतर गए जिनको आगे बढ़ना है मंजिल अभी नहीं आयी वह बैठे ही रहे और कुछ ऐसे जहां गाड़ी रुकी वहां से अपनी मंजिल तय करते हैं।
रेल गाड़ी में बैठकर यात्रियों को अपनी वस्तुओं की देखभाल खुद ही करनी पड़ती है। वरना सावधानी हटी और दुर्घटना घटी वाली स्थिति से सामना करना पड़ सकता है। खाने पीने की चीजों पर भी ध्यान रखना पड़ता है। अपनी खाने पीने की चीजों को न किसी से बांटे और न ही किसी से ले।अगर चाय पीने का मन है या खाने का मन है तो जब गाड़ी रुके तो स्टेशन पर खरीद कर खाएं। गाड़ी में बैठे सहयात्री से न ले पता नहीं चलता कि सज्जन है या दुर्जन।
धन्यवाद
अनुपमा वर्मा ✍️✍️