मानवीय पूंजी निवेश उसके विचारों का दर्पण होता है। मानव को समाज में रहकर अपने विचारों का आदान प्रदान करना होता है ताकि वह समाज में रहकर सम्मान प्राप्त कर सके। सम्मान उसको तभी प्राप्त होगा जब शब्द भेदी बाण तीर की तरह न चलाए जो शूल बन कर चुभे।
शब्दों का इस्तेमाल बहुत ही सोच समझ कर करना चाहिए क्योंकि ये शब्द ही यथार्थ की धरातल पर उतरते हैं जो दुश्मन को भी अपना बना लेते हैं और अपने को भी दुश्मन बना देते हैं। यही सम्मान और निरादर ही हमारी पूंजी होती है जो दूसरों में हम निवेश करते हैं।