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नारी शक्ति

20 सितम्बर 2022

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20/9/2022

प्रिय डायरी,
                आज का शीर्षक है नारी शक्ति का दुरुपयोग,

नारी उस वृक्ष की भांति है जो विषम परिस्थितियों में भी तटस्थ रहते हुए राहगीरों को छाया प्रदान करता है, नारी की कोमलता एवं सहनशिलता को कई बार पुरुष ने उसकी निर्बलता मान लिया और इसलिए उसे अबला कहा किन्तु वो अबला नहीं है वो तो सबला है, पुरुष वर्ग शायद ये नहीं जानते की उसकी इसी कोमलता एवं सहनशीलता में ही मानव जीवन का अस्तित्व संभव है, क्या माँ के सिवाय संसार में ऐसी कोई हस्ती है जो उसी वात्सल्य और प्रेम से शिशु का लानन-पालन कर सके जैसे की माँ करती है, संसार में चेतना के अविर्भाव का श्रेय नारी को ही जाता है, इस में किंचित मात्रा भी संदेह नहीं है कि नारी ही वो शक्ति है जो समाज का पोषण से लेकर संवर्धन तक करती है।

वर्तमान समय में नारीयाँ एक सुयोग्य गृहणी होने के साथ- साथ राजनीति, धर्म, कानून, न्याय सभी क्षेत्र में पुरुष की सहायक और प्रेरक भी हैं, आज की नारी जाग्रत एवं सक्रिय हो गयी है वह अपने अंदर निहित शक्तियों को जानने लगी है, जिससे आधुनिक नारी का समाज में न केवल सम्मान अपितु प्रतिष्ठा भी बढ़ी है, व्यवसाय एवं व्यापार जैसे पुरुष एकाधिकार वाले क्षेत्र में जिस प्रकार महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है वो काबिले तारीफ है, इस परिपेछ्य में इंदिरा नूई , चंदा कोच्चर, चित्रा रामाकृष्णन, अनीता कपूर, अरुंधति भट्टाचार्या, आशु सुयश आदि के नाम प्रसिद्ध हैं।

प्राचीनकाल में नारी की शक्ति की पहचान अपाला, घोषा जैसी विदुषी महिलाओं से होती है ये सभी सिर्फ अपने ज्ञान के चलते ऋषिकाओ के नाम से जानी गयी, क्या करू वर्णन नारी शक्ति इतना साहस इतनी सहनशीलता रानी लक्ष्मीबाई की वीरता के बारे में कौन नहीं जानता जिस ने सिर्फ अपने साहस के बल पर अंग्रेजो के दांत खट्टे कर दिए।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार “नारी उतनी ही साहसी है जितना की पुरुष”|

आज के दौर में स्त्री किसी भी रूप में पुरुषो से कम नहीं है, वो अपने परिवार के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अपनी महत्वकांछाओं को पूरा कर रही है वो हर चुनौती का बड़ी दृण्डता से सामना कर रही है, ये संभव हो पा रहा है उस शक्ति के द्वारा जो प्रत्येक नारी के अंदर प्रकृति द्वारा प्रदत है आज की स्त्री अपने व्यक्तित्व से अथाह प्रेम करती है और उसे कुंठित नहीं होने देती है।

किन्तु कोई कोई नारियां ऐसी भी कानून का पालन नहीं करती और नारी होने का फायदा उठाती है। घर में भी सास बहू के बीच में पुरुष फंस जाता है मां के पक्ष में बोले की पत्नी के पक्ष में। नंद और भाभी के बीच एक ओर भाई और पति, देवरानी जेठानी के बीच भाई का पक्ष ले या उसकी वाइफ छोटी बहन जैसी । ऐसे भी भी पुरुष फंस जाता है।

धन्यवाद

अनुपमा वर्मा ✍️✍️

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