18/9/2022
प्रिय डायरी,
आज का शीर्षक है अंधविश्वास,
अंधविश्वास होता क्या है यही बड़े बुजुर्ग लोगों ने बताया कि जाते समय खाली बाल्टी देखो अच्छा नहीं होता, बिल्ली रास्ता काट जाए अच्छा नहीं होता, विधवा को देखो अच्छा नहीं होता, छोटी जात के लोगों को देखो अच्छा नहीं होता कहीं कपड़ा छू न जाए अगर गलती से छू गया तो वापस लौट कर अपने ऊपर गंगा जल की छींटे डाल कर शुद्धिकरण करेंगे। अगर छोटी जात के लोगों को पानी की जरूरत तो अपने कुएं से पानी नहीं लेने देंगे। ये सब मानसिकता अंधविश्वास के कारण ही थी जो ऊंची जात के लोगों ने बनाई थी।
ये सब मानसिकता आज भी देखने को मिलती है कहीं कहीं। बलि चढ़ानी हो भेड़, बकरी की जरूरी होती है। जो पंडित ने बताया कि यह पूजा पाठ कराना है पूजा पाठ करेगे तो सब ठीक हो जाएगा तो लोग अंधविश्वास के कारण करते हैं।
आज कल जो पितृ पक्ष चल रहा है इसमें पिंड दान करने और तर्पण करने को कहते हैं और लोग करते हैं जिनके यहां बड़े बुजुर्ग की मृत्यु हो गई हो। नई कोई भी वस्तु नहीं लेते हैं जैसे कपड़ा बर्तन, श्रृंगार सामग्री आदि। किन्तु दान में पंडितो को नया कपड़ा और मिठाई अवश्य दिया जाता है। जीवित रहने पर उनकी देखभाल नहीं की और मृत्यु के बाद दान दक्षिणा देना जरूरी। ये सब अंधविश्वास के कारण ही है।
मेरा मानना है कि जीवित रहने पर अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा सुश्रुषा करो और मृत्यु के बाद देखने नहीं आते हैं। हम अगर पंडितों को दान दक्षिणा देते हैं तो क्या लेने आते हैं ये सब अंधविश्वास ही है।
धन्यवाद
अनुपमा वर्मा ✍️✍️