परी बिल्कुल रोशनी पर गई थी अब ज्यादातर समय रोशनी का परी के साथ बितने लगा परी को पकड़ रोशनी बहुत खुश थी रोशनी को नहलाना खिलाना उसके साथ खुद खेलने घर की सारी कम और नृत्य कॉलेज सब रोशनी बहुत अच्छे से संभाल रही होती है धीरे-धीरे परी बड़ी हो रही होती है अब परी 3 साल की हो चुकी है रोशनी कहती है माधुरी चाचा अच्छा आप बताइए परी बड़ी होकर क्या बनेगी माधुरी चाची कहती है
मेरी परी तो बड़े होकर IAS बनेगी रोशनी कहती है क्या तू ठीक है रोशनी बड़ी होकर इस बनी की पर सबसे पहले रोशनी को एक अच्छा इंसान बनेंगे हम लोग ठीक कहते हो ना माधुरी चाची इतने में प्रमोद आता है और कहते हैं नहीं मेरी परी तो बड़े होकर मेरा बिजनेस संभालेगी आखिरी मेरी बेटी है इससे तो बिजनेस ही संभालना है प्रमोद जाकर सबकी बोलती बंद कर देते हैं सब कहते हैं अच्छा ठीक है परी बड़े होकर बता दे कि वह क्या बनेगी पहले कोई परी से तो पूछे वह क्या बनेगी माधुरी चाची कहती है मेरी बच्ची तो अभी 3 साल की है अभी से तुम लोग लगे उसे कुछ बनाने में अभी तो उसकी खेलने खान की उम्र है मजे करने की उम्र है मैं जा रही हूं अपनी पोती के साथ खेलने इतना कह कर माधुरी चाची वहां से चली जाती है
माधुरी चाची अपनी आंख पर पट्टी बांधती है और मोहल्ले की कुछ छोटे-छोटे बच्चों को अपने घर खेलने के लिए बुलाती हैं साथ में अपने परी को लेती हैं और बाद में चली जाती है खेलने के लिए सबसे पहले माधुरी चाची अपने आंखों पर पट्टी बाधती है और छुए छुए का खेल खेलती है उसकी बाद बाड़ी-बाड़ी करके सभी बच्चे अपनी अपनी आंखों पर पट्टी लगाकर यह खेल खेलते हैं घंटे तक या खेल चलता है फिर माधुरी चाची कहती हैं चलो बच्चों आप सभी लोग अपने घर जाओ या खेल अब हम लोग कल खेलेंगे परी घर आती है अपनी दादी माधुरी के साथ घर आकर बहुत खुश होती है और रोशनी से कहती है टुनटुली आवाज में मम्मी मैंने आज बहुत मजाक किया मुझे बहुत अच्छा लगा मैं फिर जाऊंगी खेलने कल तुम भी मेरे साथ चलना आप बहुत अच्छा लगता है पापा भी चलेंगे रोशनी हस्ती है कहती है ठीक है कल चलेंगे इसी तरह माधुरी परी के साथ रोज खेलने के लिए बगीचे में जाते हैं कभी कबार रोशनी भी उनके साथ जाती है परी के साथ खेल कर रोशनी को बहुत खुशी मिलती है और उसका समय बीतने लगा धीरे-धीरे परी बड़ी हो रही थी अब परी 5 साल की हो चुकी है रोशनी कहती है माधुरी चाची अब परी का किसी स्कूल में दाखिला करा देना चाहिए अब इसे पढ़ने भेजना चाहिए कब तक यह खलती रहेगी
माधुरी चाची कहती है तू ठीक कहती है अब परी का दाखिला करवाई देना चाहिए आखिर वह भी तो पढेगी पड़ेगी तभी तो IAS बनेगी परी का एडमिशन हो जाता है वह पढ़ने चली जाती है अब वह हॉस्टल में रहने लगती है हॉस्टल जाने के बाद परी को अच्छा नहीं लगता है वह घर आना चाहती है उसे बार-बार अपनी मम्मी और दादी की याद आती है इधर रोशनी और माधुरी को भी परी की बहुत याद आती है पर परी को पढना बहुत जरूरी है इसलिए वह लोग उसे वापस भी नहीं मंगवा सकते एक दिन परी फोन पर अपने मम्मी से बात करती भी कहती है मम्मी मैं वही की किसी स्कूल में पढ़ूंगी मैं इतना दूर नहीं पढ़ूंगी आप मुझे अपने पास बुला लो नहीं तो मैं खुद ही आ जाऊंगी मुझे अच्छा नहीं लगता आप सबकी बहुत याद आती है और हां यहां तो मेरे साथ कोई खेलता भी नहीं है मेरी दोस्त भी नहीं है परी की बातें माधुरी भी बहुत गौर से सुन रही होती है और उसे आश्वासन देते हुए कहती है बहुत चल तुम्हारी दोस्त होगी वह तुम्हारे साथ खेलेंगे तुम्हें वहां अच्छा लगेगा तुम खूब मन लगाकर पढ़ो और हां तुम शनिवार को घर आना हर शनिवार तुम घर आओगी शनिवार शाम हम बगीचे में खेलने जाएंगे परी दादी की बात मनाती हुई आधे मन से कहती है ठीक है और आप परी हॉस्टल में रहने लगती है प्रतीक शनिवार वह घर आती है और सोमवार को वह फिर कॉलेज के लिए चली जाती है या सिलसिला चलता रहता है एक बार परि घर आई हुई रहती है और वह जिद करती है रोशनी से मम्मी मुझे मेला देखने ले चलो ना मेरे दोस्त लोग कहते हैं मेले में बड़े-बड़े झूले होते हैं कैंडी फ्लैस्क मिलते हैं और हां वहां पानी पूरी मिलती आइस्क्रीम भी मिलती है मैं मेरा देखना चाहती हूं प्लीज मुझे ले चलो ना माधुरी कहती है नहीं परी बेटा वहां बहुत भीड़ होती है और तुम वहां नहीं जाओगी तुम्हें जो चाहिए वो घर पर ही मै ड्राइवर से कहकर मंगवा लेती हूं
पर परी कहती नहीं दादी मुझे मेला भी देखना है वो कैसे दिखाओगे आप इसलिए मैं कहती हूं चलो मेरे साथ आप भी मेला और मम्मी पापा को भी साथ ले चलेंगे देखना वहां बहुत मज़ा आएगा मेरे दोस्त लोग बताते हैं इतना ही नहीं जब जब मेरा लगता है वह घुम्ने भी आते है
दादी मान जाती है और परी से कहती है ठीक है हम लोग कल चलेंगे मेला देखने साथ में तुम्हारी मम्मी और पापा भी जाएंगे वहां बहुत मजे करेंगे मेला देखेंगे और हां बताओ क्या तुम्हारी दोस्त भी उसे मिले में आएंगे परी खुश हो जाती है और कहती यहाँ मेरी सारी दोस्त अपनी मम्मी पापा के साथ हुआ मेला देखने आएंगे माधुरी कहती है चलो ठीक है आज खाना खा लो जो होमवर्क तुझे स्कूल से मिले हैं वह पूरी कर लो जल्दी-जल्दी हम लोग कल मेला देखने जाएंगे परी कहती हैं नहीं पहले आप वादा करो तब मैं खाना खाऊंगी और होमवर्क भी पूरा करूंगी माधुरी परी से वादा करती है अब माधुरी परी रोशनी प्रमोद सब खाने पर बैठे होते हैं सब साथ में खाना खाते हैं पर ढेर सारी बातें करती है कभी लोग परी की बातों पर हंसते हैं तो कभी कोई सुझाव देते हैं उसे सब अपने-अपने तरीके से परी से बातें कर रहे हैं परी को भी अपने परिवार वालों से बातें करके बहुत अच्छा लग रहा है रात काफी हो चुकी है सब सोने के लिए अपने-अपने कमरे में जाते हैं पर परी को नींद नहीं आती है उसे इस बात की खुशी है कि कल वह मेला देखने जाएगी वह सोच रही होती कि कब जल्दी सुबह हो सूरज निकले और हम लोग मेला देखने जाएं वह रात में ही अपनी दादी से पूछती है ताकि आज सुबह कब होगा सुबह जल्दी क्यों नहीं हो रहा है अच्छा मेला में हम लोग क्या कहेंगे अच्छा मिला सब लोग ढेर सारी चीज लाएंगे बात-बात पर वह बड़ी सवाल कर रही थी है दादी कहती है सो जाओ सुबह उठेंगे मेला चलेंगे सुबह जल्दी भी उठाना है ना मेला देखने के लिए
तो तुम जल्दी सोओगी तभी तो जल्दी उठोगे परी को भी नींद आ जाती है
क्रमशः