नूर ए इशाल... ज़िंदगी की कड़ी धूप में हौसले और उम्मीद को जगाती ऐसी सुंदर और प्रेरक लघु कथाएँ जो आपकी मंज़िल के रास्तों को एक नूर से भर दें. जो कभी समझ पाये हमें तो पता चलेगा तुम्हें,हम एक नूर है राहत के लिए, मकसद ए हयात फकत इतना है दिल से अपनों के
इस पुस्तक में महेश कुमार वर्मा द्वारा लिखित कविताओं का संकलन किया गया है।
समय की खिड़की ----------------------- © ओंकार नाथ त्रिपाठी "समय की खिड़की" मेरी प्रथम लघुकथा संग्रह है जो कि 'शब्द इन' पर आनलाइन प्रकाशित हो रही है।इस संग्रह में मेरी कई छोटी छोटी कहानियां संकलित हैं जो कि मैंने
इस लघुकथा एक निरीह पक्षी के प्रति मानवीय संवेदना को व्यक्त करती है।
बेवज़ह ज़िंदगी में वज़ह की तलाश - करता हुआ नवयुवक - और उसकी कोशिश के रूप में जन्म लेनी वाली कविताएं - पल पल - प्रतिक्षण जिस - हालत से गुजरता है - वह उसे कविता में व्यक्त करने की कोशिश करता है, चाहे वो खुद क लिए गुस्सा या प्यार हो, खुद से शिकायत हो, किसी
इस किताब में सामाजिक समस्याओं के बीच प्यार के खट्टे_मिट्ठे अनुभवों को दर्शाया गया है।