शीर्षक ---फासालाफासला बढ़ता ही गया जिंदगी में,फिर भी हौसला कम नही हुआ।जिंदगी में फिर क्या?फासला खुद ब खुद घटता गया,और हौसला बढ़ता गया जिंदगी, में और हमने जिंदगी में फासाला,को बढ़ने नही दिया अ
शीर्षक--छलकते मोतीआँखों से छलकते मोती प्यार से, बहे तो मोती नजर आता है।दर्द में आँखों से छलकते मोती बहे तो,आँसू नजर आते हैं। निकलते तो आँखों से छलक मोती,बस देखने में फर्क होता है। किसी