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सभ्यता

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हम भारत के वीर हैंहम अर्जुन के तीर हैंहम भारत वासी गंभीर हैंहम विश्व की तकदीर हैंहम पवित्र गंगा नीर हैंहम भारत के वीर हैं।

स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,झंडा ऊंचा रहे हमारा।आओ प्यारे वीरों आओ,देश-जाति पर बलि-बलि जाओ,एक साथ सब मिलकर गाओ,प्यारा भारत देश हमारा,झंडा ऊंचा रहे हमारा।तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा,झंडा ऊंचा रहे हमारा।

नन्हे - नन्हे प्यारे - प्यारे, गुलशन को महकाने वालेसितारे जमीन पर लाने वाले, हम बच्चे है हिंदुस्तान के। नए जमाने के दिलवाले, तूफ़ानो से ना डरने वालीकहलाते हैं हिम्मत वाले, हम ब

आदिवासी योद्धा पूंजा भील जिन्होंने हल्दीघाटी युद्ध किया। जिसके धनुष मात्र से अकबर की सेना में हड़कंप मच जाता था। ऐसे आदिवासी योद्धा को नमन। राणा पूंजा भील का जन्म मेरपुर में हुआ था। उनके पिता के

महारानी जयवंताबाई महाराणा उदय सिंह की पहली पत्नी थी, और इनके पुत्र का नाम महाराणा प्रताप था। यह राजस्थान के जालौर की एक रियासत के अखे राज सोंगरा चौहान की बेटी थी। ... जयवंता बाई उदय सिंह को राजनी

गांव का एक छत ,उसकी मुंडेर के पास खड़ी एक कुंवारी लड़की , उसके सोच की परिकल्पना करना शायद साहित्यकारों के हैसियत के बाहर की बात है, क्योकि वो देश की प्रधानमंत्री बनने के बारे में भी सोच सकती है और अपने होने वाले पति के घर के बारे में भी .गली से आते जाते अपने से उम्रदराज सभी मर्दों के हिसाब से नज़र फे

कंदराओं में पनपती सभ्यताओं✒️हैं सुखी संपन्न जग में जीवगण, फिर काव्य की संवेदनाएँ कौन हैं?कंदराओं में पनपती सभ्यताओं, क्या तुम्हारी भावनायें मौन हैं?आयु पूरी हो चुकी है आदमी की,साँस, या अब भी ज़रा बाकी रही है?मर चुकी इंसानियत का ढेर है यह,या दलीलें बाँचनी बाकी रही हैं?हैं मगन इस सृष्टि के वासी सभी गर,

सभ्यता की सीढ़ियाँ सहेजता समाज नैतिकता के अदृश्य बोझ से लड़खड़ा रहा है निजता की परिधि हम से मैं तक सिकुड़ चुकी है. उन्नत उजालों में दिखता नहीं आदमियत का भाव स्वार्थ की अँधेरी रात में अपनत्व का

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