हम भारत के वीर हैंहम अर्जुन के तीर हैंहम भारत वासी गंभीर हैंहम विश्व की तकदीर हैंहम पवित्र गंगा नीर हैंहम भारत के वीर हैं।
नन्हे - नन्हे प्यारे - प्यारे, गुलशन को महकाने वालेसितारे जमीन पर लाने वाले, हम बच्चे है हिंदुस्तान के। नए जमाने के दिलवाले, तूफ़ानो से ना डरने वालीकहलाते हैं हिम्मत वाले, हम ब
पुंडीर राजवंश- रानी सावलदे ओर राजा कारक की कथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे राजा कारक ओर रानी सावलदेह का किस्सा लोक गीत ओर रागनियो मे बहुत गाया जाता है । लेकिन बहुत कम ही लोग जानते है की रानी सावलदे ओ
पुस्तक समीक्षा: कासे कहूँ
क्या समय था कोरोना आया।
साथ में लॉकडाउन को लाया ।
सबको
भेलपूरी सी चटपटी व्यंग्य की शानदार पुस्तक पुस्तक: हास्य-व्यंग्य भेलपूरी सी चटपटी व्यंग्य की शानदार पुस्तकपुस्तक: हास्य-व्यंग्य की भेलपूरीरचनाकार: विनोद्कुमार विक्की 9113437167प्रकाशक: रवीना प्रकाशन, सी -316 , गली नंबर- 11 गंगा विहार, दिल्ली -110094 मोबाइल 92 0512 72
साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है | वो इसलिए समय के निरंतर प्रवाह के दौरान साहित्य के माध्यम से हम तत्कालीन परिस्थितियों और उनके प्रभाव से आसानी से रूबरू हो पाते हैं | सब लोग हर दिन असंख्य लोगों की समस्याओं और उनके जीवन के सभी रंगों को देखते रहते हैं शायद वे उन
-----------------शहंशाह आलम मैं बेहतर ढंग से रच सकता था प्रेम-प्रसंग तुम्हारे लिए ज़्यादा फ़ायदा था इसमें और ज़्यादा मज़ा भी लेकिन मैंने तैयार किया अपने-आपको अपने ही गान का गला घोंट देने के लिए… # मायकोव्स्की मायकोव्स्की को ऐसा अतिशय भावुकता में अथवा अपने विचारों को अतिशयीक
समीक्षा - '' ये तो मोहब्बत नहीं ''-समीक्षक शालिनी कौशिक उत्कर्ष प्रकाशन ,मेरठ द्वारा प्रकाशित डॉ.शिखा कौशिक 'नूतन' का काव्य-संग्रह 'ये तो मोहब्बत नहीं ' स्त्री-जीवन के यथार्थ चित्र को प्रस्तुत करने वाला संग्रह है .आज भी हमारा समाज पितृ-सत्ता की ज़ंजीरों में ऐसा जकड़ा ह
पृथ्वी में छह सौ फुट भीतर बन रही कविता रोज ... कुछ भी नहीं बदला कविता संग्रह अनवर सुहैल का है और बोधि प्रकाशन ने इसे कुल्लू में मुझ तक पहुँचाया जिसके लिए मैं आभारी हूँ । यह किताब अनवर जी ने अपने फेसबुक मित्रों को समर्पित की है । कवितायेँ आमजन से जुड़ी होने के साथ साथ वर्तमान की विसंगतियों को भी बेबाक
हाल ही मेंबोधि प्रकाशन से अनवर सुहैल का कविता संग्रह "कुछ भी नहीं बदला"प्रकाशित हुआ. यह पुस्तक विश्वास के दो दशक श्रृंखला की पांचवी कृति है. इस संग्रह में 86 कविताएं है .सुहैल जी ने इस संग्रह को फेसबुक के कविता प्रेमी मित्रों को समर्पित किया है.इसका मूल्य 120 रूपये है. यह
कविता में जनतंत्र डॉ ० वेद