20 नवम्बर 2015
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बहुत उम्दा हरीश जी! ऐसे ही रचनायें साझा करते रहें, धन्यवाद!
21 नवम्बर 2015
'सजल नैन की पीर'………मर्मस्पर्शी ! प्रकाशन हेतु बधाई !
वाह. डाक्टर साहब वाह.बहुत सुन्दर रचनाऔर उसमें भी अंतिम ४पंक्तियॉ तो कमाल की है ,आप की लेखनी को प्रणाम |