shabd-logo

समान नागरिक सहिंता

6 नवम्बर 2022

35 बार देखा गया 35
समान नागरिक सहिंता एक ऐसा मुद्दा है जो हमेशा विवादित रहता है। समान नागरिक सहिंता बहुत विस्तृत और पेचीदा मामला है जिसका अर्थ सामान्यतः लोग उचित रूप से समझ नहीं पाते हैं।समान नागरिक सहिंता संविधान के भाग चार (डीपीएसप ) के अनुच्छेद 44 में शामिल किया गया हैं। इसके अनुसार राज्य प्रयास करेगा की वो राज्य के जनता के लिए एक ऐसा नियम पारित करे जो सभी के लिए समान हो।
समान नागरिक संहिता में देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो।
समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक तथा जमीन-जायदाद के बँटवारे आदि में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होता है। अभी देश में जो स्थिति है उसमें सभी धर्मों के लिए अलग-अलग नियम हैं। संपत्ति, विवाह और तलाक के नियम हिंदुओं, मुस्लिमों और ईसाइयों के लिए अलग-अलग हैं।
इस समय देश में कई धर्म के लोग विवाह, संपत्ति और गोद लेने आदि में अपने पर्सनल लॉ का पालन करते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का अपना-अपना पर्सनल लॉ है जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं।
दरअसल, समान नागरिक संहिता को लागू करने की पूरजोर मांग उठने के बाद भी इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका है। इसके कई कारण हैं -
लिहाजा, व्यापक सांस्कृतिक विविधता के कारण निजी मामलों में एक समान राय बनाना व्यावहारिक रूप से बेहद मुश्किल है।
दूसरी समस्या है कि अल्पसंख्यक विशेषकर मुसलमानों की एक बड़ी आबादी समान नागरिक संहिता को उनकी धार्मिक आजादी का उल्लंघन मानती है।
जाहिर है, एक बड़ी आबादी की मांग को नकार कर कोई कानून अमल में नहीं लाया जा सकता है। तीसरी समस्या यह है कि अगर समान नागरिक संहिता को लागू करने का फैसला ले भी लिया जाता है तो इसे समग्र रूप देना कतई आसान नहीं होगा।
इसके लिये कोर्ट को निजी मामलों से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार करना होगा। विवाह, तलाक, पुनर्विवाह आदि जैसे मसलों पर किसी मजहब की भावनाओं को ठेस पहुँचाए बिना कानून बनाना आसान नहीं होगा।
सिर्फ शरिया कानून, 1937 ही नहीं बल्कि, Hindu Marriage Act, 1955, Christian Marriage Act, 1872, Parsi Marriage and Divorce Act, 1936 में भी सुधार की आवश्यकता है।
दरअसल, भारतीय संविधान भारत में विधि के शासन की स्थापना की वकालत करता है। ऐसे में आपराधिक मामलों में जब सभी समुदाय के लिए एक कानून का पालन होता है, तब सिविल मामलों में अलग कानून पर सवाल उठना लाजिमी है।
समझना होगा कि निजी कानूनों में सुधार के अभाव में न तो महिलाओं की हालत बेहतर हो पा रही है और न ही उन्हें सम्मानपूर्वक जीने का अवसर मिल पा रहा है।
दरअसल, सबसे बड़ी आजादी तो उन मुस्लिम महिलाओं को मिल सकेगी जो बहुविवाह और हलाला जैसी प्रथाओं का विरोध करती रहीं हैं।समझना होगा कि मुस्लिमों के पर्सनल लॉ का 1400 साल पुराना होने का अर्थ है- आस्था का लंबा इतिहास होना। जाहिर है, इसे एक झटके में समान नागरिक संहिता लागू कर खत्म नहीं किया जा सकता। अमूमन भारत के सभी निजी कानून आस्था पर आधारित हैं और उनमें सुधार तब तक नहीं हो सकता जब तक तब्दीली की आवाज धर्म विशेष के अंदर से नहीं आ जाती है।

वर्तमान में गोवा, भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ UCC लागू है।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत शानदार लेखन

1 जून 2023

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

बहुत सुंदर लिखा👌👍

6 नवम्बर 2022

8
रचनाएँ
शब्द प्रतियोगिता
0.0
उस पुस्तक में शब्द प्रतियोगिता के दैनिक प्रतियोगिता के विषय पर लिखें गए लेख, कहानी, संस्मरण, और कविता सम्मिलित हैं।
1

हर घर तिरंगा ( तिरंगा और राष्ट्र )

14 अगस्त 2022
15
5
3

हर घर तिरंगा आजादी के अमृत महोत्सव पऱ  "हर घर तिरंगा"  पऱ सभी भारतवासी का उत्साह अपने चरम पऱ हैं। जीवन में हर एक पल में हमें आजादी चाहिए होती हैं क्योंकि हर पल हम एक नए गुलामी से युद्ध कर रहे होते है

2

सनातन धर्म की महानता

21 अगस्त 2022
9
4
1

सनातन धर्म किसी संम्प्रदाय या देश विशेष का धर्म नहीं है। सनातन का अर्थ होता है शाश्वत अर्थात जो अनादि है अंनत है। एक ऐसा धर्म जो समय,परिस्थिति, व्यक्ति, देश आदि से परे है। हर एक सम्प्रदाय का एक ही मूल

3

धार्मिक उन्माद

27 अगस्त 2022
6
3
4

उन्माद का अर्थ है - उत +माद अर्थात ज़ब किसी के लिए हमारी भावनाएं/ नशा / क्रेज अपने चरम पर पहुंच जाये ऐसी अवस्था का उन्माद कहा जाता है। बात अगर धार्मिक उन्माद की करे तो यह अनुचित भी है और उचित भी।अनुचित

4

अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
9
7
10

अन्धविश्वास हमारे समाज और हमारे मे मन मे कुछ इस तरह व्याप्त हो जाता हैं कि हमें विश्वास और अन्धविश्वास मे अंतर नहीं हो पाता हैं। हमारे जीवन और समाज इर्द गिर्द विविध प्रकार की रीति रिवाज़ और परम्पराएं म

5

युवाओं के लिए शारीरिक सकरात्मकता

28 सितम्बर 2022
6
4
3

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता हैं। हमारा शरीर एक साधन हैं और बिना किसी साधन के साध्य को पाना असम्भव होता हैं हमारा शरीर ही इस जगत में सक्रिय प्राणी के रूप में हमारे होने का पहचान हैं शरीर स

6

समान नागरिक सहिंता

6 नवम्बर 2022
2
4
2

समान नागरिक सहिंता एक ऐसा मुद्दा है जो हमेशा विवादित रहता है। समान नागरिक सहिंता बहुत विस्तृत और पेचीदा मामला है जिसका अर्थ सामान्यतः लोग उचित रूप से समझ नहीं पाते हैं।समान नागरिक सहिंता संविधान के भा

7

जैव ईंधन

23 नवम्बर 2022
3
1
1

भारत जैसे-जैसे स्थायी ऊर्जा संसाधनों की ओर बढ़ रहा है, इसके लिये अपनी अलग-अलग ज़रूरतों के बीच समन्वय स्थापित करना एक चुनौती बनती जा रही है। इन चुनौतियों में ऊर्जा आयात पर निर्भरता को कम करना

8

मणिपुर में दंगे

8 मई 2023
6
5
2

उत्तर - पूर्वी भाग मैं स्थित एक खूबसूरत राज्य मणिपुर इस वक़्त दंगे की आग में जल रही हैं। स्थिति ऐसी है कि सूट एंड साइट का आर्डर मिला है, रातों - रात नौ हजार लोग सेना के कैंप में जान बचाने के लिए

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए