उत्तर - पूर्वी भाग मैं स्थित एक खूबसूरत राज्य मणिपुर इस वक़्त दंगे की आग में जल रही हैं। स्थिति ऐसी है कि सूट एंड साइट का आर्डर मिला है, रातों - रात नौ हजार लोग सेना के कैंप में जान बचाने के लिए शरण लिए हैं।
मुख्य कारण - मेड़ती समुदाय द्वारा विशेष आरक्षण की मांग
यह मांग अचानक सामने नहीं आई समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की मांग लंबे समय से हो रही है 1949 में विलय से पहले मेड़ती समुदाय को जनजाति के रूप में मान्यता मिली हुई थी लेकिन विलय के बाद इस मान्यता को समाप्त कर दिया। मेड़ती समुदाय के संस्कृति और भाषा को बचाने के लिए मेड़ती समुदाय द्वारा आरक्षण की मांग की जा रही है लेकिन इसी राज में स्थिति अन्य जनजातिय समूह जिसमे नागा, कुकी सहित 34 जनजाति शामिल हैं इसका विरोध कर रहें हैं। अन्य जनजाति के विरोध को समझने के लिए यहां का भौगोलिक कारण उत्तारदायी है। इफ़ाल वैलि में जो पुरे मणिपुर का मात्र 10% भूभाग है, मेड़ती समुदाय निवास करती हैं जो पुरे मणिपुर की जनसंख्या का 65% हैं। शेष 90% भाग में अन्य जनजातियाँ, नागा, कुकी जैसे 35% आबादी निवास करती हैं।
मेड़ती समुदाय का पक्ष - मेड़ती समुदाय का कहना है कि वो हमेशा से आरक्षण का मांग नहीं करते थे। कई बार भारत सरकार उन्हें खुद आरक्षण देने की बात कही लेकिन मेड़ती समुदाय ये कहकर मना करदिया कि उनके अपनी एक सभ्यता हैं परम्परा हैं और उन्होंने अपने सभ्यता और संस्कृति का विकास किया है वो अभी भी विकसित हो रहें हैं उन्हें आरक्षण की आवश्यकता नहीं हैं लेकिन फिलहाल के समय में केवल 10% भूभाग पर 65% आबादी निवास कर रही हैं जनसंख्या बढ़ती जा रही और जमीने कम पड़ती जा रही हैं। ऊपर से अन्य जनजातियां पहाड़ो से निकल इस भाग में आकर वास कर रही हैं जो उनके अस्तित्व के लिए खतरा हैं क्योंकि बाकि के 90% आरक्षित होने के वजह से वो उस भू भाग में निवास नहीं कर सकती हैं।
नागा और कुकी जनजातियों का पक्ष - नागा कुकी समेत अन्य जनजातियों का कहना हैं कि मणिपुर में मेड़ती समुदाय बहुसंख़्यक समुदाय है। 60 विधानसभा सीटों पर 40 पर उनका अधिकार हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य,राजनीति जैसे सभी पहलुओं पर उनका आधिपत्य है उनकी भाषा मणिपुरी को सांविधानिक भाषा का दर्जा प्राप्त हैं ऐसे में अगर उन्हें आरक्षण दिया जाता हैं तो अन्य जनजातीय समूह अपने अधिकार और आरक्षण से मिलने वाले लाभो को खो देंगे और उनकी संस्कृति पिछड़ती चली जाएगी।