एक शब्द बहुत प्रचलित है, किसी न किसी के मुंह से सुनने मिल ही जाता है। " जनरेशन
गैप" और बार बार इस शब्द के सुनाई देने की वजह है, कही न कही लोग इससे किसी न किसी रूप में पीडित है।
जिसके घर भी है ये मर्ज लाइलाज है।जहां
नई पीढ़ी परेशान हैं कि पुरानी पीढी उनकी
आजादी में बाधाएं उत्पन्न करती है वहीं पुरानी पीढी को मलाल है कि बच्चे कहना नही मानते उनका सम्मान नहीं करते।
वाजिब तो नही कही जा सकती किन्तु समस्या गंभीर जरुर है। इस पर विश्लेषण
की जरुरत है।
सोचने से निष्कर्ष निकलता है कि सारी गलतियाँ तो हमने की है फिर हम सुफल की
आशा क्यों करते हैं।
हमारी सोच रही कि......?
जो मैने नही पाया वो मै बच्चों को जरुर दुंगा
भले ही इसके लिए मूझे चाहे जो भी करना
पडे।
संयुक्त परिवार मे "यह जो भी करना पडे"
वाले शपथ मे कई बाधाएं आएगी इसलिए
पहला कदम है परिवार से न्यारे रहने की
व्यवस्था।
अब आप अपने बच्चों को वो सब कुछ देतै
जिसका अभाव आपने अपने जीवन में पाया
मगर आज फिर भी आप हताश महसूस कर
रहे हैं कि आपका बच्चा आपकी परवाह नही करता।आखिर ऐसा क्यों है?
आपने कभी सोचा?
क्योंकि आप संस्कार नही दे पाए।
संयुक्त परिवार संस्कार और अनुशासन की
सहज पाठशाला है।
आपने परिवार से टूट कर अनुशासन हीनता
का पहला पाठ स्वयं पढाया हैं। संयुक्त परिवार में बच्चों पर सभी की नजर रहती है
बच्चों में खुद अपने परिवार के सदस्यों प्रति
प्रेम, आदर व डर भी होता है।
बच्चों के बेलगाम होने मे हम खुद दोषी है।
हमने खुद ही जब अपनी मान्यताओं और
संस्कारों को धता बताया है तो बच्चों में सद
गुण की आशा करना व्यर्थ है।