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स्त्री

26 सितम्बर 2021

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एक लंबे समय से स्त्री-पुरुष के समानाधिकार की भावना बलवती होती जा
रही थी। परिणामस्वरूप स्वरुप स्त्री संबंधित पौराणिक मान्यताओं में काफी कुछ बदलाव
भी आ चुका है। मसलन शिक्षा का स्तर सुधरा जिसकी वजह से लडकियां पढ लिखकर पुरुषों की बराबरी से हर क्षेत्र में आगे आ रही है यह अच्छी बात है।
किन्तु बराबरी के नाम पर वर्तमान में जो कृत्य हो रहे हैं उसे उच्छखृलता की संज्ञा दी
जा सकती है। आधुनिकता या प्रगति के नाम पर अपनी सहजता और आदर्श के मापदंड को ताक पर रखना कौन सी बुद्धि मता है। मै इस लेख के माध्यम से समूची स्त्री जाति से निवेदन करती हू कि किसी भी
स्थिति में अपनी मौलिकता से ना भटके और अपनी स्वाभाविकता न खोंये अपनी गरिमा
को पहचाने और उसका सम्मान करें तो फिर किसी और की क्या मजाल होगी की वो आपका अपमान करे। 
Dr Anita Mishra

Dr Anita Mishra

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति 👌👌

16 दिसम्बर 2021

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत सही बात है

3 नवम्बर 2021

ममता

ममता

14 नवम्बर 2021

धन्यवाद सर जी

ममता

ममता

9 दिसम्बर 2021

धन्यवाद सर जी

Ranjeeta Dhyani

Ranjeeta Dhyani

बेहतरीन पेशकश 👏👏👏👏

6 अक्टूबर 2021

ममता

ममता

18 अक्टूबर 2021

धन्यवाद मैडम जी

आंचल सोनी 'हिया'

आंचल सोनी 'हिया'

वाह... निःशब्द हूं। आज असल में महसूस हुआ यह लेख पढ़ कर की स्त्रियां संविधान में लिखित मौलिक अधिकार और अपनी मौलिकता हेतु वाक़ई जागरूक हुई हैं। ऐसे ही लिखते रहें। बहुत खूब💐👌🙏

29 सितम्बर 2021

ममता

ममता

18 अक्टूबर 2021

धन्यवाद आदरणीय

ममता

ममता

प्रज्ञा जी और हरिस्क जी आपकी समीक्षा के लिए हार्दिक आभार यूंही सहयोग बनाए रखिए मनोबल बढता है।

27 सितम्बर 2021

Pragya pandey

Pragya pandey

Bahut achcha 🙏

27 सितम्बर 2021

Har + ishk

Har + ishk

जी

27 सितम्बर 2021

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स्त्री

26 सितम्बर 2021
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8 नवम्बर 2021
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दुनिया एक पाठशाला ( मंथन)

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आदर्श

10 जनवरी 2022
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<p>आदर्श की खोखली गुफाओं में </p> <p>कपट देव का डेरा है </p> <p>पर उपदेश कुशल बहु तेरे, और</p> <p>दिया तले अंधेरा है </p>

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