क्यूं , तोड़कर, बिखरा दिया है, यार ! मुझको । मैं भी सजा था, डाल पर, तुम याद कर लो ।अरमान था मेरा, कि मैं, चरणों को, छू लूं । अपने वतन के वास्ते, जो चल पड़ा हो ।कुर्बान
बचपन प्रकृति के,प्रेम में गुजर जाता है । किशोरावस्था तक,कापी-किताब का बोझ सताता है ।यौवन, युवा प्रेम में,तथा मंजिल को चुनने में चला जाता है । तब प्रकृति का प्रेम
हवा से भी तेज रफ्तार,उड़ रही जाने क्यूं खबर,सच या फिर कितनी झूठ,कौन ले किस की खबर!गुलाबों से हुई जा रही,कट्टरपंथियों को नफरत,प्यार भी लगे हैं इन्हें की,जैसे कोई बड़ी आफत।हर एक तरीके से दिक्कत,प्यार को
काश ! इन फूलों सा प्रेम, पनप जाये, जग में । लोग एक दूसरे से गले लग जाये, जग में ।इंसा में, प्रेम पनप जाये, इस जग में । तो इस धरती पर, स्वर्ग उतर आये, सचमुच में ।ई
कांटों में रहकर, भी मुस्कुरा देता हूं । अपनों से हिलमिल कर,कुछ कह लेता हूं ।अपनों को ज़िन्दगी, बसर करनी है । इन्हीं कांटों के साथ ।इसी ख्वाब से, जी भरकर हंस लेता हूं ।
खुश रहिये ।जनाब ! इन फूलों की तरह । जिंदगी, गुजारिये, इन महकते, फूलों की तरह ।देखिए, श्वेत वर्ण पुष्प को । जिसने लालिमा,अपना ली है ।लाल कलियों की ।
मैं आईना कभी, झूठ बोल पाता नहीं । जो कुछ मेरे सामने हो, वहीं बयां कर देता हूं ।लोग खूबसूरती को मेरे सामने, निहारकर खुश हो जाते हैं । मुझे अपना गवाह, बनाकर, इठलात
लिखा है मैने कागज पर,दिल के स्याही से आज,प्रिय लिखके दिया है,भारतमाता को पैगाम! &n
हमारे पापा की नोकरी नेकितने शहर बदलवा दिये, बचपन से जवानी तक हम हर एक शहर से रुबरु हुंवे हिंदुस्तान पूरा ही हमारा है,ना कोई ठिकाना पराया है,सारी बोलियां हमारी बहने,सारे देशवासी अपने
खुब जि भरके मेरे ही अंगना,आज सजा है यादों का मेला, फुरसत में यादें बनाने आया,है आज दोस्तों का मेरे मेला! ब
इन्सानों से बात ना होती,भूतों से बात कहां होगी,रात बितती चिंता में ही,दिन की ना हमें सुदबूद!भूत एक बार डरायेंगे,जिंदगी हर पल डराती,नये नये इंम्तहान लेके,हर बार गले मिलने आती!भूतों से भयंकर यहां है,रिश
प्यार से नहीं कोई प्यारा, बेहतरीन है साथ सुनहरा, कई रिश्तों से हमसे जूडा, सबसे खुबसुरत मां पापा! मां है सारथी ,पापा साथ, दोनों से जूडे है मेरे जज्बात, भाई- बहन अनमोल गहने, दर्द में खुश रहने के बहाने!
कोई पुछे मुझे किससे है तुझे प्यार,जबाब दुंगी बेझिझक किताबें यार,नई नई होती जब आती है हाथों में,खुशबू से अपनी दिल को बहराती!रंगीबेरंगी कितने सुरेख कव्हरों में,होके आती है वो खुद को सजाकर,मुलायम मुलायम
वक्त होता है वो खास,जब तुम होते हो पास,लगता जैसे मैं हूं परी,खुशनूमा सी हू नारी!तेरे पास आते ही,सकुन पास ठहरता है,मायूस मायूस जिंदगी,मुस्कराके गले लगती है!तेरे पास होने से मेरे,मिट जातेे है डर सारे,ते
अच्छी रात की नींद छोडकर जवान बार्डर पर खडे रहते है,सैनिक है जिनके बजह से हम बिस्तर पर आराम से सोते है,भूख प्सास अपना घर बार सबकुछ त्यागकर खुश हो जाते है,वो जवान ही है जो पुरे देश की सुरक्षा का खयाल रख
ना दिखाई देते है मगर, सच में शब्दों के पंख है, कभी दिल का एहसास, कभी किसीसे खास है! &n
हम दोनों की एक कहानी, थोडा साथ तो थोडी जूदाई,कहीं हाथ ठामकर चलना, तो कहीं परछाई से भागना,कभी बिनमतलब जिद करना कभी अपने आप मानना,कभी पराया होकर अपना, अपना बनकर पराया होना,हम दोनों की एक सी रवानगी, जूदा
सदियों से कर रहा हू इंतजार,मीरा अपने गिरधर का,राधा अपने मनमोहन का,सीता अपने प्यारे राम का!इंतजार की है निर्दयी बेला,ना लगता खुशियों का मेला,युगोयुगों से घूमके ना हुंवाधरती का सूरज से मिलना!प्यासा है अ
मां के होते है बेटे राजकुमार, तो पापा की बेटी प्यारी परी, दोनों से करते है मां पापा, एक जितना ही तो प्यार! होते है जब बेटा बेटी साथ, तो मानो जैसे हरदिन त्योहार, वक्त निकल जाता है यूंहूी, पिछे पिछे भाग
बिना कहे जान लेती है वो हर एक दिल का हाल,सकुन देता है दर्द में भी बस उसका ही तो खयाल,सुरत चाहे जो भी मगर वो प्यार की एक हँसी मुरत,जिंदगी में खुश रहने को वहीं बस इकलौती जरुरत!दिनभर तो काम खुब करती पर न