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साप्ताहिक प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to Saptahik pratiyogita


बचपन खेला जिन गलियारे में,खेलखिलौने सारे छोड आये प्यारे,नटखट नादानियों से जुडे थे पुरे,किस्से कहानीयां छोड आये सारे!हाथ थामकर चलना था सिखा,गिरते संभालते दौडना था सिखा,लबों को देखा था जो हौले से हिलता,

हुस्न का मेला है तेरे आसपास, फिर तुझे किसकी है प्यास,कौन गक्षहै वह जो होगी तेरी खास, जिसके बिना बोझल होगी तेरी सांस! कौन नाजाने होगी तेरी जीत,  गम से भी होगी तेरी प्रीत, 

Kaash jindagi main hota koi boy, Mere liye kharid laata wo soft toy, Hote apne bhi dost Teddy, Khane ko hoti hardin jelly, !!Jindagi bhi hoti apni Fairy taleGhar hi ban jata market ka s

चाँद सी सुंदर थी वह बडी नाजनीन हसीना, उसके पास रहने का हम ढूँढते नया बहाना, शक्ल ऐसी की उसने पहनी हो धानी चुनर, बोल ऐसी की लगे फूलों पर मंडराते भंवर।रुणझुण रुणझुण पायल बजाती देती चल,&nb

     छोड के ना जानाचाहे मांग ले मुझसे आसमा में छिपे चांद तारे,चाहे मांग लेना हर देश विदेश की महंगी कारे,दिल कहे तो रख लेना बाबर अकबर को गुलाम,चाहे जि भरके कहना उन्हें तुमसे करवाने सलाम!

रिश्ते पक्के हुआ करते थे कच्चे आशियानों में! अब ये टूट जाते हैं संगमरमर लगे मकानों में! दौलत तो यहाँ से वहाँ एक रोज उड़ जाएगी उड़ती है  रेत जैसे  भयंकर  तूफानों में! ये चमकते बदन राख के ढेर से ज्याद

धो लो अपने गुनाहों को,क्रूस से लहू बह रहा है।कर लो अपने को साफ,प्रेम का चश्मा बह रहा है।अवसर नहीं मिलता बार बार मुझको आपकोमिला है मौका एक बार, सुन लो वो बुला रहा है।।मिट जाते सारे दाग, जो इसमें नहा ले

सर्द में नरमाई सुबहे,बारीशों में बिते दोपहरे,कुछ गुस्सेल शामें, मनाते गूजरी वो रातें,कभी प्यार की फुंवार, कभी बेबजह की नाराजगी,कभी बिन बोले पास आना, कभी खुद ही दूर रहना !कैसी बिती तुझ संग मेरी जिंदगी,

मौतत्रासदी बनकर आती है किसी आशियाने के लिए!              मृत्यु सिर्फ़ मृत्यु होती है कोई बेगाने के लिए! कौवा जाता है कौवे के यहाँ दुःख बाँटने को       आदमी जाता है किसी मौत पर दिखाने के लिए! ख़ुदा का क

बडी भांती थी हमें स्कुल में छुट्टी, बाकी के दिनों से थी हमारी कट्टी, सुबह जल्द स्कुल जाने को उठना, आधी अधूरी नींद में ही तैयार होना! दूध से तो मानो नफरत थी हमें, देखके दूर भागने का मन करता, स्कुल बस क

       सृष्टि को देने मूर्त रुप ईश्वर नेकिया अपनी प्रतिमूर्ति का निर्माण,ममतामयी एक मूरत का कर सृजनकिया इस सृष्टि का उत्थान।मां सरस्वती के आशीष से सिंचितज्ञान की जिसे दी निर्मल धार

मैं न्यूज़पेपर, मेरी इतनी सी कहानी। सिमटी पूरी दुनिया मुझमें, चंद घंटों की मेरी जिंदगानी।आकर सुबह सवेरे, घर के दरवाजे पर बैठ जाता हूँ।कोई देख ले एक नजर, टकटकी लगाकर देखता हूँ।कुछ आँखें मुझे, पूरा टटोल

बड़ी अनोखी हमारी पीढ़ी, दो पीढ़ियों की बीच की सीढ़ी। परंपराओं को भी निभाते, आधुनिकता को भी आजमाते। मिट्टी के चूल्हे की रोटी, पिज्जा, बर्गर, आइसक्रीम, फ्रूटी। ठंडा पानी मटके का पीते, बिसलेरी की बोतल

पहले एक इंक पेन लाते थे, और एक इंक पोट। रिफिल का पैकेट लाते थे, और एक डोट। कई दिनों तक, यूज़ करते थे। रिफिल बदलते, लेकिन डोट नहीं बदलते थे। अब यूज एंड थ्रो का, जमाना आ गया है।  नई नई चीजों को, आ

गर्मियों का मौसम, रात का समय। कूलर की हवा में, नींद आए गहरी। कि अचानक चली गई लाइट। एक तो तेज गर्मी, ऊपर से मच्छरों की फाइट। थोड़ी देर तक, करते हैं इंतजार। फिर छत पर जाते, वहाँ बिस्तर लगाते। और जैसे ही

सभी लोगो को एक साथ देखकर ,भगवान शिव चौक उठते है , सभी लोग उनकी वंदना करते हैं , ""!!!भगवान शिव सभी को आशीर्वाद देते हैं ,सभी मां पार्वती को भी प्रणाम करते है,साथ ही गणेश वंदना भी करते है ,कार्तिकेय और

🌹मैं रहती हूं जहां बहुत ही ख़ूबसूरत और हसीन रहता है यहां का समा। 🌹पहाड़ों घाटियों और झरनों से घिरा मोह लेता है यह दिल सबका सदा। 🌹दिखता है यहां से मसूरी का नज़ारा जगमग करता मसूरी का शहर सारा

सप्त ऋषियों में अत्रि ऋषि भी आते हैं , एक बार की बात है अत्रि ऋषि वन विहार कर रहे थे,वह और उनकी पत्नी तारा घने वन में घूमते हुए एक बड़े से तालाब के किनारे पहुंचते हैं , वहा उन्हे किसी बच्चे के रोने कि

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