एक तेरा साथ होने से मुझे, परदेश भी लागे है मेरा देश,परदेश भी बदले हमारे साथ,कुछ कुछ हद तक खुद को। माना सब है यहाँ अजनबी,जमीं से आसमाँ लगे पराया,पर हम हिंदुस्तानी जाने है,पराये को प्यार से अपनाना।देख क
आजकल हर एक का ही तो ओट में छिपा हुआ अस्तित्व, पर सच संग चलने का यहाँ, कोई ना उठा पाता दायित्व। झूठ को मलाई समझकर, सब उसको चाटते जाते है,सच का कडवे घोट को तो, सिर्फ महादेव ही पी पाते है। चेहरे के उपर
वैसे कुछ खास नहीं हुँवी दिन की शुरुवात आज.उठने में देरी के कारण सारे काम करने में देरी हो गई।तो फटाफट से तैयार होकर घर से निकालना पडा। बस स्टॉप पर भी काफी देर तक इंतजार करना पडा, वो कहते है ना सभी दिन
कौन है दुनिया में ऐसा आज, ना होता घर पे जिसका राज, हर एक के यादों में समाया, घर का हर एक कोना खास!हे देश में हो या विदेश में,झोपडी हो या फिर महलों में,सकुन का आखिरी मुकाम घर,याद आता मुझे मेरा प्यारा
हक से माँगते है हम, छुट्टी का एक जो दिन,थकान मिटती है सारी,होती खुद संग दोस्ती यारी।शनिवार को बनते है,ऐतवार गूजारने का तरीकाटेंशन सब छोड छाडकर,होते है हम बेफिक्र मलिका।छुट्टी का दिन सिखाता है,जिने का
बिखरा बिखरा है जुल्फों का, मुझपर एक हसीन सा साया, कहते है लोग देखकर उसे, वो खुदा का अजीज हमसाया। देखती है जब भी मेरी तरफ, दर्द भाग जाते खुशी की तरफ, जब पूकारती है आवाज देकर, पूरे अरमान जी उठते एक हो
छोटी मासूम नयनों में, था उसके खुशी का डेरा, पर नाजाने कुछ गम का, निशान था तन पे गहरा। रास्ते किनारे बैठी बिचारी, कब से नाजाने भूखी प्यासी, वक्त के सक्त हालातों ने, हुँवी थी जरासी वो रुहासी। नाम , पता
मैं श्वेत पुष्प बन, धवन नवल, दुनिया की चितवन खोज रहा । क्यूं नहीं , निहारता जग है, मुझे, भौंरे सा यह जग खेल रहा ?दुनिया तो रंग-बिरंगों में, है, अपना यौवन खोज रहा । &nb
मैं संत नहीं, कबीर नहीं । फिर भी कुछ, कहना चाह रहा ।कुछ मूल्यवान शब्दों की, लड़ियां अर्पित करना चाह रहा । जीवन में, अपने कर्मो का, रहता है, अस्तित्व बड़ा ।कुछ कर्मों से जग में
मैं परछाई, वफ़ा की जीती-जागती मिसाल हूं । कोई हमसफ़र साथ न हो, फिर भी, मैं, वफादार हूं ।लोग साथ छोड़ जाते हैं, मुसीबत में । हम हमेशा साथ रहते हैं, मुसीबत
सुन्दर सुबह, मन भा गयी मुझको । इक नया संदेश, दे गयी मुझको ।नया है, सवेरा, नयी आश हो । अच्छे कर्मों की जीवन में, सौगात हो ।चंद दिन का जीवन है, चंद दि
शांत नदी सा उसका मन, मैं लडकी चंचल चितवन, उसका प्यार सागर से गहरा, जैसे सूरज का रोशन पहरा! संजोक के रखता वो हर पल, जैसे कोई आनेवाला हो कल, कुछ तो थी बात ना जाने की, मन बावरा बन उडने को चाहे! गुस्सा मै
15 जून 2022 बुधवार 11:00 बजे रातमेरी प्यारी सहेली, आज का दिन मम्मी के पास ही गुजरा। वापस लौटने के नाम पर मम्मी पापा दोनों ही दुःखी हो गए। &nbs
तेरी मुरली की धुन पर, मैं बावली हो चली । तुझ बिन कुछ रास न आये, मैं तो अब, दीवानी हो चली ।लोक-लाज, मर्यादा, कुछ न रास आया, हमें । हर पल तेरे प्रेम ने, बावला बनाया, हमें ।प्या
इन फूलों की तरह हंसी ,क्यूं लगता है, तुम्हारा प्यार ? जब से तुम्हें चाहा है, क्यूं हो गया है, अजीब मेरा हाल ?करवटें बदल-बदल कर, रातें कट जाती हैं । नींद मेरे दिल पर, तुम्हारा
योग करके, निरोग हो जाइये । निरोग होकर, अपनी शक्ति को बढ़ाइये ।शक्ति सम्पन्न हो, अहं को मत लाइये । अहं पालकर, किसी और को, न सताइये ।जिन्दगी में शक्ति सम्पन्न भी, विनाश हो गये ।&
दिखाते है सब हम देखो कितने डूड कुल, पर सच कहूँ होते सब ज्वालामुखी के फूल, चीजों को छिपाते छिपाते हो जाते हम माहिर, की हम सब हो जाते है दर्द पीनेवाला साहिर। कितनी बातें मनमुताबिक ना हो पाती है यहाँ, कु
मूक वह, वशीकरण, जो पास ले आता है । वाद-विवाद, तो केवल, दूरी को दर्शाता है ।निशब्द हो, इंसान सब कुछ कह देता है, भाव से । प्यार पुष्पित हो ह्रदय में, झलकता है, आंखों के
कहना कुछ और चाहता हूं, मुंह से निकल जाता, कुछ और है । कभी-कभी गुस्सा करना चाहता हूं, पर लरज आता, प्रेम है ।कभी-कभी शिकायतें करने का, मन हो जाता है, पर दर्शा जाता सहानुभूति हूं ।&nbs
दुनिया के रिश्तों पर, यकीन न रहा । कान्हा के प्यार पर, यकीन हो चला ।जिन्दगी की भीड़ में , अकेला था बहुत । कान्हा के प्यार पर, भरोसा है, बहुत ।मुश्कि