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साप्ताहिक प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to Saptahik pratiyogita


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पानी के बुलबुले की तरह है , ये जिन्दगी ।    फिर भी खूबसूरत, नजर आती है ।जो जिन्दगी का हर लम्हा, हंसकर बिताते हैं ।     उन्हें वाकई में, जिंदगी, हंसी नजर आती है ।जो उदासियों मे

भाग्य से मिले या फिर मेहनत, कामयाबी लिखे अब किस्मत, चाहे बहे आसूँवों की बरसात, तरक्की से हो हम मालामाल। थोडा अपनों का मिले साथ, थोडा गैरों से मिले अपने हाथ, थोडी मिले हिम्मत की उधारी, फिर बने किस्मत ह

कहाँ किसीने यूँ बेशरमी में,पथ का मामूली पत्थर उसे,क्या जाने की पत्थर ने ही,आज तक रखा संभाले उसे। बचपन से पत्थरों में था पला,फटे हाल राह भटकता वो रहा,आज उसी पत्थरीले पथ पर,शान से सीना चौडा कर चला।

कितने सारी साहित्यों से आज,सजधजकर हुँवी है बेशकिंमती,सिर्फ कल्पनाओं की ऊँची उडान,पा लिया है हमने सारा आसमान।सदियों से संभालकर आज तक,लाया है बनाकर अनमोल खजाना,इतिहास से लेकर सायन्स तक भी,है पूरी धरती क

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ये आंखें , सब कुछ देखती हैं ।    खुशी हो या ग़म, सब कुछ झेलती हैं।खता इनकी, कुछ भी नहीं ।      फिर भी सजाएं, हकदार क्यूं , बनी रहती हैं ?किसी से, मोहब्बत करके ।    &

बिखर गये सपने, ख्वाहिशें मिट गयी जीवन की ।    फिर भी जिन्दगी, जीता हूं, कुछ नयी , उम्मीदों के साथ ।शायद कुछ नया हो जाये, नयी उम्मीदों के साथ ।    हौंसलें परस्त होते हैं, फिर भी हौं

एक ज़िम्मेदारी के चलते, ख्बाव से जूदा हुँवे रास्ते, दुनियादारी के होते हुँवे, अपनों की ओर चले रास्ते। एक हसता खेलता परिवार, पापा के जाते ही अनाथ हुँवा, माँ ही नहीं बल्कि

नफरत के बीज होते है कडवे, नफरत के बोल हमेशा कडवे,ना जाने कभी कहीं प्यार बाँटना,जाने सिर्फ  हर तरह विष बाँटना।हर एक जगह है  कटू सा वास्तव,मानो जैसे हो कोई दहकता विस्तव,आग भी लगाये नफरत सारी ओ

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ऐ ! मुरली वाले, तू हर जगह नजर आने लगा ।    अब तो तू , मेरे मन में, हरपल मुस्कराने लगा ।बावला हो चला हूं , तुम्हारे प्यार में ।     या, कोई झूठा वहम है , हमें ।क्यूं , हर जगह त

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ऐ ! सांवरे, तेरी मोहिनी मूरत, मेरे दिल में, बस गयी ।        हर घड़ी, इस दिल में, सिर्फ तेरी यादें रह गयीं ।जिधर देखता हूं , बस तू ही तू , नजर आता है ।        मै

जहर भरा होता है हमेशा,हरेक के जिंदगी में अधूरापन,हमेशा कुछ चूभता रहता है,रह रहकर दिल के अंदर।कितना चाहो पूरी तरह पाना,पर आधा अधूरा ही मिलता,जिंदगी एक अनमोल खजाना,पूरी उम्र कभी साथ ना चलता।कोई रिश्ते म

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ऐ ! राधारानी, तेरे प्रेम के आगे, नतमस्तक हो गया, सम्पूर्ण जगत ।    मैं तो बस तुम्हारे, चरणों की, भक्ति  चाहता हूं ।सचमुच, मैं तुम्हारे, चरणों में, आजीवन कैद, चाहता हूं ।    कि

भेदभाव है अपना बूरा,रह जाता निशाँ अधूरा,क्या करे कैसे बन पाए,जहाँ अपना खुशियों भरा।सदियों से भेदभाव ने मिलके,कितने शहर अबतक जला दिये,पता नहीं कितने घरों के चिराग,यूँही कत्ले आम होकर गिरे।कहाँ है एक बा

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अनगिनत कलियां, खिल उठीं, इस जहां में ।      प्रेम का संदेश दे गयीं, इस जहां में ।प्रेम से मिलजुल, रहने में भलाई है ।       एकता से ये, दुनिया हमेशा, जीत पायी है ।तित

जब मन उदास हो,लगे सब बेकार हो,तब नये से ढूँढना हो,अपना अलग एक अंश।चाहे कुछ ना हो पास,पर हर पल होता खास,नजरिया थोडा बदल लो,कुछ बेहतर  फिर पा लो।जब मन काफी उदास हो,तो सोच लेना अच्छा मौका,खुद के साथ

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सुन्दरता,अनेक रंग रुपों में, विकसित नजर आती है ।      कुदरत की कारीगरी, हर इक चीज़ में मुस्कुराती है ।सुन्दरता का कोई, इक, रुप नहीं होता ।      सचमुच, प्रेम का, कोई इक स्

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काश ! इस पक्षी की तरह, उड़ पाता, आसमान में ।    हौंसले , साकार हो पाते,मेरे, इस दुनिया के, इम्तहान में ।जमाने की फितरत है, हौंसलों को गिराने की ।    हमारी भी फितरत है, जमाने में कु

आज मैं बन चूकी हूँ नानी,याद है फिर स्कूल की दोस्तीजब स्कूल से डरती थी मैं,आज स्कूल से पक्की दोस्ती!याद है ऐसे जैसे कल की बात,चूपके से मैं झाँकी क्लास के अंदर,धीरे धीरे माहौल गया जो बदल,स्कूल ना हो जैस

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कांटों के साथ, रहता हूं, फिर भी मुस्करा लेता हूं ।   गमों के दौर में जीता हूं, फिर भी हंस लेता हूं ।ये ज़िन्दगी है, जनाब ! हंसना तो, पड़ता ही है ।   रोने से, किसी को कुछ, हासिल नही

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राधा-कृष्ण की सुन्दर जोड़ी, मेरे मन भायी है ।    प्रेम छवि दर्शन कर, मेरे मन में, उमंग छायी है ।काश ! ऐसा प्रेम, प्रेमियों की रुह में, उतर जाये ।    उन्हें सच्चे प्रेम की, परिभाषा

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