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साप्ताहिक प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to Saptahik pratiyogita


संदेश प्रियतम तक भेजने को, आगाह कर रही हूं ।     कोई संदेश न आया, इसीलिए बेताब हो रही हूं ।इक प्रेम जगाकर, कोई खबर, क्यूं न ली ?      इस तरह बेरुखी से, उन्होंने नजरें, क्

सोचा था किसने की मुझे,हो जायेगा एक दिन प्यार,बिन सोचे समझे छिनेगा,मासूम दिल का मेरे करार।हर पल में बस साथ बनके,वक्त की तरह साथ चलेगा,रुकना भी चाहूं कभी हारके,कहीं ना मुझे वो हारने देगा।हर एक रिश्ते से

जिंदगी है एक वरदान, आँसू खुशी का सामान, कहीं सुनहरी खिलती धूप, कहीं उजडा पडा कोई रुप। छाव आये यहाँ कभी कभी, पल में जिंदगी है बदले अभी, अपने कई पराये से है लगते, पराये मुश्किल में साथ निभाते। जितने की

जिंदगी में "चूड़ी"                       अनन्त राम श्रीवास्तव          पृथ्वी भी गोल है और चूड़ी भी गोल होती है। चूड़ी

खुब सारे विषयों से रोज, प्रतिलिपी जी ने नवाजा है, प्यार से नफरत तक लेकर अब विनाशकारी पे छोडा है। खुब भर भरके उधेड दे दिये, हमने भी जज्बात सारे अपने, गुस्से के संग हमने तब परोसे, प्यार के कुछ लजीज पकवा

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हौंसले बुलंद हैं, पर राह कठिन है ।       सुन्दर सुबह है, पर भटकाव बहुत हैं ।न अपनों का, कोई साथ है, न हमसफ़र कोई ।       फिर भी निकल पड़ा हूं, है, डर नहीं, कोई

आसान नहीं दिल का लगाना, प्यार में पडकर  हसना रोना, कभी भीड में भी तनहा होना, कभी तनहाई में भी साथ पाना। बडी बातों से भी दिल ना बहरता, छोटी चीजें मन को बहुत है भाँती,अपने मन की करना छोड हम सिर्फ ,

आजकल मुझसे ना होता,हिर रांझे के तरह का इश्क,जानती हूँ इसमें बहुत बडा,परिवार को खोने का रिस्क।यकिन जिसपे करे शायद वो,यकिन दिलाकर मुकड जाता,अपना होने आकर फिर भी,गैर के बाहों मे रहता झूलता।मैं ये नहीं कह

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ये पक्षी सिखा रहे, हमें संगठन के महत्त्व को ।        हम क्यूं , भूल चुके हैं, एकता के सत्य को ?एकता हमें, शक्ति का वरदान दे जाती है ।          सचमुच, एकता

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तेरी खूबसूरती के आगे, आज चांद भी शरमा गया ।        तुम्हारी कातिल निगाहों से, आज मेरी आंखों में, खुमार आ गया ।रोज देखता हूं, तुम्हें, गली के मोड़ पर, मुड़ते हुए ।    &nbs

आज ईमान, नीलाम हो चला है ।       हमें इस जमाने में, क्यूं , झूठ से प्यार हो चला है ?किसी की बात का वजूद, इस जमाने में न रहा ।       अब गमों को भुलाने का इलाज, म

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इस सुंदर जहां में, इक बात नज़र आती है ।          कभी-कभी , कीचड़ में भी, सुन्दरता निखर आती है ।सुन्दरता,पलती है,केवल सुन्दर, आशियानों में।          &n

भूली बिसरी कोई कहानी,आज तुमने याद दिला दी,बरोसे के पुराने घाव को,हवा देकर ताजा किया।हर किसी की एक कहानीनफरत या प्यार की पुरानी,मैं तो अपनी क्या ही कहूँ,ना दोस्ती ना प्यार की बोली। जरुरत खिंच लाई उसे प

कीचड़ में भी, सुन्दर फूल खिल सकता है ।       हमारे सूखे ह्रदयों में भी, प्रेम पल सकता है ।सिर्फ जरुरत हे, प्यार की परिभाषा समझने की ।        मैं तो कहता हूं, बं

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आज ये आंखें, उम्र कैद की, सजा सुना ही गयी ।     प्यार करने का, कोई इरादा न था ।फिर भी प्रेम की चेतना, दिल में, जगा ही गयी ।      सुबह शाम खोजता हूं, इन्हीं निगाहों को ।का

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प्रकृति ने सुन्दरता, बिखेर दी है, जमाने के लिए ।       जमाना क्यूं , निरुपाय हो चला, सुन्दरता निहारने के लिए ?काश ! सुन्दरता को संजो लेता, मानव मन में ।      तो दुनि

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तू कालों का काल, महादेव है ।      तू ही सृष्टि का रचयिता, जगत का संहारक है ।तेरी कृपा दृष्टि से, यमराज भी भयभीत हैं ।      तू अगर चाहे, तो प्राणों को बचा सकता है ।तू अपनी

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तेरी किरणों से रोशन है, सारा जहां ।       तुझ बिन जिन्दगी है, सम्भव कहां ?तू उजाला न दे, अंधियारा रहे ।         सारे जहां, को करता, तू रोशन यहां ।अंधकार का

यूँ तो है वो शैतान की खाला,नटखट, चंचल वो मधूबाला,नखरे देख हँसी निकल जाये,मेरी बेटी है मेरी प्यारी बॉस।छोटी पर डिमांड बडी है उसकी,छबी है बिल्कुल राधा मोहन सी,जब पास रहती उधेरकूद मचाती,ना साथ हो तो बहुत

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इन खूबसूरत वादियों में, तेरा साथ हो ।      तो मेरे दिल को, इक नयी खुशी का एहसास हो ।तेरा साथ हो, तो रेगिस्तान में भी, फूल खिल जाते हैं ।       तेरा साथ न हो, तो बहार

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