मैं सड़क हूँसबकी तरक्की का रास्ता मैं बनाती हूँसबको मँजिल पर मैं पहुँचाती हूँलेकिन मैं वहीं पड़ी रह जाती हूँमैं सड़क हूँ...दौड़े जाते हैं सब मेरे सीने परकिसी को चिन्ता मेरी नहीं सताती हैसुरक्षित सफ़र हो सब
खाली ही तो पन्ना हैसोचती हूँ लिख दूँमैं अल्फाज अपनेरंग मुहब्बत के सुर्ख लाल से।शहर की सड़क कभी खाली नही होतीगाड़ियों की आवाजाही लगी रहती हैबस चंद लम्हों के लिये रुक जाती हैएक सन्नाटा पसरा जाता है।गाड़ियो