shabd-logo

शापित बस्ती भाग 4

3 अक्टूबर 2021

29 बार देखा गया 29

मोहनलाल के जाने के बाद मैं इन सब बातों पर गौर कर ही रहा था तभी अचानक मोहनलाल मेरे पास दोबारा वापस आ गया और वह मुझे देखकर कहने लगा डॉक्टर साहब आपसे मिलने आपके दोस्त इंस्पेक्टर खान आए हैं इंस्पेक्टर खान का नाम सुनकर मैं अचानक चौक पड़ा....

और मैंने मन ही मन में सोचा कि इंस्पेक्टर खान इस वक्त यहाँ पर.. सब खैरियत तो है.....
दरअसल जब मेरी इस गांव में पोस्टिंग हुई थी मैं तभी से इंस्पेक्टर खान को जानता था वह एक दो बार अपनी बीवी का इलाज कराने के लिए मेरे ही पास आए थे तब से मेरा और उनका रवैया आपस मे थोड़ा दोस्ताना हो गया था इंस्पेक्टर खान बहुत ही हंसमुख स्वभाव वाले व्यक्ति थे हालांकि वह उम्र में मुझसे बहुत बड़े थे लेकिन फिर भी वह मुझसे ऐसे बातें करते थे जैसे कि वह मेरे हम उम्र हो....

मैंने मोहनलाल से कहा
ठीक है उन्हें अंदर भेज दो...
थोड़ी ही देर बाद मेरे सामने इंस्पेक्टर खान बैठे हुए मुस्कुरा रहे थे..
सलाम दुआ होने के बाद इधर उधर की बातें होने लगी फिर थोड़ी ही देर बाद इंस्पेक्टर खान मुझसे खुद बोले दरअसल आप सोच रहे होंगे कि मैं बेवक्त आपके पास क्यों आ गया....
मैंने इंस्पेक्टर खान की तरफ देख कर मुस्कुरा कर कहा
.. नहीं ऐसी कोई बात नहीं...
पर मेरा दिमाग अभी भी थोड़ा उलझा हुआ था.. पिछली बातो को ले कर...
फिर वह मुझे देखकर कहने लगे
क्या बात है डॉक्टर साहब आप कुछ परेशान से दिख रहे हैं
मैंने बात को टालने के अंदाज में कहा
अरे नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं इस्पेक्टर साहब आप तो जानते हैं कि कभी कभी रात को मरीज अक्सर यहां पर आ जाते हैं और कभी कभी नींद पूरी नहीं हो पाती बस थोड़ी सी थकान है और इस से ज्यादा कुछ नहीं......
एक बात पुछु डॉ साहब...आप को यहाँ पर किसी भी तरह कि तकलीफ तो नहीं...
नहीं ऐसी कोई बात नहीं.. यहाँ के लोग तो बहुत अच्छे हैँ खान साहब...
हाँ यहाँ के लोग तो बहुत अच्छे हैँ.. पर यहाँ कोई डॉ ज़्यादा दिन तक टिक नहीं पाता
मैं आप कि बात का मतलब नहीं समझा खान साहब...
मेरी बात सुन कर इंस्पेक्टर खान मुझे गौर से देखने लगे..
कुछ नहीं... डॉ साहब...
तो लगता है आप बहुत थके हुए हैँ
हाँ खान साहब पर ये सब तो चलता रहता है..
मेरी बात सुनकर इंस्पेक्टर खान मुस्कुराने लगे
तो ठीक है आपकी थकान आज हम उतार देते हैं दरअसल आपकी आज हमारे यहां पर दावत है और मैं आपको इनवाइट करने ही आया हूं...
मैं उनकी बात सुनकर इंस्पेक्टर खान की तरफ देखने लगा क्योंकि मेरा मूड बिल्कुल नहीं था इस वक्त कहीं बाहर जाने का फिर मैंने इंस्पेक्टर खान से टालने वाले अंदाज में कहा

इंस्पेक्टर साहब... दावत की क्या जरूरत है....
मेरी बात सुनकर इंस्पेक्टर खान फिर हंसने लगे और वह मुझसे कहने लगे
मैं जानता था मियां तुम जरूर कोई बहाना मारोगे लेकिन आज मैं तुम्हारा बहाना कोई नहीं चलने दूंगा आज तुम्हें मेरे घर पर दावत में शरीक होना है और मैं तुम्हें यहां पर ले जाने के लिए ही आया हूं आज मैंने भी छुट्टी ले रखी है
इंस्पेक्टर खान की बात सुनकर मैं उन्हें मना नहीं कर पाया फिर वह मुझसे कहने लगे
आप मेरे घर चलिए लोगों से थोड़ा मिलेंगे  आप  तो हो सकता है आपका आपकी थकान भी उतर जाए
मैंने उन से हारे हुए अंदाज में कहा
ठीक है इंस्पेक्टर खान मैं चलता हूं थोड़ी ही देर बाद में तैयार होकर इंस्पेक्टर खान की जीप में सवार होकर उनके घर की तरफ जा रहा था
वह मुझसे रास्ते में इधर-उधर की बातें कर रहे थे और मैं उन्हें जवाब में सिर्फ मुस्कुरा कर देख रहा था और कभी कबार उनकी बातों का हां या ना में जवाब दे देता थोड़ी ही देर बाद मैं इंस्पेक्टर खान के घर पर था

इंस्पेक्टर खान की की फैमिली ज्यादा बड़ी नहीं थी उनके परिवार में सिर्फ उनके दो बड़े बेटे और उनकी बीवी थी उनका कोई बेटी नहीं था
इंस्पेक्टर खान के घर में मेरा बहुत ही जोरदार तरीके से स्वागत हुआ था मानो कि मैं उनका कोई रिश्तेदार हूं थोड़ी देर के बाद मैं उनकी फैमिली की मोहब्बत देखकर वह सब कुछ भूल गया जो कुछ घंटों पहले मेरे साथ हुआ था
फिर थोड़ी देर बाद इंस्पेक्टर खान ने मुझसे कहा
मैंने तुमसे कहा था ना डॉ साहब कि लोगों के साथ घुलोगे मिलोगे और ख़ासतौर मेरी फैमिली में जब आओगे तो आपकी सारी थकान दूर हो जाएगी...
मैं उनकी बात पर मुस्कुरा कर रह गया मैं और इंस्पेक्टर खान बातें कर ही रहे थे तभी अचानक कमरे में किसी व्यक्ति का प्रवेश हुआ
मैंने देखा कि एक नूरानी शख्स इंस्पेक्टर खान के कमरे के अंदर आ रहे थे और इंस्पेक्टर खान बड़े ही अदब के साथ उठकर खड़े हो गए उनकी देखा देखी मैं भी इंस्पेक्टर खान के साथ उठ कर खड़ा हो गया
थोड़ी ही देर बाद मेरे सामने एक बुजुर्ग और इंस्पेक्टर खान एक सोफे पर बैठे हुए थे
इंस्पेक्टर खान ने बड़ी ही मोहब्बत के साथ उन्हें सलाम किया और जाकर उनके गले लग गए बुजुर्ग ने उनकी पीठ थपथपाई और वह दुआएं देने लगे मैं यह सारा का सारा माजरा देख रहा था फिर बुजुर्ग ने मेरी तरफ नजर दौड़ाई
मगर जैसे ही बुजुर्ग ने मेरी तरफ नजर दौड़ाई तो मेरी हैरत की इंतहा नहीं रही मैं इन बुजुर्ग को कैसे भूल सकता था यह वही बुजुर्ग थे जो रात में मेरे सपने में आए थे

फर्क सिर्फ इतना था कि जिन बुजुर्ग को मैंने सपने में देखा था उनकी आंखों की पुतलियाँ नहीं थी और उनका चेहरा थोड़ा सख्त था.... और गुस्से वाला था...
अगर उस सपने वाले बुजुर्ग की आंखें सही होती और चेहरा थोड़ा नॉर्मल होता तो यकीनन वह हूबहू इन्हीं की तरह कार्बन कॉपी लगते...
इंस्पेक्टर खान मेरी तरफ देखकर मुखातिब हुए और वह मुझसे बोले डॉक्टर साहब यह हमारे पीर हैँ इनकी दुआओं ने हमारा बहुत साथ दिया है इन्हें कोई मामूली हस्ती ना समझना यह बहुत पहुंचे हुए बुजुर्ग हैं
मैं इंस्पेक्टर खान की बात सुन कर मुस्कुरा कर रह गया
और फिर मैंने बड़े अदब के साथ बुजुर्ग को सलाम किया
मेरे सलाम का जवाब देकर वह बुजुर्ग मेरी तरफ देखने लगे
वह मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे उनकी मुस्कुराहट बहुत ही मानीखेज थी....
फिर उन बुजुर्ग ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझसे बड़ी मोहब्बत से बोले
क्या सोच रहे हो नौजवान मुझे इतनी गौर से क्यों देख रहे हो
मैं उनकी बात पर उनकी शक्ल को देखने लगा शायद वह मेरी स्थिति को भाँप गए थे
फिर वह मुस्कुरा कर बोले
मैं जानता हूं नौजवान तुम क्या सोच रहे हो तुम शायद अपने सवालों का जवाब ढूंढ रहे हो मगर यकीन मानो तुम्हें तुम्हारे सवालों के जवाब तुम्हें बहुत जल्द मिल जाएंगे...

मैं  इस घर में 1 हफ्ते रहूँगा...तुम्हें किसी भी प्रकार की मुसीबत का सामना करना पड़े या कोई परेशानी का सामना करना पड़े तो बेझिझक तुम इस घर में आ जाना.. मेरे पास...
और हां  इस घर में ही आना अपने घर पर मत चले जाना
मैं उनकी बात सुनकर दंग रह गया....
उनकी बातों से ऐसा लग रहा था जैसे कि वह मेरे बारे में सब कुछ जानते हो फिर मैंने बहुत ही अदब से  कहा...

मैं आपकी बात का मतलब नहीं समझा हजरत....
कुछ बातें राज में रहे और समझ में ना आए तो ही अच्छा है तुम्हें मेरी बात का मतलब जल्द पता लग जाएगा
और उसके बाद उन्होंने अपनी जेब से निकाल कर मुझे एक ताबीज दिया और कहा इसे पहन लो नौजवान और इस ताबीज को अपने कपड़ो के अंदर हमेशा छुपा कर रखना....
इस ताविज़ को किसी के सामने जाहिर मत होने देना....
मैं उनकी बात सुनकर इंस्पेक्टर खान की तरफ देखने लगा इंस्पेक्टर खान ने मुझसे कहा
कि बुजुर्ग जो कह रहे हैं उन्हें मान लो मैंने कहा था  डॉक्टर साहब की ये बहुत पहुंचे हुए बुजुर्ग हैं और वैसे भी ताबीज पहनने में क्या जाता है
मैं इन सब बातों पर यकीन नहीं करता था मगर उनके  इसरार के बाद मैंने वह ताविज़ पहन लिया
फिर खाना खाने से फ़ारिग होने के बाद इंस्पेक्टर खान मुझे छोड़ने के लिए मेरे घर तक आए...
और मैं इंस्पेक्टर खान को जाते हुए देखता रहा...
मैंने घड़ी की तरफ जब नजर दौड़ाई तो मैंने देखा घड़ी उस वक्त रात के 10:00 बजे आ रही थी
मैं अपने बेड पर जाकर लेट कर उन बुजुर्ग के बारे में सोचने लगा मुझे उन बुजुर्ग की बातें बहुत ही अजीब लगी थी और वह इत्तेफाक भी मुझे बहुत ही अजीब लगा था कि कल रात में ही मैंने उन बुजुर्ग को ख्वाब में देखा था...
फिर उन बुजुर्ग का मुझसे कहना कि अगर मैं कोई मुसीबत का शिकार हुआ तो मेरे पास आना जाना
मैं यह सोचने पर मजबूर हो गया क्या वाकई में मुझ पर कोई मुसीबत आने वाली है यह सारी बातें सोचते सोचते मैं कब नींद की आगोश में पता चला गया मुझे पता ही नहीं चला
मैं  सुबह देर तक सोता रहा
मेरी आँख 11 बजे  खुली
मैं जल्दी से नहा धोकर फ्रेश होकर  अपने अस्पताल की तरफ चला गया
आज मुझे नादिया का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार था
मेरी आंखें नादिया को देखने के लिए बुरी तरह से बेताब थी सुबह से लेकर शाम तक मैंने नादिया का इंतजार किया मगर वहां पर कोई नहीं आया
मैंने बहुत बार मोहनलाल को बाहर भेज कर दिखवाया मगर मोहनलाल ने यही बताया कि  डॉक्टर साहब यहां पर अभी तक कोई नहीं आया
मैं खुद बाहर जा कर बड़ी बेचैनी से नादिया का इन्तिज़ार करने लगा..
थमोहनलाल ने मुझसे एक दो बार पूछा भी
डॉक्टर साहब आज रात में घर नहीं जाना क्या आप को...आपका टाइम तो खत्म हो गया आप अक्सर इतने बजे अपने घर पर चले जाते हैं
मैंने मोहनलाल को यह कह कर टाल दिया कि हां मैं थोड़ी देर बाद चला जाऊंगा तुम परेशान मत हो मैं मोहनलाल को जाहिर नहीं करना चाहता था कि मैं नादिया का इंतजार कर रहा हूं पता नहीं वो मेरे बारे मे क्या सोचता...
मैंने घड़ी की तरह जब नजर दौड़ाई तो मैंने देखा घड़ी रात के 9:00 बजा रही थी
मैं थक हार कर अपने केबिन में बैठ गया और सोचने लगा कि लगता है  नादिया आज नहीं आएगी
और मैं मन ही मन में खुद को कोसने लगा कि मुझे कम से कम पूछ लेना चाहिए था कि वह लोग कहां रहते हैं थक हार के मैं अब अपने क्वार्टर की तरफ जाने लगा
मैं अस्पताल से बाहर निकल ही रहा था तभी मैंने देखा कि एक बूढ़ा मेरी तरफ बहुत तेजी के साथ चलता हुआ आ रहा था
मैं उसे गौर से देखने लगा अब वह बूड़ा मेरे बहुत ही ज्यादा करीब आ चुका था मुझे उसे पहचानने में कोई खास दिक्कत नहीं हुई थी वह नादिया का बाप था मगर उसके साथ नादिया नहीं थी और ना ही नादिया की मां थी
वह अकेला आया था मुझे उसे अकेला आते देख बड़ा अजीब लगा
दरअसल गाँव पहाड़ी इलाके में था और वहां  9:00 बजे के बाद सन्नाटा छा जाता था गांव के लोग अक्सर जल्दी सो जाया करते हैं अस्पताल के कुछ ही लोगों को छोड़कर ज्यादातर सभी लोग वहां से जा चुके थे सिर्फ वही लोग वहां पर थे जिनकी ड्यूटी नाइट में लगती थी मैं नदिया के बाप देखकर वहां पर रुक गया
वो अब मेरे अब बिल्कुल नजदीक आ चुका था मैंने देखा कि वह बहुत परेशान लग रहा था फिर मैंने नादिया के बाप से पूछा क्या हुआ तुम अपनी बेटी को साथ नहीं लाये...खैरियत तो है...
  मेरी बात सुनकर वो मुझे देखने लगा फिर थोड़ी देर के बाद वह मुझसे बोला दरअसल मैं अपनी बेटी को यहां पर आप को दिखाने के लिए लाने वाला था डॉक्टर साहब लेकिन अब उसकी तबीयत फिर से खराब हो गई है वह फिर से किसी से कुछ नहीं बोल रही है...
सबको बस देख रही है
मैं नादिया के बाप की बात सुनकर नादिया को बाप को गौर से देखने लगा शायद मैं उसे समझने की कोशिश कर रहा था कि उस के कहने का मतलब क्या है...
मैं तुम्हारी बात का मतलब नहीं समझा...
मतलब डॉ साहब नादिया कि आज सुबह से ही तबियत ठीक नहीं है वो बस लेती हुई है उस ने आज सुबह से कुछ खाया भी नहीं है....
अगर ऐसी बात थी तो आप को सुबह ही मेरे पास ले कर आना चाहिए था..
डॉ साहब मैंने उस से कहा था मगर वो यहाँ आने के लिए राज़ी नहीं है  .. उस ने मुझ से कहा कि डॉ साहब को आप यहाँ ले आओ..
डॉक्टर साहब मैं अपनी बेटी से बहुत ज्यादा मोहब्बत करता हूं मैं उसके लिए कुछ भी कर सकता हूं मैंने आपसे पहले ही कहा था बस मेरी बेटी ठीक हो जाए वह खुश रहने लगे मेरे लिए यही बहुत बड़ी बात है
फिर मेरे जहन में एक ख्याल आया जो कि मैं आज सुबह से ही सोच रहा था मैंने नदिया के बाप से कहा अच्छा एक बात बताओ तुम काम क्या करते हो
मेरी बात सुन कर वह चौक कर मेरी तरफ देखने लगा
कुछ नहीं डॉ साहब मैं  मजदूरी करता हूं और कुछ नहीं
यह कह कर वह मुझसे फिर से आंखें चुराना लगा
मैं उसे बहुत ही गौर से देख रहा था
फिर थोड़ी देर के बाद मैंने उससे कहा कल तुमने मुझे हजार रुपए  दिए थे एक मजदूर के पास इतने पैसे नहीं होते
वह बूड़ा मेरी बात सुनकर खामोश हो गया
फिर थोड़ी देर के बाद वह बोला
बात ऐसी है डॉक्टर साहब कि मैं अपने जमाने का बहुत बड़ा कारोबारी आदमी हुआ करता था मगर किन्ही वजह से मेरा कारोबार बर्बाद हो गया मैं तबाह हो गया और मैं सड़क पर आ गया बस थोड़ी सी जमा की हुई रकम है मेरे पास जो मैंने अपनी बेटी की शादी के लिए रखी हुई है दहेज़ के लिए..पर मुझे सब से ज़्यादा फ़िक्र अपनी बेटी कि सेहत कि है...आप अच्छी तरह से जानते हो डॉक्टर साहब जब किसी अमीर आदमी का कारोबार बर्बाद हो जाता है तो आसपास के लोग उसे किस निगाह से देखते हैं....उस कि इज़्ज़त ख़तम हो जाती है...
पता नहीं क्यों मुझे उसकी बात पर यकीन नहीं आ रहा था
मगर मैंने उससे कुछ कहा नहीं
ठीक है मुझसे क्या चाहते हो
मैं आपको अपने घर ले जाने के लिए आया हूं डॉक्टर साहब आप मेरे साथ मेरे घर पर चलें और मेरी बेटी को देख लें कि उसे क्या हुआ है इस से पहले हमने उसका इलाज कई डॉक्टरों से करवाया मगर कोई फायदा नहीं हुआ लेकिन परसो जब वो आपके पास आई तो मुझे काफी सही नजर आई आपके हाथों में शिफा है डॉक्टर साहब..
मैं बूढ़े की बात सुनकर सोचने लगा कि इस बूढ़े के मुताबिक नादिया का इलाज इससे पहले कई डॉक्टरों से करवाया गया मगर कोई फायदा नहीं हुआ
मगर नादिया कि माँ ने मुझे ऐसी कोई बात नहीं बतलाई और मैंने नादिया को खुद देखा था वह बिल्कुल सही थी उसे किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं थी यह सारी बातें सोच कर मैं एक बार फिर गहरी सोच में पड़ गया मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था....
मैं ये सब सोच ही रहा था कि वह बूढ़ा मेरे सामने गिड़गिड़ाने  लगा
मुझ पर रहम खाओ डॉक्टर साहब मेरे घर पर चलो... एक बार मेरी बेटी को देख लो...
मुझे तुम्हारे घर चलने में कोई एतराज नहीं है मैंने नदिया के बाप को देख कर कहा लेकिन इस वक्त रात बहुत ज्यादा हो गई है डॉक्टर साहब मेरा घर ज्यादा दूर नहीं है बस यही करीब में ही है आप चिंता मत करो मैं आपको आपके घर सही सलामत छोड़ दूंगा वह बहुत ही इल्तजा भरे लहज़े मे मुझसे बोला...
मैंने देखा कि उसकी बाप की आंखों में आंसू थे..
पता नहीं क्यों मुझे उस वक्त उस पर बहुत तरस आने लगा

ठीक है अगर तुम्हारी यही मर्ज़ी है तो मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूं मैं एक डॉक्टर हूं और डॉक्टर का पहला काम होता है किसी भी हालत में मरीज की देखभाल करना और उसका इलाज करना मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूं कहां है तुम्हारा
घर आप मेरे पीछे-पीछे आइए...
ठीक है..


Jyoti

Jyoti

बहुत खूब

11 दिसम्बर 2021

Kasim ansari

Kasim ansari

11 दिसम्बर 2021

Thank you..

6
रचनाएँ
शापित बस्ती
5.0
ये कहानी एक ऐसे डॉक्टर कि है जिस के साथ ऐसा डरावना वाक्या पेश आया जिस ने उस कि जिंदिगी को बदल कर रख दिया.. हमारी दुनिया मे कुछ ऐसा भी होता है जिस पर कभी कभी यकीन करना बहुत मुश्किल हो जाता है..
1

शापित बस्ती भाग 1

30 सितम्बर 2021
4
1
2

<p dir="ltr"><br> कभी कभी हमारी जिंदिगी मे कुछ ऐसा होता है जिस पर यकीन करना हमारे लिए बहुत मुश्किल ह

2

शापित बस्ती भाग 2

1 अक्टूबर 2021
4
3
5

<div align="left"><p dir="ltr">मैं उस औरत की बात सुनकर हक्का-बक्का उसकी तरफ देखने लगा मेरी समझ में क

3

शापित बस्ती भाग 3

2 अक्टूबर 2021
2
2
2

<div align="left"><p dir="ltr">मोहनलाल ने सही कहा था लगभग 15 मिनट के बाद हम लोग एक मकान के सामने खड़

4

शापित बस्ती भाग 4

3 अक्टूबर 2021
2
2
2

<div align="left"><p dir="ltr">मोहनलाल के जाने के बाद मैं इन सब बातों पर गौर कर ही रहा था तभी अचानक

5

Shaapit basti bhaag 5

4 अक्टूबर 2021
2
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">मैं नदिया के बाप के पीछे पीछे चलना लगा...<br> मेरे दिमाग़ में बहुत से

6

शापित बस्ती आखिरी भाग

10 अक्टूबर 2021
2
1
4

<div align="left"><p dir="ltr">नादिया बात करते-करते रोने लगी फिर वो एक ठंडी आह भरकर बोली अगर मैं दुन

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए