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शापित बस्ती आखिरी भाग

10 अक्टूबर 2021

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नादिया बात करते-करते रोने लगी फिर वो एक ठंडी आह भरकर बोली अगर मैं दुनिया में सबसे ज्यादा किसी से नफरत करती हूं तो अपने बाप से करती हूं मैं उसकी बात सुनकर उसे ना समझने वाले अंदाज में देखने लगा और हकीकत भी यही थी कि उस वक्त मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि यह आखिर चल क्या रहा है

फिर मैंने नादिया से पूछा....
आगे क्या हुआ......
मेरी बात सुनकर नादिया मेरी तरफ देखने लगी
फिर वह थोड़ी देर बाद बोली
आगे की बात सुनकर शायद तुम्हें थोड़ी हैरानी हो और तुम्हें अजीब लगे मगर यकीन मानो मेरा एक-एक अल्फाज सच्चा है

मैं तुम्हारी बात का मतलब नहीं समझा नादिया आखिर तुम कहना क्या चाहती हो तुम अपनी पूरी बात खत्म करो फिर हमें पुलिस को भी इन्फॉर्म करना है.....
मैंने तुमसे कहा था ना डॉक्टर साहब कि पुलिस को बाद में
बुला लेना...कोई जल्दबाजी नहीं है....
नादिया की बातें अब मेरी समझ से बाहर होती जा रही थी
हम एक मैदान में बैठे हुए थे और हमें बैठे हुए भी काफी वक्त हो गया था मुझे यह सोच सोच कर टेंशन हो रही  थी कि पता नहीं नादिया कि मां मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी कहीं वह मुझे गलत ना समझ रही हो..

मैं यह सब बातें सोच ही रहा था तभी नादिया के अल्फाज फिर से मेरे कानों में पड़े अब आगे की कहानी सुनो डॉक्टर साहब.......
मैं फिर से नादिया की तरफ देखने लगा
मैंने अपने बाप के मना करने के बावजूद भी अफ़रोज़ से मिलना नहीं छोड़ा मैं बराबर उससे मिलती रही जितनी ज्यादा मोहब्बत मैं उस से करती थी  उससे ज्यादा मोहब्बत अफरोज मुझसे करता था मैं अफ़रोज़ को किसी भी कीमत पर पाना चाहती थी क्योंकि वह मेरे बचपन की मोहब्बत था...मैं उसके अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती थी
मेरी खाला ने मुझसे बहुत मना किया वही खाला जिनसे तुम अभी अभी मिल कर आए हो उन्होंने मुझसे हर बार यही कहा कि अब तुम्हारा बाप बहुत बड़ा आदमी बन चुका है वह मेरे बेटे को कभी नहीं अपनायेगा...तुम अपने बाप की बात मान लो और जहां वह चाहता है वहां शादी कर लो
मगर मैंने खाला की भी नहीं सुनी मैं अपनी मोहब्बत के लिए अपने बाप से बगावत करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी..
एक दिन मैं अफरोज से मिलने के लिए उसके घर पर गई तभी अचानक वहां पर मेरा बाप अपने कुछ आदमियों के साथ लेकर आ गया
क्यों कि मुझे पता नहीं था कि मेरा बाप मुझ पर निगाह रखे हुए था और वह इसी मौके की तलाश में था
कि वो मुझे और अफ़रोज़ को रंगे हाथों पकड़े
मैंने अपने बाप से बहुत मिन्नते की....
कि मैं इससे शादी करना चाहती हूं मैं इसके अलावा किसी और के बारे में नहीं सोच भी नहीं सकती.....
मेरा निकाह इससे करा दो आप......
उसके बाद जो कहोगे मैं करूंगी......
लेकिन मेरा बाप मेरी एक बात भी सुनने के लिए तैयार नहीं था उसकी आंखों पर खून सवार था और दौलत का गुरूर और घमंड उसमें पूरी तरह से भर चुका था उसने देखते ही देखते मेरी आंखों के सामने मेरे मेरे अफ़रोज़ को गोली मार दी और मुझे घसीटता हुआ वहां से ले गया
मैं रोती रही चिल्लाती रही तड़पती रही मगर मेरे बाप ने एक नहीं सुनी मेरी खाला की चीखो की आवाजे  मेरे कानों में लगातार आ रही थी मगर मेरे बाप का दिल नहीं पसीजा मैं जानती थी कि अफ़रोज़ अब इस दुनिया में नहीं रहा वह मर चुका है फिर भी मैं अपनी खाला के पास रोज जाती हूं
वह यही समझती हैं आज भी  उनका बेटा जिंदा है.....
मुझे नादिया कि यह बात बहुत ही ज्यादा अजीब लगी....
ऐसे कैसे हो सकता था  किसी भी आदमी का मरने के बाद उस का बदन सही सलामत नहीं रहता
मुझे उस वक़्त नादिया का दिमागी हालत ठीक नहीं लगी
फिर मैंने देखा बात करने मे अब नादिया की जुबान भी लड़खड़ा रही थी और उसका चेहरा नीला पड़ने लगा था

मैंने नदिया से पूछा... नादिया क्या हुआ.. तुम ठीक तो हो तुम्हारे बाप ने तुम्हारे प्रेमी को गोली मार दी तुम ने पुलिस मे शिकायत क्यों नहीं करी अभी तक....
मेरी पूरी बात तो सुनो डॉक्टर साहब
मैं यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी और मैंने भी जहर खा लिया यह कहकर नादिया बुरी तरह से खांसने लगी मैं हक्का-बक्का नादिया की तरफ देख रहा था
मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था मैंने देखा नादिया का जिस्म  और चेहरा पूरी तरह से नीला पड़ने लगा था उसकी सांस नहीं आ रही थी इतनी कड़ाके की सर्दी में मेरे माथे से पसीना बहने लगा और मेरा पूरा बदन पसीने से सराबोर हो गया मैं सोच रहा था कि अगर नादिया को यहां पर कुछ हो गया तो इसके घर वाले मुझ पर ही इल्जाम देंगे मेरे ऊपर से आशिकी का भूत उतर चुका था कुछ देर पहले जो मुझे नादिया से हमदर्दी हो रही थी वह बिल्कुल खत्म हो चुकी थी...

मेरे देखते ही देखते नादिया जमीन पर गिर गई
मैंने नादिया को उठाया मगर उसकी सांसें बहुत धीमी चल रही थी और उसकी नब्ज धीमी पड़ती जा रही थी
मैंने नादिया को पुकारना शुरू कर दिया
नादिया क्या हुआ तुम्हें..... तुम ने जहर कब खाया बस उसके इतने अल्फाज मेरे कानों में पड़े ..
आपके आने से थोड़ी देर पहले मैंने जहर खाया है डॉक्टर साहब और यह कहकर उसने अपनी आंखें बंद कर ली मैंने उसकी नब्ज चेक की जो कि अब नहीं चल रही थी
नादिया ने मेरी बाहों में दम तोड़ दिया था वह मर चुकी थी मैं पागलों की तरह इधर-उधर देखने लगा मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं
फिर मेरे दिल में एक बार फिर खयाल आया कि भागकर अपने अपने क्लीनिक चला जाऊं और इस बवाल से छुटकारा पाऊं फिर दूसरे ही पल मेरे दिल में यह ख्याल आया कि अगर ऐसा हुआ तो नादिया के मां-बाप मुझे ही इसका हत्यारा समझेंगे

मैं बहुत कशमकश में पड़ गया और मैं बहुत बुरी तरह से घबरा गया
मैं नादिया को वहीं छोड़कर नादिया के घर की तरफ बुरी तरह से बदहवासी की हालत में भागने लगा
थोड़ी ही देर के बाद मैं नादिया की हवेली के पास पहुंच गया था और मैंने बुरी तरह से कुंडी बजाना शुरू कर दी
दरवाजा खोलिए दरवाजा खोलिए मेरी बात सुनिए करीब 5 मिनट तक चीखते चीखते मेरी हालत खराब होने लगी...
थोड़ी ही देर के बाद दरवाजा नादिया के बाप ने खोला और वह मेरे सामने खड़ा था और वह मुझे अजीब सी नजरों से देख रहा था नदिया के बाप ने मुझसे पूछा
क्या हुआ डॉक्टर साहब तुम इतने घबराए हुए क्यों हो..
मैं नादिया के बाप को बदहवासी की हालत में देखने लगा मेरी जुबान काम नहीं कर रही थी और दिमागी तवाज़ुन भी काम नहीं कर रहा था मैं सोच रहा था कि उन्हें कैसे बताऊं कि अब उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं है
यह लोग तो यही समझेंगे कि मैंने ही उसे मारा है...
बारहाल जो भी हो सच्चाई तो मुझे बतानी ही थी
मैंने नादिया के बाप को हांफ़्ते हाँफ्ते सारी बात बता दी....

मैंने उन्हें बताया कि उनकी बेटी ने जहर खा लिया है और वह अब इस दुनिया में नहीं है उसकी लाश वहां उस मैदान में पड़ी हुई है
मगर मेरी हैरत की इंतहा ना रही मेरे ऐसा कहने के बाद और यह सब सुनने के बाद उसके बाप के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा बल्कि वह उल्टा मुझसे कहने लगा
कैसी बातें करते हो डॉक्टर साहब मैं आपको कुछ देर के लिए यहां पर अकेला छोड़ कर चला गया था मुझे बाहर काम था आप कहां गए थे
मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था
मैंने  बदहवासी की हालत में नादिया के बाप से कहा कैसे आदमी हो तुम मैं तुम्हें बता तो रहा हूं कि तुम्हारी बेटी ने जहर खा लिया है मेरी बात सुनकर नादिया का बाप मुस्कराने लगा...

अचानक नदिया के बाप ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने घर के अंदर की तरफ खींचने लगा आओ डॉक्टर साहब अंदर बैठ कर बात करते हैं मैं उसके साथ बदहवासी की हालत में उसके घर के अंदर चला गया फिर वह मुझे एक कमरे की तरफ ले गया

जैसे ही मैं कमरे के अंदर कि तरफ घुसा...
मुझे यह देखकर एक और बहुत तगड़ा झटका लगा मेरी आंखों के सामने यकीन ना करने वाला मंज़र था
नादिया बिस्तर पर लेटी हुई मुस्कुराकर मुझे ही देख रही थी और मैं पागलों की तरह नादिया की तरफ देख रहा था

मैं पागलो की तरह नदिया की तरफ देख रहा था कुछ देर पहले इस लड़की ने मेरी आंखों के सामने दम तोड़ा था और मैं बहुत फुर्ती से भागकर यहां पर आया था इतनी फुर्ती से कि शायद मैं कभी अपनी जिंदगी में मैं इतनी तेजी से ना भागा था और नादिया ने मेरी आंखों के सामने दम तोड़ा था मगर यह क्या
नादिया तो मेरी आंखों के सामने लेटी हुई है ऐसे कैसे हो सकता है अगर उसने वहां पर मुझसे  नाटक भी करा होता तब भी वह मुझसे पहले यहां पर हरगिज़ नहीं आ सकती थी.... मगर मैं एक डॉक्टर था नादिया ने मेरी बांहों मे दम तोड़ा था वो मर चुकी थी उस कि नब्ज़ मैंने खुद देखी थी....
मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था.....
नादिया के बाप मेरी हालत को बहुत गौर से देख रहा था
थोड़ी ही देर के बाद नादिया के बाप ने मेरे सामने नादिया से पुछा
इस डॉक्टर की हालत यह बता रही है कि तुमने इसे कुछ न कुछ बताया है बताओ मुझे... तुमने इसे क्या बताया है....मेरे कानों में नादिया के अल्फाज गूंजे
मैंने इसे वह सब कुछ बता दिया है बाबा जो आपने मेरे साथ किया था
नदिया का बाप नदिया को गौर से देखने लगा
तुमने बहुत जल्दी कर दी नादिया बताने में...तुम्हें इतनी जल्दी नहीं करनी चाहिए था तुम्हें मेरे आने का इंतजार तो करना चाहिए था
फिर एक बार नादिया के अल्फाज मेरे कानों में गूंजे जो कि बहुत ही नफरत भरे थे मैं ज्यादा देर तक इंतजार नहीं करती बाबा तुम अच्छी तरह से जानते हो
नदिया का बाप एक बार फिर नदिया को गौर से देखने लगा और मैं पागलों की तरह उन सब को देख रहा था
अब वहां पर मुझे बहुत ही  अजीब लग रहा था मुझे अब अंदर से एक  एहसास हो रहा था कि मैं कहीं गलत जगह आकर फस गया हूं... कौन हैँ ये लोग..यह इंसान तो किसी कीमत पर हो नहीं सकते.....

थोड़ी ही देर के बाद मेरे सामने नादिया की मां कमरे में आई और मुझसे कहने लगी डॉक्टर साहब आपने चाय पी ली.... क्या...
मैं फिर पागलों की तरह नादिया की मां को देखने लगा फिर नादिया के बाप ने मेरे सामने नादिया की मां से कहा अब यह चाय पी कर क्या करेंगे नादिया ने इन्हें सब कुछ बता दिया है जो  उसके साथ हुआ था
फिर नादिया कि बाप मेरी तरफ मुखातिब हुआ मगर इस बार उसका चेहरा बहुत ही ज्यादा बदला हुआ था अब वह मुझे कोई मजदूर नहीं बल्कि एक जालिम नजर आ रहा था
फिर थोड़ी देर बाद खामोश रहने के बाद वह मुझसे बोला

मेरी बेटी ने तुम्हें पूरी बात नहीं बताई.....
पूरी बात मैं तुम्हें बताता हूं....
यह बात आज से 50 साल पुरानी है डॉक्टर साहब
मेरी बेटी ने तुम्हें बताया कि मैंने उसके प्रेमी को गोली मार दी थी यह सच है गोली मारने के बाद मैं अपनी बेटी को घसीटते हुए अपनी हवेली पर ले आया और इसे इस के कमरे बंद कर दिया
मेरे खिलाफ पुलिस कुछ नहीं कर पाई क्योंकि मैं अपने जमाने का सबसे ज्यादा रसूखदार आदमी हुआ करता था
पुलिस वकील और जज सब मेरे आगे पीछे घुमा करते थे मैं अपने जमाने का दौलत मत आदमी था
अफरोज को मरने के बाद उसकी मां मेरी इसी हवेली की चौखट के सामने बहुत दिन तक अपना सर रख कर रोती रही अपने बेटे को याद करते करते और मुझे बद्दुआएं देते देते वह इसी जगह पर मेरी आंखों के सामने तड़प तड़प के मर गई फिर मैंने उसकी मां की लाश को कचरे में फिकवा दिया.....
क्योंकि मुझे गरीब लोगों से नफरत सी होने लगी थी फिर मैंने अपनी बेटी की शादी अपने ही तरह एक बहुत बड़े रईस आदमी से तय कर दी मगर मैं इस बात को नहीं जानता था कि मेरी बेटी के दिमाग में क्या चल रहा था मैं अपनी बेटी की शादी इस तरह से करना चाहता था कि उसकी शादी यादगार बन जाए....

मगर मेरी बेटी ने अपनी शादी के एक दिन पहले वाली रात को मेरे खाने में और अपनी मां के खाने में जहर मिला दिया और  और खुद भी जहर खा लिया और हम लोगों ने तड़प तड़प कर इसी हवेली में अपनी जान दे दी और मेरी बेटी ने भी....
थोड़ी ही देर बाद इस बस्ती में एक जलजला आया जिसने सारी बस्ती वालों को मौत कि आगोश में ले लिया.... अफ़रोज़ कि माँ कि बद्दुआ हम सब लोगो को निगल गयी...  उस का शाप पूरी बस्ती पर लग कर पूरा हुआ...
जितने भी बस्ती वाले थे सब मर गए शायद यह अफ़रोज़ की मां की बद्दुआ का ही असर था कि हम में से कोई भी नहीं बचा....
मैं नादिया के बाप कि बातो को पागलों की तरह सुन रहा था
मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था तभी मैंने देखा कि नादिया के बाप का चेहरा मेरी आंखों के सामने देखते ही देखते कंकाल के रूप में बदलने लगा और नादिया की मां का चेहरा बहुत ही खतरनाक हो गया और खुद नादिया का चेहरा भी ऐसा हो गया कि अगर कोई कमजोर दिल वाला उसे उस वक्त देखता तो वह उसी वक्त मर जाता
फिर नादिया के बाप ने उसी खतरनाक शक्ल में मुझसे कहा तुम जिस जगह खड़े हो डॉक्टर साहब दरअसल यह जगह एक शापित बस्ती है और इस जगह का नामोनिशान आज से 50 साल पहले ही मिट चुका है.
दरअसल यह पूरी जगह एक कब्रिस्तान  है जैसे ही उसने यह अल्फाज बोले मेरी आंखों के सामने देखते ही देखते मैं जिस  हवेली में खड़ा था अब वहां पर कोई हवेली नहीं बल्कि सब तरफ मैदान ही मैदान और जंगल ही जंगल था......
मैं हक्का-बक्का पागलों की तरह नादिया के बाप की तरफ देखने लगा और वह शैतानी अंदाज में मुस्कुरा रहा था फिर उसने मेरी तरफ देख कर कहा
तब से मैं प्रायश्चित ही कर रहा हूं...कोई भी डॉक्टर यहां पर आता है उसे अपनी बेटी के इलाज के लिए ले आता हूं क्यों कि मेरी बेटी ने मेरी ही वजह से अपनी जान दी थी... जिस वक़्त उस ने ज़हर खाया था उस वक़्त मैं उसे बचा नहीं पाया था.. और बचाता भी कैसे... उस ने बचाने का मौका ही नहीं दिया..सोचता हूं कि अब बचा लूंगा... ये जानते हुए भी कि वक़्त अब फिसल चुका है....मैं किसी भी डॉक्टर को लाता हूं मगर मेरे बात करने से पहले ही  मेरी बेटी हमेशा उसे अपने अतीत के बारे में बता कर उसे इस श्राप में शामिल कर लेती है यानी  मार देती है और इस बस्ती का यह नियम है कि यहां पर कोई भी व्यक्ति जब मरता है तो तो वह हमारे साथ शामिल हो जाता है ना जाने कितने डॉक्टर यहां पर तुम्हारी ही तरह इधर-उधर भटक रहे हैं
पर तुम मुझे अच्छे आदमी लगे थे डॉक्टर साहब मैंने यह सोचा था कि तुम्हें नहीं मरने दूंगा...मगर अफसोस कि मेरी बेटी ने तुम्हें अपनी सच्चाई बताने में हमेशा कि तरह जल्दबाजी की मगर इसमें गलती तुम्हारी भी है जब मेरी बेटी ने तुमसे कहा कि वह तुम्हें कुछ बताना चाहती है अपने दिल का बोझ हल्का करना चाहती है तो तुम्हें उस वक्त इंकार कर देना चाहिए था डॉक्टर साहब तुम्हें उस वक्त अपनी शराफत दिखानी चाहिए थी....
यानी तुम ऊपर से देखने में कुछ और और अंदर से कुछ और हो यह कहकर वह पागलों की तरह हंसने लगा तुम भी जालिम हो डॉक्टर साहब इससे पहले जितने भी डॉक्टर यहां पर आए वह सब मेरी बेटी को देख कर फिदा हो गए और बेमौत मारे गए और यहां भटक रहे हैं मगर मैंने तुम्हें शरीफ समझा था लेकिन तुम्हारी शराफत उसी पल खत्म हो गई थी जब तुम मेरी बेटी के साथ इतनी रात में अकेले बाहर चले गए थे
मेरी बेटी और मैं और यह बस्ती वाले तो 50 साल पहले ही मर चुके हैं और यह कब्रिस्तान तो तुम्हें अपनी आंखों से अब दिख ही रहा होगा यह सब एक मायाजाल था....
अब मरने के लिए तैयार हो जाओ डॉक्टर साहब फिर मेरी आंखों के सामने देखते ही देखते नादिया के बाप के हाथ मेरी तरफ बढ़ने लगे
और नादिया पागलों दीवानों की तरह हंस रही थी उसका चेहरा इतना खतरनाक हो गया  कि मैं बयान नहीं कर सकता
मेरे आस-पास अब अजीब अजीब सी आवाजें आने लगी थी जैसे कि ना जाने कितने लोग मेरी तरफ दौड़ते हुए आ रहे हैं
मैंने घबराकर नादिया के बाप की तरफ देखा
वह हंसकर पागलों की तरह कहने लगा यह बस्ती वाले हैं जो तुम्हारी खातिर करने यहां आ रहे हैं अब तुम भी कुछ देर बाद हम लोगों मे शामिल हो जाओगे
यह कहकर उसने अपने हाथ से मेरा गला पकड़ने की जैसी ही कोशिश की तभी वह बिजली की रफ़्तार से पीछे कि ओर चीखता हुआ हट गया और वह मुझे हैरत से देखने लगा
मेरी उस वक्त कुछ भी समझ में नहीं आया कि यह आखिर ऐसा हुआ क्यों उसने फिर दोबारा बढ़ने की तरफ कोशिश की इस बार नादिया की मां भी मेरी तरफ मुझे पकड़ने के लिए यानी  मुझे मारने के लिए मेरी तरफ झपटी लेकिन वह भी बिजली की रफ्तार से पीछे की तरफ चीखते हुए पलट गई....
  मेरी नजर जैसी ही अपने गले के नीचे  पड़ी तो वहां पर उन बुजुर्ग का दिया हुआ ताबीज लटक रहा था
मैं समझ गया कि शायद यह ताबीज का असर था कि यह लोग मेरे पास नहीं आ पा रहे हैं तभी मेरे दिमाग में उन बुजुर्ग की बात गूंजी कि अगर कभी भी किसी मुसीबत का शिकार हो जाओ तो दौड़ते हुए मेरे ही पास आना अपने घर मत चले जाना उनकी यह बात याद आते ही मैंने पागलों की तरह भागना शुरू कर दिया मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा मैं बस पागलों की तरह भागता जा रहा था

और उन बस्ती वालों की चीखने की आवाजें और नादिया के बाप की आवाजें और नादिया की आवाजे मेरे कानों में लगातार आ रही थी मगर मैंने भागना बंद नहीं करा मैं जितनी मेरे अंदर ताकत थी मैं उतनी रफ्तार से भाग रहा था करीबन आधे घंटे  भागने के बाद मेरे कदम इंस्पेक्टर खान की तरफ के घर की तरफ आ कर रुक गए मैं पागलों की तरह इंस्पेक्टर खान का दरवाजा पीटने लगा थोड़ी ही देर बाद इंस्पेक्टर खान ने दरवाजा खोला और मैं बड़ी फुर्ती से अंदर आ गया.....
मैं पूरी तरह से हांफ रहा था
मुझसे बैठा भी नहीं जा रहा था मैं लेट गया....
इंस्पेक्टर खान मुझसे यही कह रहे थे डॉक्टर साहब....क्या हुआ खैरियत तो है कुछ हुआ है क्या.....
तभी मैंने देखा जो उनके घर में बुजुर्ग ठहरे हुए थे वह मेरे पास आ गए और उन्होंने मेरे माथे पर हाथ रखा....जैसी ही उन्होंने मेरे माथे पर हाथ रखा मेरी थकान एक सेकंड में दूर हो गई

फिर उन्होंने इंस्पेक्टर खान की तरफ कुछ इशारा किया इस्पेक्टर खान एक गिलास पानी लेकर उन बुजुर्ग के पास आ गए
उन बुजुर्ग ने मेरी आंखों के सामने उस पानी में कुछ पढ़ा और मुझसे कहा
कि लो नौजवान पी लो इसे तुम्हें इससे आराम मिल जाएगा पानी पीने के बाद मुझे बहुत ज्यादा आराम मिला
करीब 1 घंटे बाद अब मैं बात करने की कैफियत में था फिर मैं उन बुजुर्ग की की तरफ बेबसी से देखने लगा
मैंने देखा वह बुजुर्ग मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे
फिर वह थोड़ी देर के बाद मुझसे बोले....
तुम बहुत ज्यादा खुश नसीब हो नौजवान जो उस बस्ती से वापस आ गए दरअसल जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था मुझे तभी एहसास हो गया था कि तुम कि तुम पर कुछ बदरूहो का साया है अगर मैं तुम्हें उस वक्त कुछ बताता तो शायद तुम मेरी बात का यकीन नहीं करते क्योंकि तुम आज के जमाने के लोग हो किसी भी बात का यकीन तब तक नहीं करते जब तक अपनी आंखों से देख नहीं लेते इसलिए मैंने तुम्हें यह ताबीज दिया था मुझे पता था कि कुछ न कुछ  तुम्हारे साथ ऐसा जरूर होगा अगर यह ताबीज मैंने तुम्हें नहीं दिया होता तो यकीनन तुम आज मर चुके होते और तुम्हारी रूह भी उन्हीं बदरूहों के साथ भटक रही होती
फिर मैंने उन बुजुर्ग से अपने सपने के बारे में बात बताई
जो सपना तुम्हें दिखाई दिया था दरअसल तुम्हें ऊपर वाले की तरफ से एक इशारा था मगर तुम शायद इस बात को नहीं समझे पाए..
यह तुम्हारी एक नई जिंदगी है नौजवान अब बातों की ज्यादा गहराई में मत जाओ और मेरी एक सलाह मानो....
मैं उन बुजुर्ग की तरफ देखने लगा जितनी जल्दी हो सके  हिंदुस्तान को छोड़ दो और यहां पर कभी मत आना तुम पर बदरूहों का साया पड़ चुका है आज मैं यहां पर हूं मगर मैं कितने साल रहूंगा कभी ना कभी मैं भी चला जाऊंगा
श्रापित बदरूहों का साया जिस शख्स पर पड़ जाता है वह उनका इतनी आसानी से पीछा नहीं छोड़ती तुम्हें सब कुछ भूल कर एक नई जिंदगी शुरू करनी होगी और तुम्हें  इस मुल्क को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए जाना होगा
मैंने उन से कहा....
लेकिन मैं कहां जाऊं....
कहीं भी जाओ नौजवान तुम्हारी नई नई उम्र है अच्छे खासे खाते पीते घर के हो...जिंदगी से बढ़कर और क्या है बस यहां पर कभी पलट कर मत आना याद रखना जिस दिन तुम पलट कर यहां पर आओगे  यह बदरूहे तुम्हारा फिर से पीछा करेंगी और तुम्हें चाहते ना चाहते हुए भी इसी शापित बस्ती में आना होगा जब तक तुम यहां से नहीं चले जाते तब तक यह ताबीज तुम्हारी हिफाजत करेगा मगर याद रखना नौजवान यह ताबीज तुम्हें कुछ महीने तक ही बचा सकता है इसके बाद इसका असर खत्म हो जाएगा यहां से चले जाओ और यहां पर लौट कर कभी मत आना
.... क्यों कि तुम ने शापित बस्ती को अपनी आँखों से देख लिया है... जो तुम्हें नहीं देखनी चाहिए थी....
मगर हज़रत...अगर मैं दूसरे मुल्क में चला जाऊंगा तो क्या यह बदरूहे मेरा पीछा वहां नहीं करेंगी....
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुरा कर देखने लगे
नहीं नौजवान हर किसी चीज की हद होती है और  मैं इन बदरूहो को जानता हूं इनकी भी एक हद है बस तुम समझ लो कि इनकी भी एक सीमा होती है और इनकी सीमा इस मुल्क से बाहर नहीं है मगर इस मुल्क में तुम जहां भी रहोगे यह तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेंगी मैंने तुमसे पहले ही कहा था ज्यादा गहराई में मत जाओ मेरी बात को समझो और चले जाओ दरअसल इस इलाके मे इससे पहले भी डॉक्टरों के गायब होने की घटनाएं होती रही है इसलिए जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था तुम मुझे अच्छे आदमी लगे थे और तुम्हारे ऊपर बदरूहों का साया साफ साफ झलक रहा था मगर यह हर कोई नहीं देख सकता इसको देखने का इल्म बहुत ही कम लोगों के पास होता है और ऊपर वाले ने यह इल्म मुझे आता किया है इन बदरूहों की ताकत इस मुल्क से बाहर नहीं है
अगर यह सिर्फ बदरूहे होती तो मैं तुम्हारा रूहानी इलाज कर सकता था मगर यह शापित बदरूहे हैं इसलिए तुम्हें अगर जिंदा रहना है तो तुम्हें इस मुल्क को छोड़ कर जाना होगा मेरी दुआएं तुम्हारे साथ है नौजवान मुझे यकीन है कि इस मुल्क से बाहर जाने के बाद  तुम बहुत तरक्की करोगे मगर भूल से कभी भी अपनी जिंदगी में यहां की तरफ से लौट कर मत आना
मैं समझता हूं और समझ सकता हूं कि आदमी की जिस जगह कि पैदाइश होती है उस जगह को छोड़ना उसके लिए कितना दुखदाई होता है मगर नौजवान कभी-कभी हमें जिंदगी में कुछ ऐसे फैसले करने पड़ते हैं जो हमारे लिए बहुत जरूरी होते है मैं तुम्हारी भलाई के लिए कह रहा हूं इस जगह को छोड़कर हमेशा के लिए चले जाओ
  बुजुर्ग से बातें करते-करते सुबह कब हो गयी मुझे पता ही नहीं चला उन्होंने मेरे ऊपर काफी कुछ पढ़ कर दम किया था और मुझसे यह कहा कि इस ताबीज को हमेशा अपने गले में पहने रखना मगर हां जब तुम इस मुल्क को छोड़ दोगे तब तुम्हें इस ताबीज की कोई जरूरत नहीं होगी
मैंने उन बुजुर्ग से बहुत सारी दुआएं ली और फिर मैंने हिंदुस्तान को हमेशा के लिए छोड़ दिया आज भी उन बुजुर्ग की बातें मेरे कानो में  गूँजती हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए पलटकर यहां पर मत आना
मेरे दोस्तों फिर मैं कभी अपने वतन वापस नहीं गया
मगर मेरे दिल में हमेशा एक ही मलाल रहता है कि काश मैं नादिया को देख कर उस पर फिदा नहीं हुआ होता उसकी तरफ आकर्षित नहीं हुआ होता काश मैं नादिया के बाप के साथ उसकी बस्ती में ना गया होता
शायद मुझे अपना मुल्क कभी ना छोड़ना पड़ता......

           समाप्त......

कविता रावत

कविता रावत

शुरू से लेकर अंत तक उत्सुकता बनी रही कि आगे क्या होगा, बाप से बाप एक अलग ही दुनिया देख रहे थे हम बहुत पहले बचपन में सुनते थे ऐसी कहानियां जो रोंगटे खड़े कर देते थे कईं दिन, साल बाद भी हम डरते रहते थे बहुत अच्छी रोचक कहानी

15 जनवरी 2022

Kasim ansari

Kasim ansari

15 जनवरी 2022

Thank you...

Jyoti

Jyoti

बहुत अच्छा समापन

11 दिसम्बर 2021

Kasim ansari

Kasim ansari

11 दिसम्बर 2021

THANK YOU..

6
रचनाएँ
शापित बस्ती
5.0
ये कहानी एक ऐसे डॉक्टर कि है जिस के साथ ऐसा डरावना वाक्या पेश आया जिस ने उस कि जिंदिगी को बदल कर रख दिया.. हमारी दुनिया मे कुछ ऐसा भी होता है जिस पर कभी कभी यकीन करना बहुत मुश्किल हो जाता है..
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शापित बस्ती भाग 1

30 सितम्बर 2021
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शापित बस्ती भाग 3

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शापित बस्ती भाग 4

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Shaapit basti bhaag 5

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शापित बस्ती आखिरी भाग

10 अक्टूबर 2021
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