*सादर समीक्षार्थ*पंचामर छन्द121 212 12, 121 212 12सुमातु ज्ञान दीजिये, दयालु देवि शारदे।मिटाय अंधकार को, प्रकाश को उबार दे।जला सुदीप ज्ञान का, सुकंठ हँसवाहिनी।स्वभाव में मधुर्यता, रहे सदा सुवासिनी।सुमार्ग पे चलूँ सदा, विहंग सी उड़ान दो।सुसभ्यता सदा रहे, हमें नवीन ज्ञान दो।पुनीत भाव दो हमें, दयालु देव
वर्ड पिरामिडहे!मातु!शारदेतम दूरमेरे कर देन हो कभी अहंमातु कृपा कर देमैंहूँ माँअज्ञानीकर जोड़करूँ विनतीहे हँसासिनी माँज्ञान सार भर दे स्वरचित:-अभिनव मिश्र"अदम्यशाहजहांपुर,उत्तरप्रदेश