*सादर समीक्षार्थ*
पंचामर छन्द
121 212 12, 121 212 12
सुमातु ज्ञान दीजिये, दयालु देवि शारदे।
मिटाय अंधकार को, प्रकाश को उबार दे।
जला सुदीप ज्ञान का, सुकंठ हँसवाहिनी।
स्वभाव में मधुर्यता, रहे सदा सुवासिनी।
सुमार्ग पे चलूँ सदा, विहंग सी उड़ान दो।
सुसभ्यता सदा रहे, हमें नवीन ज्ञान दो।
पुनीत भाव दो हमें, दयालु देवि भारती।
पवित्र वेद हाँथ ले, सदैव माँ विराजती।
खड़ा कतार द्वार मातु भाग्य को सँवार दे।
सदैव चित्त में सुमातु काव्य का निखार दे।
पुकार भक्त है रहा, नमामि मातु शारदे।
बिषाद नष्ट हो सभी, व दोष को संहार दे।
अभिनव मिश्र अदम्य