मुसाफिर भटकते हुए खुद ही अपनी जिंदगी की तलाश करते रहते है लेकिन कभी-कभी वही मुसाफिर जब अपनी राह भटक जाता है, तो उसे किसी राहगीर की ही तलाश होती है उसे ऐसे किसी मसीहा की सख्त जरूरत होती है जो उसकी जिंदगी में मार्गदर्शन कर सके।।
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