shabd-logo

मोहसिन नकवी का एक शेर

11 जून 2015

478 बार देखा गया 478
ए दोस्त! झूट आम था दुनिया में इस क़दर तू ने भी सच्च कहा तो फ़साना लगा मुझे
1

शहज़ादा -उर्दू अफ़साना – कृष्ण चन्द्र

10 जून 2015
0
2
3

शहज़ादा कृष्ण चन्द्र सुधा ख़ूबसूरत थी ना बदसूरत, बस मामूली सी लड़की थी। सांवली रंगत, साफ़ सुथरे हाथ पांव, मिज़ाज की ठंडी मगर घरेलू, खाने पकाने में होशयार, सीने पिरोने में ताक़, पढ़ने लिखने की शौक़ीन, मगर ना ख़ूबसूरत थी ना अमीर, ना चंचल, दिल को लुभाने वाली कोई बात उस में ना थी। बस वो तो एक बेहद शर्मीली

2

मोहसिन नकवी का एक शेर

11 जून 2015
0
0
0

ए दोस्त! झूट आम था दुनिया में इस क़दर तू ने भी सच्च कहा तो फ़साना लगा मुझे

3

मुहब्बत की तबीयत में

11 जून 2015
0
1
1

मुहब्बत की तबीयत में ये कैसा बचपना क़ुदरत ने रखा है Amjad Islam Amjad कि ये जितनी पुरानी जितनी भी मज़बूत हो जाये उसे ताईद-ए-ताज़ा की ज़रूरत फिर भी रहती है यकीं की आख़िरी हद तक दिलों में लहलहाती हो हज़ारों तरह के दिलकश हसीं हाले बनाती हो उसे इज़हार के लफ़्ज़ों की हाजत फिर भी रहती है मुहब्बत मां

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए