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शुभम् वैष्णव के लेख

ये नहीं है सिर्फ तुम्हारा वतन!

11 जून 2016
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ये नहीं है सिर्फ, तुम्हारा वतन। है सभी का आज, ये पूरा वतन। है हिमालय एक रक्षक सा खड़ा, और सागर घेरता आधा वतन। शाम बेहद ही सुनहरा है यहाँ, आँख का ये एक ही तारा वतन। खूबसूरत है नजारा देख लो, देख लो कितना लगे न्यारा वतन। है खड़ा सेना सिमा पर जिस तरह, देख इनको नाज है करता वतन। उज्जवल भी और

ऐसा करो तुम मुझे भुला

14 मई 2016
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ऐसा करोए तुम मुझे भुला दो। गलती की है तो मुझे सजा दो। बहुँत तकलीफ देता हूँ तुझे मैंए अपने दिल से मेरी यादों को मिटा दो। खफा हो मुझसे ये मैं जानता हूँए यूँ न अपनी नज़रो से मुझे गिरा दो। बिछड़ने का इरादा तो तेरा ही थाए बेवफाई की बदनामी मुझपे न लगा दो। और कैसे भुलाऊँ मैं तेरे यादों कोए कोई रास्ता अब

hindustan

28 अक्टूबर 2015
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प्रकृति भी आज बे-हाल है,इंसानियत का बुरा हाल है।।लूट डकैती भ्रस्टाचार अनाचारी,सब तरफ जोर इनका कमाल है।।लोग लड़ रहे हैं एक दूसरे से,सबके लिये अपने सत्ता का सवाल है।।सबको देख जानवर तक कह रहे,इनका तो हमसे भी बुरा हाल है।।तयाग, तपस्या, मानवता, परोपकार,क्या है? भूल गये, इस बात का मलाल है।।कहूँ सच की राह म

गजल

24 अक्टूबर 2015
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मैं जब तन्हा रहता हूँ तब गजल लिखता हूँ|किसी को नहीं मालूम मैं कब गजल लिखता हूँ|सब अनर्थक खुशी लेने में मशगुल हैं,मैं अपनें हर खुशी का असल लिखता हूँ|सब दिखावे को सच जानकर जी रहें हैं,मैं हकीकत को लफ्जो मे बदल लिखता हूँ|लोग तारीफ के भ्रम में फसकर खुश रहतें हैं,मैं तरीफ पानें की असली वजह लिखता हूँ|दुनि

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