ये नहीं है सिर्फ, तुम्हारा वतन। है सभी का आज, ये पूरा वतन। है हिमालय एक रक्षक सा खड़ा, और सागर घेरता आधा वतन। शाम बेहद ही सुनहरा है यहाँ, आँख का ये एक ही तारा वतन। खूबसूरत है नजारा देख लो, देख लो कितना लगे न्यारा वतन। है खड़ा सेना सिमा पर जिस तरह, देख इनको नाज है करता वतन। उज्जवल भी और बेहद शांत भी, चाँद जैसा खूब चमकीला वतन। सैंकड़ों सर तो शुभम् के हैं कटे, जब कभी भी खून है माँगा वतन। शब्दनगरी - प्रवेश कीजिये ये नहीं है सिर्फ, तुम्हारा वतन। है सभी का आज, ये पूरा वतन। है हिमालय एक रक्षक सा खड़ा, और सागर घेरता आधा वतन। शाम बेहद ही सुनहरा है यहाँ, आँख का ये एक ही तारा वतन। खूबसूरत है नजारा देख लो, देख लो कितना लगे न्यारा वतन। है खड़ा सेना सिमा पर जिस तरह, देख इनको नाज है करता वतन। उज्जवल भी और ये नहीं है सिर्फ तुम्हारा वतन