नज़्म बेरोज़गार
तो और इक बार फिर मेरा सेलेक्शन हो नहीं पाया . मेरी हर एक नाकामी पे रस्सी मुस्कुराती है, ख़ुशी से ऐंठती है और नये बल उसमें पड़ते हैं . मुझे अपना गला घुटता हुआ महसूस होता है........ मैं अपनी छत से जब नीचे गली में झांकता हूँ तो ये लगता है सड़क मुझको उछलकर खींच ले जाएगी . अपने साथ