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सप्तरंगी प्रेम

30 अगस्त 2024

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सप्तरंगी प्रेम

सप्तरंगी प्रेम का अर्थ है प्रेम के सात रंगों का संगम। प्रेम एक ऐसी भावना है जो अनेक रूपों में व्यक्त की जा सकती है। प्रेम की तरह ही इंद्रधनुष के सात रंग होते हैं और जब ये सारे रंग मिलते हैं, तो एक अद्वितीय सौंदर्य का निर्माण होता है। इसी प्रकार प्रेम में भी विविधता होती है, और हर रंग प्रेम के एक अलग पहलू को दर्शाता है।

1. रूप-प्रेम (लाल रंग)- यह प्रेम की वह अवस्था है जब व्यक्ति किसी के रूप, व्यक्तित्व या सुंदरता की ओर आकर्षित होता है। यह प्रेम की सबसे प्रबल भावना है जो हमें किसी के प्रति खींचती है।

2. मित्रता-प्रेम (नारंगी रंग)- यह प्रेम वह है जो मित्रों के बीच होता है। इसमें अपनापन, सहानुभूति और समर्थन की भावना होती है। यह प्रेम हमें आपसी विश्वास और सहकार्य की ओर प्रेरित करता है।

3. पारिवारिक प्रेम (पीला रंग)-यह वह प्रेम है जो परिवार के सदस्यों के बीच होता है। इसमें जिम्मेदारी, सुरक्षा और स्नेह की भावना होती है। यह प्रेम हमें आपसी सामंजस्य और सहयोग की शिक्षा देता है।

4.मानवता-प्रेम (हरा रंग)-यह प्रेम सभी जीवों और प्रकृति के प्रति होता है। इसमें सेवा, करुणा और संवेदना की भावना होती है। यह प्रेम हमें समाज और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है।

5. आध्यात्मिक प्रेम (नीला रंग)- यह प्रेम उस भावना को दर्शाता है जो ईश्वर, धर्म या किसी ऊँची सत्ता के प्रति होता है। इसमें आत्मसमर्पण, आस्था और शांति की भावना होती है। 

6. रोमांटिक प्रेम (इंद्रधनुषी रंग)-यह प्रेम दो व्यक्तियों के बीच होता है। इसमें अनुराग, त्याग और समर्पण की भावना होती है। 

7. आत्म-प्रेम (बैंगनी रंग)- यह प्रेम स्वयं के प्रति होता है। इसमें आत्म-सम्मान, आत्म-स्वीकृति और आत्म-देखभाल की भावना होती है। 

प्रेम के इन सभी रंगों का समन्वय ही जीवन को पूर्णता प्रदान करता है। जब यह सातों रंग एक साथ होते हैं, तब जीवन में इंद्रधनुषी प्रेम का उदय होता है, जो हर परिस्थिति में हमें मजबूती और साहस प्रदान करता है। 

सप्तरंगी प्रेम पर कविता

सप्तरंगी प्रेम का रंग निराला,  
हर रंग में बसा है एक नया उजाला।  
लाल में सजी है चाहत की लौ,  
हर दिल में जलती प्रेम की यह शोला।

नारंगी में बसती है मित्रता की छाँव,  
संग-साथ में जीने की कसम खाई हज़ार।  
पीले में बसी है परिवार की ममता,  
हर रिश्ते में लहराए आत्मीयता का झंडा।

हरे रंग में बसी है मानवता की बात,  
हर दिल में हो सेवा का भाव, कभी न हो घात।  
नीले में छिपा है आध्यात्म का सार,  
संतोष और शांति से भर दे संसार।

इंद्रधनुषी प्रेम से हो रोमांस की बौछार,  
हर दिल में उमड़े प्यार का सागर पार।  
बैंगनी में बसी है आत्म-प्रेम की रोशनी,  
स्वयं से प्यार, हो हर दिल की खुशी।

सप्तरंगी प्रेम का रंग निराला,  
हर रंग में बसा है जीवन का उजाला।  
इन सात रंगों से सजी प्रेम की तस्वीर,  
हर दिल में खिल उठे इंद्रधनुष की तासीर।
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रचनाएँ
दैनन्दिनी झरोखा
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जिंदगी की सामाजिक स्थिति और समाजिक सुरक्षा के लगती हुई सेंध का और समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विचारों की चलती हुई मंद-सुगध हवाओं को शब्दों की माला में पिरोकर रखने वाली इस दैनिक डायरी को रंग बिरंगे फूलों से गुंथा जा रहा है।
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