विषय:- पुरानी यादें
पुरानी यादें, वो मीठी बातें,
जिनमें छुपे हैं दिल के खज़ाने।
वो गलियां, वो आंगन, वो बचपन के खेल,
जिनमें बसता है हंसी का मेला।
माँ की गोदी, बाबा की सीख,
छोटे-छोटे ख्वाबों में बसी थी खुशी की रेख।
वो मिट्टी के घर, वो खिलौने कच्चे,
लेकिन सपनों के वो आकाश थे सच्चे।
दोस्तों संग वो बेतुकी हंसी,
शाम की वो मस्ती, दिन की रौनक छिपी।
हर एक मोड़ पे बसी थी कहानी,
जैसे समय ने लिख दी हो ज़िंदगी की निशानी।
अब भी जब यादें दस्तक देती हैं,
दिल में वही पुरानी खुशबू भर देती हैं।
वो पल, वो लोग, वो बातों का सफर,
हर याद है मेरे दिल का अमर।
वो त्योहारों की रौनक, सजी-सजी रातें,
दीपों की रोशनी और खुशियों की बातें।
हर रंग में रंगा था वो अपना जहाँ,
हर धड़कन में बसी थी कोई पुरानी दास्तां।
छत पे सोकर तारे गिनना,
दादी-नानी की कहानियों में खो जाना।
कभी बिना मतलब की बहसें करना,
तो कभी सपनों के पंखों से उड़ जाना।
वो स्कूल के दिन, वो सखियों के साथ,
खट्टी-मीठी यादें और हंसी की बरसात।
वो किताबों में छिपे राज़-ओ-अफ़साने,
अब भी दिल में बसा है हर एक फ़साना।
अब जिंदगी की राहें भले बदल गईं,
लेकिन वो यादें कभी नहीं ढल गईं।
वो बीते पल अब भी साथ चलते हैं,
दिल को सुकून और हौसला देते हैं।
कभी हँसाते, कभी रुलाते,
वो बीते दिन फिर से जीने बुलाते।
यादों के इस अनमोल खज़ाने में,
हर पल है जैसे अमर इस फ़साने में।
इंजीनियर शशि कुमार करौली राजस्थान