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सुबह

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सुलग-सुलग गयी रात जब नींद आयी तो सुबह हो गयी बीत गयी रैना नींद नही आयी ,, जब आंखों में नींद आयी तो सुबह हो गयी.. जागती नही सुबह सबकी तरह एक निश्चित समय पर बैठ कर बिताती हूं सारी रात ,, कुछ लिखती हूं

वो मुझे सुबह भेजती, मैं उसे शाम भेजता। वो सुबह सी ताजगी देती, मैं शाम का सुकुन देता। वो सुबह की चहक बन जाती, मैं शाम का साज बनता। वो सुबह के फूलों सी, बन तितली, मेरे मन भाती, मैं शाम का झिगूंर, बन जुगनू , उसकी आस को रोशन करता। वो सुबह की लाली, मैं शाम का गोधूलि बेला। वो सुबह प्रीत मेरी, मैं शाम मी

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गर्मियों में बच्चों की स्कूल की छुट्टियाँ लगते ही सुबह-सुबह की खटरगी कम होती है, तो स्वास्थ्य लाभ के लिए सुबह की सैर करना आनंददायक बन जाता है। यूँ तो गर्मियों की सुबह-सुबह की हवा और उसके कारण आ रही प

समांत- अही पदांत- है मात्रा भार-२९ १६ १३ पर यति “गीतिका”हर मौसम के सुबह शाम से इक मुलाक़ात रही है सूरज अपनी चाल चले तो दिन और रात सही है भोर कभी जल्दी आ जाती तब शाम शहर सजाती रात कभी दिल दुखा बहकती वक्त की बात यही है॥हरियाली हर ऋतु को भाती जब पथ पुष्प मुसुकाते गुंजन करते

चलो अब चाँद से मिलनेछत पर चाँदनी शरमा रही है ख़्वाबों के सुंदर नगर में रात पूनम की बारात यादों की ला रही है। चाँद की ज़ेबाई सुकूं-ए-दिल लाई रंग-रूप बदलकर आ गयी बैरन तन्हाई रूठने-मनाने पलकों की गली से एक शोख़

सुबह उठा तो देखा  कि बात आज क्या है ? पत्ते खनक  रहे हैं, चिड़िया चहक रहे है । सूरज की तेज से मैं पूछा कि राज क्या है ? भोर के महक का एहसास आज क्या है। अमराईयों के झुरमुट कोई बुला रहा है   बहक गया है कोयल और गीत गा रहा है  सरसों के फूल से मैं पूछा कि राज क्या है? संगीत की समां का अहसास आज क्या है । 

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