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सुलगते रिश्ते-भाग 1

7 जून 2022

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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥


.या देवी सर्वभूतेषू जाति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

टुनटुनटुनटुनटुनटुनटुनटुन

"लता !!लता!!लता!!   सुबह से तीसरी बार पूजा कर रही हो , कितनी बार करोगी !!जाओ और साडी़ बदल लो"सुरेंद्र राय ने  मंदिर में आकर पत्नी लता से कहा मगर वो अपना एक हाथ उन्हें दिखाकर और दूसरे से घण्टी बजाती रही -टुनटुनटुनटुनटुनटुनटुनटुन 

फिर घण्टी रखकर भगवान के आगे हाथ जोड़कर उनकी तरफ पलटी और बोली -" मुझे देखने के लिये लड़के वाले न आ रहे हैं ,जिसे देखने आ रहे हैं वो तैयार हुयी कि नहीं !!देखूं ,हटिये सामने से "और आंगन में आकर आवाज लगाई -"जिज्ञासा !!तुम्हारी मालविका दीदी तैयार हुयीं कि नहीं !!!"

ऊपरी मंजिल के काॅरीडोर की रेलिंग पर आकर जिज्ञासा बोली -"माँ मालविका दीदी साडी़ पहन रही हैं फिर मैं उन्हें तैयार होने में मदद कर दूंगी ,आप परेशान न हो अभी आठ बजे हैं और लड़के वाले तो नौ बजे आने वाले हैं ना !!"

"हाँ पर तैयार होने में समय तो लगता है और ये प्रतीक्षा कहाँ है !!!" ---प्रतीक्षा !!!प्रतीक्षा !!!

वहीं ऊपर मंजिल के काॅरिडोर की रेलिंग से नीचे झांकती हुयी प्रतीक्षा बोली --"हाँ मां !!"

"मां की बच्ची !!ऊपर ही लटकी रहो ,दोनों की दोनों !!जरा छोटू को फोन लगाओ ,वो अपने होटल से मिठाइयां व कोल्डड्रिंक ले आये वरना सब आ जायेंगे तो क्या उनके सामने लायेगा !!!"

तुमने बुलाया और ,हम चले आये ,

मिठाइयां झोले में ले आये रेऐऐ !!! टेनटेडे़न !!! मिठाइयां और कोल्डड्रिंक प्रस्तुत है आपकी सेवा में माँ !!!"

"हा !!हा!!हा!!हा!!  छोटू तुझसे कितनी बार कहा है इतना सुरीला न गाया कर !!!"ऊपर ही खडी़ प्रतीक्षा हँसते हुये बोली।

"क्या प्रतीक्षा दीदी ,ऊपर से खी खी कर रही हो !!नीचे आकर माँ की मदद कराओ !!!"छोटू  झोला पकडे़ हुये बोला।

"अब तुम दोनों शुरू मत हो जाओ ,और तुम ,ये मिठाइयां व कोल्डड्रिंक फ्रिज में रखो जाकर ,अच्छा लाओ मैं ही रख देती हूँ और तुम ,उनके आने से पहले गर्म समोसे,खस्ते सब ले आना ,!!!" लता छोटू के हाथ से झोला लेकर किचन में जाने लगी ।

छोटू चला गया ।लता के पीछे पीछे सुरेंद्र राय आये और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोले -"लता ,तुम थोडी़ साँस ले लो ,बैठ जाओ कुछ देर ,,, सब सही होगा इस बार !!!"

"क्या सही होगा , पता नहीं इस बार क्या होगा !!क्या लिखा है हमारी मालविका के भाग्य में , वो बिलकुल भी सुंदर नहीं ये आप भी जानते हो जिसकी वजह से कहीं रिश्ते की बात ही न बनती है । 

पहली बार जहां फोटो भेजी गयी वहां फोटो से ही नापसंद हो गयी ।दूसरी बार लड़के वाले देखने आये और क्या हुआ था ,याद है आपको !!लड़के के पिता बोले थे - आपकी बेटी जिज्ञासा का रिश्ता तय कर लो , आपकी भतीजी मालविका से वो कहीं ज्यादा सुंदर है और दबी जुबान में उनकी पत्नी बोली थीं -मालविका तो बहुत बद्सूरत है !!!

तीसरी बार भी लड़के वालों ने पसंद न किया ,ये चौथी बार है !!

अब देवर व देवरानी जी तो रहे नहीं तो मालविका हमारी जिम्मेदारी है मगर यूं रिश्ता न बनने से वो हीन भावना ग्रस्त न हो जाये क्योंकि वो भी जानती है कि वो बद्सूरत है ।" लता अपनी साडी़ का पल्लू हाथ से उमेंठती हुयी उदास होकर बोली ।

"लता ,जिनकी तीसरी बार पूजा की है ,सब उनपर छोड़ दो और कपडे़ बदल लो जाकर ,हमारी मालविका के भाग्य में इन्होनें अच्छा ही लिखा होगा , देर है बस कुछ ।"सुरेंद्र राय बोले और लता साडी़ बदलने चली गयी ।

सुरेंद्र राय , जिनका बहुत बडा़ घर था ।घर के बगल में उनका अपना होटल था ।घर के बीचो बीच बडा़ सा आंगन था ।आंगन के एक तरफ एक पूरा पोर्शन था नीचे और उसके ऊपर ।आँगन के दूसरी तरफ एक पूरा पोर्शन था नीचे और उसके ऊपर ।दोनों पोर्शन का ऊपर एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक एक ही काॅरीडोर था ।बायें तरफ का पोर्शन सुरेंद्र राय का था और दाहिनी तरफ का पोर्शन मालविका के माँ और पिता का था जो अब थे नहीं ।

सामने नीचे पूजा घर व रसोंईं थी और कोने में गलियारा बना था जहाँ लैट्रिन व बाथरूम था ।रसोंई व पूजा घर बरामदे में थे जो बडा़ था और वहीं डाइनिंग टेबिल पडी़ थी ।

ऊपर दोनों तरफ के काॅरीडोर में नीचे के लिये आती हुयीं सीढियां बनी थीं ।बायीं तरफ के पोर्शन से नीचे आने के लिये बायीं तरफ और दाहिने पोर्शन से नीचे आने के लिये दाहिनी तरफ ।

स्वयं का बडा़ सा होटल तो था ही सुरेंद्र राय का इसके अतिरिक्त एक बहुत बडा़ व खूब चलता हुआ रेस्ट्रां भी था।

इसके अलावा था एक अनाथालय जो मालविका के पिता ने खोला था पर अब वो थे नहीं तो उसकी देखरेख भी सुरेंद्र राय ही करते थे ।

"आपने साडी़ पहन ली ।बैठिये मालविका दीदी अब आपको तैयार कर देती हूँ मैं ।" जिज्ञासा ने मालविका को बिठाल कर अपना फोन एक तरफ रखकर मेक अप का डिब्बा उठाया और उसका मेक अप करने जा रही थी कि मालविका उदास होकर बोली --"मेक अप क्या मुझे सुंदर बना देगा !!बदसूरत हूँ तो बदसूरत ही रहूंगी ।"

"मालविका दीदी !! आप ये सब न कहा करें आपसे कितनी बार कहा मैंने !!" जिज्ञासा मालविका के चेहरे पर फाउंडेशन लगाती हुयी बोली ।

"तो क्या कहूं !!सुंदर होती तो लड़के वाले पसंद कर लेते और ताऊ जी और ताई जी की चिंता खत्म होती ।" मालविका उदास होकर बोली ।

साँसों की जरूरत है जैसे,

जिंदगी के लिये,

बस एक सनम चाहिए ,

आशिकी के लिये  ,

"दीदी एक मिनट मेरा फोन बज रहा है ,मैं आती हूँ तब तक आप चोटी कर लो " कहती हुयी जिज्ञासा फोन आॅन कर कमरे से बाहर आकर अपने पोर्शन में जाती हुयी कहती है --हेलो , जयेश !!!

जिज्ञासा , हाय !!!आज तो तुम्हारी मालविका दीदी को फिर लड़के वाले देखने आ रहे हैं न !!

हां जयेश , देखो क्या होता है !!!!

यार ,इस बार रिश्ता पक्का हो जाये तुम्हारी मालविका दीदी का ,तो अपने लिये हरी झण्डी़ मिले तो फिर हमारी शादी की बात हो ,तुमने अपने घर में बता तो दिया है न कि तुम मुझसे प्यार करती हो और शादी करना चाहती हो !!!

जयेश ने कहा तो जिज्ञासा बोली- ना बाबा ना ,मैं अपने घर में न बता सकती हूँ ,एक बार मालविका दीदी की शादी हो जाये फिर तुम ही अपने घरवालों को भेजना मुझसे शादी करने की बात करने के लिये ।

क्या यार ,तुम कितना डरती हो ,मैंने तो अपने घर में बता दिया है और वो कह रहे कि जहां कहोगे हम कर देंगे ।हम काॅलेज के समय से एक दूसरे को प्यार करते हैं ,अब हमारी पढा़ई पूरी हो चुकी है तो तुम्हारी मालविका दीदी का विवाह ही न हो रहा है ,जब तक उनका न हो रहा तब तक हमारा न हो सकता क्या !!!

जयेश ने कहते हुये पूछा ।

कैसी बातें करते हो !!बडी़ बहन के होते छोटी का ब्याह पहले कैसे कर देंगे !!!मालविका दीदी पापा की जिम्मेदारी हैं ,उनका हो जायेगा तभी मेरा होगा ,अब फोन रखो , बाद में करती हूँ ,कहकर जिज्ञासा ने फोन काटा और काॅरिडोर से होते हुये मालविका के पोर्शन में उसके कमरे में गयी जहां वो तैयार हो चुकी थी।

मालविका  देखने में बदसूरत थी , रंग दबा पर कमर तक बहुत घने बाल थे । एक लड़की की जितनी आदर्श लम्बाई होती है उतनी लम्बी थी ।सदा हल्के रंग के कपडे़ उसे पसंद आते थे ,वही वो पहनती थी पर आज धानी रंग की साडी़ उसने पहनी हुयी थी ।

जिज्ञासा , जो अच्छी स्वस्थ थी ।कंधे तक बाल जो घुंघराले थे ।नाक नक्श से सुंदर थी ,रंग मां पर गया था गेहुआं रंग ,लम्बी नाक , सुंदर होंठ व आँखें बडी़ बडी़ ।

कहने को तो जितने कमरे ऊपर थे उतने नीचे थे पर जिज्ञासा और प्रतीक्षा के साथ साथ मालविका भी  ज्यादातर ऊपर की मंजिल पर ही रहती,नीचे केवल सुरेंद्र राय व उनकी पत्नी लता रहते ,रसोंई नीचे थी ,खाना खाने तो तीनों नीचे आतीं पर खाते ही सीधा ऊपर ,,,, नीचे किसी को अच्छा ही न लगता था ।

"दीदी आप बहुत प्यारी लग रही हो !!!"  प्रतीक्षा ने मालविका के पीछे खडे़ होकर उसके कंधों पर हाथ रखकर कहा ।

प्रतीक्षा बहुत गोरी थी ।वो अपने पिता पर गयी थी।भरा भरा चेहरा , आँखें बडी़ , सुंदर नाक व पतले होंठ थे उसके ,बाल उसके भी कंधे तक ही थे ।उसे तो जींस व टीशर्ट पहनना अच्छा लगता था तो वही पहनती थी ।

"तुमको और जिज्ञासा को तो मेरी झूठी प्रशंसा करनी आती है बस !!!अपनी दीदी का मन रखने को कहती हो न !!!"मालविका ड्रेसिंग टेबिल के सामने से उठकर बेड पर बैठती हुयी बोली ।

"नहीं दीदी , जिज्ञासा दीदी सच कहती है ,आप ना , सबसे सुंदर हो ,जरा हमारी नज़र से तो स्वयं को देखो ,तब समझ पाओगी ।"प्रतीक्षा ने कहा और जिज्ञासा बोली -" हाँ वो तो है ही , लव यू दीदी !!!"

ऊपर इन तीनों की बातें चल रही थीं ,नीचे लता साडी़ बदल कर आइने के सामने चोटी कर रही थी । लता , जिसके चेहरे की बनावट बहुत अच्छी थी ,रंग गेहुआं था और डील डौल से सही थी ।

लता को चोटी करते सुरेंद्र राय देख रहे थे ।

"ऐसे क्या टुकुर टुकुर देख रहे हो आप !!बाहर बरामदे में बैठो जाकर किसी भी समय लड़के वाले आते होंगे ,और जरा बच्चियों से पूछो मालविका तैयार हो गयी !!!"

"अरे ,मालविका तैयार हो गयी होगी अब तक ,देख रहा हूँ तुम तो अभी भी उतनी ही सुंदर हो जितनी तब थीं जब तुम्हें ब्याहने गया था ।"

लता चोटी कर कमरे से बाहर आती हुयी बोली -"आप को बस बातें करने को दे दो , जिज्ञासा ,प्रतीक्षा !!!" आगे वो कहतीं कि प्रतीक्षा ऊपर से बोली -"मां दीदी तैयार हो गयी है !"

सुरेंद्र राय , जो लम्बे ,चौढे़ थे ।रंग गोरा ,छोटी आँखें,भरी भरी मूंछ व रौबीले लगते थे ।चेहरे पर गंभीरता झलकती थी।

जलेबियां तलते हुये छोटू स्वयं से कह रहा था  इस बार मालविका दीदी का रिश्ता तय हो जाये ,भगवान सुन लो न ,मालविका दीदी तो कितनी अच्छी हैं , सबसे कितना प्यार करती हैं ,हां मितभाषी हैं पर व्यवहार कितना अच्छा है उनका । वो ही तो थीं जिन्होनें मुझ होटल पर काम करने वाले मामूली से नौकर को रक्षाबंधन पर घर बुलाकर राखी बांधी थी और कहा था ,आज से तुम  मेरे भाई हो ।फिर जिज्ञासा दीदी व प्रतीक्षा दीदी ने भी राखी बांधी ये कह कि हमारे भाई नहीं था पर अब तुम हमारे भाई हो ।

वो मालविका दीदी ही हैं जो मेरे रात को होटल से आते ही मुझे पकड़कर जबरन पढा़ने बिठाल लेती हैं ये कहकर कि छोटू पढा़ई ,लिखाई बहुत आवश्यक है । उन्हीं ने दसवीं का व्यक्तिगत फार्म भरवा दिया और मुझे बहुत प्यार से पढा़या ।इम्तेहान दे आया हूँ दसवीं के अब परिणाम आने हैं ।

उनका रिश्ता तय कर दो न भगवान !!!

लता रसोंई में नाश्ते के लिये नयी प्लेटें,चम्मच ,ग्लास सब एक जगह रख रही थी , कि आयें तो नाश्ता प्रतीक्षा व जिज्ञासा लगा देंगी इनमें और मालविका ले आयेगी ।

अनाथालय , जहां के एक कमरे में एक बूढी़ औरत माला फेरती हुयी मन ही मन कह रही थी - हे ठाकुर जी मालविका का रिश्ता तय कर दो ,वो बच्ची दिल की बहुत अच्छी है , हर दिन अनाथालय आकर सबका हाल लेती है पर मुझसे उसका विशेष स्नेह है तो मेरे पास बैठकर बातें करती है , मेरा ध्यान रखती है ।उस दिन घुटने में दर्द था तो मानी नहीं और मालिश की उसने ।

लता घडी़ देख रही थी ।पौने नौ हो गया था ।छोटू गर्म गर्म जलेबियां ,समोसे ,पकौडे़ ,सब लेकर आया और बोला -"लो माँ ,जिज्ञासा दीदी या प्रतीक्षा दीदी से अब प्लेटें लगवाकर रख लो ,वो सब आते ही होंगे ,मैं होटल पर जा रहा हूँ ।"

कहता हुआ छोटू चला गया और जिज्ञासा ,जिसने ऊपर से छोटू को देख लिया था आते ,वो नीचे आकर प्लेटें लगाने लगी और प्रतीक्षा उसकी मदद करने लगी ।

नौ बजकर दस मिनट हो गये थे और लता बार बार अपनी साडी़ का पल्लू उमेठते हुये  बरामदे में लगी घडी़ देख रही थी ।तब तक  दरवाजे पर दस्तक हुयी ,जो खुला हुआ था और फिर लड़के वालों ने अंदर प्रवेश किया ।

जिज्ञासा,प्रतीक्षा ,लता और सुरेंद्र राय सब बरामदे में बैठे थे ।लड़के को देखकर जिज्ञासा एकदम से उठ खडी़ हुयी  उसकी त्योंरियां चढ़ गयीं ।बाकी सब भी देखकर हैरान रह गये...............

पर आखिर क्यों !!!!!!

शेष अगले भाग में ।

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

Shashwat

Shashwat

Very nice

26 अक्टूबर 2022

Pragya pandey

Pragya pandey

अत्यंत रोचक आरम्भ है कहानी की 👌👌👌👌👌

16 सितम्बर 2022

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

16 सितम्बर 2022

धन्यवाद प्रज्ञा जी , एक व्यू मेरी बुक 'स्त्री हूँ ना' की एक रचना पर भी दे दें 😊🙏

3 सितम्बर 2022

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

3 सितम्बर 2022

धन्यवाद मोना 😊😊😊💓💓💓💓💓🙏

20 अगस्त 2022

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

20 अगस्त 2022

धन्यवाद सर 🙏

Ragini mishra

Ragini mishra

Very nice👍

20 अगस्त 2022

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

20 अगस्त 2022

धन्यवाद मैम🙏

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

धन्यवाद दीदी😊🙏

1 अगस्त 2022

लता सुमन 'नमन्'

लता सुमन 'नमन्'

बहुत सुंदर कहानी। प्यार ही प्यार है सब में। खुशी का माहौल है। खुबसूरती दिल में होती है चेहरे की खुबसूरती तो सबको लुभाती है। बहुत बढ़िया प्रस्तुति 👌👌

1 अगस्त 2022

Pragya pandey

Pragya pandey

बहुत सुन्दर शुरुआत है कहानी की 👌👌👌

16 जून 2022

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

16 जून 2022

बहुत बहुत धन्यवाद ,सभी भाग पढे़ं 🙏🙏🙏

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रचनाएँ
सुलगते रिश्ते
5.0
एक रहस्य भरी कहानी
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सुलगते रिश्ते-भाग 1

7 जून 2022
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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ .या देवी सर्वभूतेषू जाति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः टुनटुनटुनटुनटुनटुनटुनटुन "लता !!लता

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सुलगते रिश्ते-भाग 2

7 जून 2022
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जिज्ञासा व सभी लोगों ने देखा अपने माँ और पिता के साथ आते हुये लड़के का पैर ढ़पक रहा था जिससे साफ पता चल रहा था कि उसके पैर में पोलियो है !! वो अंदर आ रहे थे और लता व सुरेंद्र राय असमंजस में थे कि इन्

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सुलगते रिश्ते-भाग 3

8 जून 2022
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मालविका ने स्वयं को सँभाला किसी भाँति और सड़क पर आ गयी ।छोटू होटल पर काम कर रहा था ,उसने मालविका को सड़क पर देखा तो जान गया कि दीदी अनाथालय ही जा रही होंगी ,वो नित्य जाती हैं न शाम को ,आज सुबह ही जा

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सुलगते रिश्ते-भाग 4

13 जून 2022
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जिज्ञासा अपने कमरे में लेटी हुयी थी ।जयेश का मैसेज आया -टुन टुन टुन टुन उसने फोन उठाकर देखा तो जयेश का मैसेज था ।जिज्ञासा , सो गयी हो क्या !!!उसने मैसेज किया --नहीं जयेश बहुत मिस कर रहा हूँ

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सुलगते रिश्ते-भाग 5

14 जून 2022
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सुरेंद्र राय ने अपना फोन उठाकर धीरे से लता की तरफ देखा जो अभी भी गहरी नींद में सो रही थी ।सुरेंद्र राय अपना फोन लेकर दूसरे कमरे में चले गये । जिज्ञासा अपने कमरे में करवटें बदलती हुयी मुस्कुरा रही थी

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सुलगते रिश्ते-भाग 6

15 जून 2022
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रात हो गयी थी और लता रसोंई का काम समेटकर अपने कमरे में गयी जहाँ सुरेंद्र राय अपना फोन लिये बैठे कुछ कर रहे थे । "क्या देख रहे हो फोन में आप !!!"लता ने बिस्तर पर बैठते हुए कहा । "कुछ नहीं लता , बस ऐस

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सुलगते रिश्ते-भाग 7

19 जून 2022
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सुरेंद्र राय फोन उठाकर दूसरे कमरे में जाकर बोले -लता है कमरे में ,मैं इस समय न आ सकता , तुम क्यों मेरे पीछे पडे़ हो ,कितने साल से तो तुम्हें रुपये पहुँचा रहा हूँ ,अब मेरा पीछा छोड़ दो न !!! उधर से आव

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सुलगते रिश्ते-भाग 8

19 जून 2022
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जब से सुनंदा ब्याह कर आई है उसे कहीं घुमाने न ले गया।अच्छा न लगता है कि पत्नी को घुमाने ले जा रहे हैं ,पर सुनंदा ने कभी शिकायत भी न की कि मुझे बाहर ले जाओ ,बाबू ,भाई साहब ,भाभी कहते रहते हैं कि इसे क

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सुलगते रिश्ते-भाग 9

19 जून 2022
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सुरेंद्र राय उससे कहते हुये अंदर आकर बैठ गया और आगंतुक अपने जूते बाहर उतार कर घर के अंदर आया और सुरेंद्र राय से बोला -"नमस्कार सर !!!" "नमस्कार राधे ,आओ बैठो !!" कहते हुये सुरेंद्र राय ने लता को आवाज

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सुलगते रिश्ते-भाग 10

19 जून 2022
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जिज्ञासा अपने कपडे़ निकाल निकाल पर बेड पर रख रही थी और प्रतीक्षा ,जिसको अपने कमरे में बुला लिया था ,उससे पूछ रही थी -"प्रतीक्षा ये सलवार सूट कैसा रहेगा !!!ये रखूं !!! ये वाला ,देखो बहुत हल्का तो न ल

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सुलगते रिश्ते-भाग 11

22 जून 2022
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अगली सुबह जब प्रतीक्षा उठी तो उसे आज सुबह बहुत सुहावनी लग रही थी ।घडी़ देखी तो पौने चार था ।नहा लूं जाकर फिर भगवान की आरती के समय नीचे पहुंच जाऊं नहीं तो मां कहेगी कि मालविका चली गयी तो प्रतीक्षा को आ

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सुलगते रिश्ते-भाग 12

22 जून 2022
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शाम हो गयी थी पर मनीषा ,मालविका  ,व जिज्ञासा की बातें तो जैसे खत्म ही न हो रही थीं ।वसुधा शाम का नाश्ता बनाने में लगी थी और मनीषा की मां संध्या की आरती ,वंदन में रत थी । "अच्छा मालविका दीदी ,जिज्ञासा

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सुलगते रिश्ते-भाग 13

22 जून 2022
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सुबह मालविका व जिज्ञासा उठीं तो देखा कि बाकी सब तो अभी सो ही रहे हैं !!! "चलिये दीदी नहा धो लेते हैं !!"जिज्ञासा ने कहा । मालविका व जिज्ञासा अपने अपने कपडे़ लेकर नहाने के लिये चली गयीं और फिर नहाने क

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सुलगते रिश्ते-भाग 14

23 जून 2022
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शाम का समय था । मनीषा ,जिज्ञासा को अपने पास बिठाये अपने बचपन की फोटो दिखा रही थी । मनीषा की माँ भी वहीं बैठी थीं ।मालविका अभी आती हूँ कहकर बाहर काॅरीडोर में आ गयी ।टहल ही रही थी कि तब तक अनिमेष का फो

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सुलगते रिश्ते-भाग 15

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मालविका पिता की डायरी रखकर लेट गयी ।उसकी आँखों से आँसू झरने लगे और अतीत का वो दिन उसके समक्ष आकर खडा़ हो गया -- आज छोटे की विवाह की वर्षगांठ है , आज तो उसे अपनी पत्नी को लेकर कहीं घूमने जाना चाहिए ना

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सुलगते रिश्ते-भाग 16

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राधे चिल्लाया -मैडम जी और गाडी़ की स्टेयरिंग अपने हाथों से सही करते हुए कहा -"क्या कर रही हैं आप मैडम जी !!! अभी दुर्घटना हो जाती !!!सामने से आ रहा आदमी आपको न दिखा !!!! ध्यान कहाँ रहता है आपका ,,, गा

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सुलगते रिश्ते-भाग 17

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सुलगते रिश्ते -भाग 18

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कवि संतोष कुमार 'छुहारा'बोले -" सुनिये बात तब की है जब मेरा ये लंगोटिया यार छठी कक्षा में पढ़ता था । देशभक्त चंद्र शेखर 'आजा़द 'का ये बहुत बडा़ भक्त ,,, इतना बडा़ कि  स्कूल में  अपना नाम चंद्र शेखर ही

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सुलगते रिश्ते-भाग 19

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राधे दो कप काॅफी लेकर आ रहा था ।अकस्मात उसके पैर के नीचे कुछ आया और वह एकदम से लड़खडा़या , और तभी पास वाली कुर्सी पर बैठा हुआ युवक चलने के लिए उठा और राधे के लड़खडा़ने के कारण उसके हाथों की काॅफी उस य

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सुलगते रिश्ते-भाग 20

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सुलगते रिश्ते-भाग 21

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सुलगते रिश्ते-भाग 22

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रात्रि को पराजित कर अपनी विजय पर प्रसन्न होती हुई भोर ,आसमान के अपने दरबार में आकर मुस्कुरा रही थी। खग कोलाहल करते हुए जैसे कह रहे थे -भोर साम्राज्ञी की जय हो । पवन ,भोर की विजय पताका के रूप में

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सुलगते रिश्ते-भाग 24

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सुलगते रिश्ते-भाग 25

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सुलगते रिश्ते-भाग-26

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" क्या ?"राधे ने पूछा । "राधे मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ ।"प्रतीक्षा ने राधे का हाथ थाम कर कहा। "प्रतीक्षा, मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ ।मैं एक साधारण कारचालक हूँ और तुम मालिक की बेटी ,,, मेरा

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सुलगते रिश्ते-भाग 27

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लता और सुरेंद्र राय ने कमरे से निकल कर देखा तो एक युवक खडा़ था ।  सुरेंद्र राय दरवाजे के पास गए और बोले -"क्षमा चाहता हूँ ,मैंने आपको पहचाना नहीं !!" "जी ,मैं अंदर आकर बात कर सकता हूँ ??" वह बोला

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रात्रि हो चुकी थी । मालविका अपने कमरे में थी और जिज्ञासा व प्रतीक्षा अपने कमरे में थीं । जिज्ञासा जयेश से बात करने में लगी थी वहीं प्रतीक्षा अपने कमरे में राधे को फोन पर बैंक की पढा़ई से संबंधित कुछ म

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सुलगते रिश्ते-भाग 29

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दिन में कैसे इतने रुपये लेकर आऊँ !! सब लोग हैं ,, तुम जो भी हो समझो !! दिन में फोन मत किया करो ,मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ ,घर में किसी को पता चल गया तो आफत हो जाएगी !! सुरेंद्र राय लगभग गिड़गिडा़ते

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सुलगते रिश्ते-भाग 30

22 जुलाई 2022
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अनिमेष ने वो पेनड्राइव बहुत सँभाल कर अपनी तिजोरी के अंदर डाल दी और बाकी सामान व्यवस्थित करने लगा। तब तक दादी आ गईं और बोलीं -"घर तो तूने बहुत अच्छा लिया है और बडा़ भी खूब है ,,, पर इतने समय अनाथालय मे

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सुलगते रिश्ते-भाग 31

22 जुलाई 2022
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मनीषा का दिल बैठने लगा और वो सोचने लगी - ये ,,,ये क्या हो गया !!!धोखा ,,,, बहुत बडा़ धोखा हुआ है उसके साथ !!!! ये ,,, ये कोई सर्वेश नहीं है ,,,, ये ,,, ये तो कोई मुन्ना है ,,, ये क्या हो गया मुझसे ,,,

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सुलगते रिश्ते-भाग 32

22 जुलाई 2022
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मनीषा लेटी तो उसके ऊपर पानी की बूँदें गिरीं और मनीषा उठ बैठी । एक तो बिस्तर से सीलन की बदबू उसे परेशान किए थी और अब ये बूँदें उसे अचरज में डाल गईं और वो उठकर बैठते हुए बोली -"मुन्ना ये पानी की बूँदें

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सुलगते रिश्ते-भाग 33

22 जुलाई 2022
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"सुन वसुधा , मुझे कुछ सही न लग रहा है ,,पता नहीं क्यों मन बहुत अजीब सा हो रहा है ,, मनीषा को फिर फोन मिलाऊँ !!!"मनीषा की माँ ने वसुधा से कहते हुए मनीषा को फिर फोन मिलाया । मनीषा चापाकल पर नहा रही थी

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सुलगते रिश्ते-भाग 34

22 जुलाई 2022
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मंडप में पंडित जी पधार चुके थे और वो लता को जो सामान बताते जा रहे थे लता वो सामान लाकर उनके पास रख रही थी ।  मंडप में अनिमेष आकर बैठा था ,उसके पास उसकी माँ व दादी बैठी थीं और वहीं कुर्सी पर अनिमेष के

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सुलगते रिश्ते-भाग 35

22 जुलाई 2022
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"जी ये तो बहुत हर्ष की बात है "सुरेंद्र राय ने कहा और लता को इशारा किया चाय -पानी लाने के लिए ।लता चाय-पानी लेने चली गई और जिज्ञासा जयेश को देखकर बोली -"हेलो जयेश ।" "हाय "जयेश ने मुस्कुराकर कहा ।स

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सुलगते रिश्ते-भाग 36

22 जुलाई 2022
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मालविका ने फोन उठाकर कहा हेलो ! हेलो , मैं अस्पताल से बोल रही हूँ ,डाॅक्टर अनिमेष का फोन लग न रहा था तो विवश होकर बेसिक फोन पर किया । डाॅक्टर अनिमेष को आज रात के लिए उनके वरिष्ठ चिकित्सक संजीव खरे

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सुलगते रिश्ते-भाग 37

22 जुलाई 2022
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मालविका ने देखा कि अनिमेष अंदर एक लड़की के साथ खडा़ है ।वो उनकी बातें  सुनने लगी-- "आज देर कर दी आने में ,कब से तुम्हारी राह देख रही थी ,देखो आज तुम्हारी पसंद का बादाम का हलवा बनाया है मैंने !!"

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सुलगते रिश्ते-भाग 38

22 जुलाई 2022
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मालविका ने देखा कि अनिमेष के साथ वह लड़की भी है।मालविका सोचने लगी - बडे़ समय बाद तो ताऊ जी मेरी जिम्मेदारी से मुक्त हो पाए हैं ,, मैं दोबारा उनपर बोझ बनने को राय पैलेस न जा सकती हूँ ,,, मैं अनाथ उन पर

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सुलगते रिश्ते-भाग 39

22 जुलाई 2022
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मालविका की आँखें फैली देखकर अनिमेष उसके पास आया और बोला -" क्या आया है जो तुम्हारी आँखें फैल गईं ,, मैं भी देखूँ जरा !!" मालविका ने लिफाफा अपने पीछे करते हुए कहा -"क,,,कुछ नहीं ,, है ,, "पर अनिमेष

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सुलगते रिश्ते-भाग 40

22 जुलाई 2022
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प्रतीक्षा अपना पर्स लेकर कमरे से बाहर निकली तो देखा कि उसकी माँ काॅरिडोर में खडी़ थीं ।  "माँ आप यहाँ ?"प्रतीक्षा ने पूछा । " माँ मैं अपनी सहेली के यहाँ पढ़ने जा रही हूँ ,साथ में पढ़ते हैं तो ज्

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सुलगते रिश्ते-भाग 41

22 जुलाई 2022
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खाना हो गया था और विवाह की रस्में प्रारंभ होनी थीं ।जिज्ञासा को लेकर मालविका व प्रतीक्षा विवाह के मंडप तक लाईं और उसे बैठा दिया गया । जयेष को लेकर उसके साथी आए और उसे मंडप में बैठाया और पंडित जी ने

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सुलगते रिश्ते-भाग 42

22 जुलाई 2022
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जिज्ञासा को बहुत अजीब लगा और वह क्रोध में भरी सोचने लगी कि कहूँ कि आपके घर में ऐसे ही बहू का स्वागत होता है क्या !! फिर सोचने लगी कि नहीं !अभी तो घर में आई हूँ और अभी क्या कहूँ !! "चलो ,तुम्हें कमर

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सुलगते रिश्ते-भाग 43

22 जुलाई 2022
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जयेश अपने पिता के साथ चाय पीकर अंदर आया तो देखा जिज्ञासा क्रोध में भरी हुई बैठी है ।जयेश ,जिज्ञासा के पास बैठते हुए बोला -"जिज्ञासा ,क्या हुआ ?तुम वहाँ से ऐसे क्यों चली आईं ??" "जयेश ये तुम्हारे पा

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सुलगते रिश्ते-भाग 44

30 जुलाई 2022
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जिज्ञासा ने राय पैलेस जाते हुए जयेश को फोन मिलाया ।जयेश अपने आॅफिस में काम कर रहा था ,फोन बजा तो उसने फोन उठाकर कहा -हेलो जिज्ञासा ,इतने समय फोन किया !! जयेश क्या मैं आपके दो मिनट ले सकती हूँ !! जि

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सुलगते रिश्ते-भाग 45

30 जुलाई 2022
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अब जिज्ञासा जयेश के आॅफिस जाने के पहले ही नाश्ते के साथ -साथ जयेश के पापा के लिए खाना भी बनाकर रख देती और जयेश के  घर से निकलने के साथ ही राय पैलेस निकल जाती और जयेश के आने के समय ही वापस घर जाती थी ।

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सुलगते रिश्ते-भाग 46

30 जुलाई 2022
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प्रतीक्षा व राधे के फेरे होने लगे थे और मालविका,जिज्ञासा  व पूजा खडी़ होकर दोनों के ऊपर पुष्प वर्षा कर रही थीं ।फिर दोनों को बैठाया गया और राधे ने चाँदी के सिक्के से प्रतीक्षा की माँग भर दी और विवाह

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सुलगते रिश्ते--भाग 47

30 जुलाई 2022
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राधे प्रतीक्षा के पास आकर बैठा और बोला - " जिस चाँद को देखा बार -बार , वो घूँघट में छुप कर रहा मुझे बेकरार !" और प्रतीक्षा का घूँघट हटा दिया । राधे ने देखा प्रतीक्षा सिर झुकाए हल्की मुस्कान अपने अध

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सुलगते रिश्ते-भाग 48

30 जुलाई 2022
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दोपहर होने को आई थी ।प्रतीक्षा  खाना बनाकर बरामदे में रखकर राधे व पूजा के लिए पाटे डालती हुई बोली -" सुनिए ,आप और पूजा खाना खा लीजिए आकर ।" पूजा अपने कमरे से निकली और राधे अपने कमरे से और दोनों ह

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सुलगते रिश्ते-भाग 49

30 जुलाई 2022
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पार्टी में जहाँ  एक तरफ सुरेंद्र राय अपने मित्रों के साथ थे वहीं दूसरी तरफ लता , सुरेंद्र राय के मित्रों की पत्नियों के साथ बातों में लगी थी ।जहाँ एक तरफ मालविका ,जिज्ञासा ,व सुरेंद्र राय के मित्रों

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सुलगते रिश्ते-भाग 50

30 जुलाई 2022
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जयेश के पापा ने बेड पर बैठते हुए  जिज्ञासा से कहा -"मेरी बाहों में आओ ।" जिज्ञासा ने घृणा भरी नज़रों से उनकी तरफ देखकर कमरे के दरवाजे के पास खडे़ ही खडे़ कहा -"आप..... "आं ,,,, आंं ,,,, तुम्हारे

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सुलगते रिश्ते-भाग 51

8 अगस्त 2022
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मालविका को रह-रहकर जिज्ञासा व प्रतीक्षा की याद आ रही थी पर उसे समझ न आ रहा था कि जिज्ञासा व प्रतीक्षा से फोन करके पूछना उचित होगा या नहीं कि ताऊ जी के जन्मदिवस पर जयेश व राधे ने जो किया उसके बाद

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सुलगते रिश्ते-भाग 52

8 अगस्त 2022
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जिज्ञासा !!! ये ,,, ये तुम्हें क्या हो गया है ???तुम इतने क्रोध में क्यों हो और ऐसे कैसे क्या बोल रही हो !!! सुरेंद्र राय घबरा कर बोले । सब पता चल जाएगा सुरेंद्र राय !!जहाँ बताया है वहाँ तुरंत पहुँचो

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सुलगते रिश्ते-भाग 53

8 अगस्त 2022
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सुरेंद्र राय काँपते अधरों से बोले -"तु,,,तु,,,,तुम्हें,,,,ये सब ,,,कक,,क,,कैसे,,,पता,,,च,,,च,,चला ???" " वो महत्वपूर्ण नहीं है !!मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर दें ,,,क्यों आपने मालविका दीदी के माँ और पापा

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सुलगते रिश्ते-भाग 54

8 अगस्त 2022
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सुरेंद्र राय टूटे ,हारे हुए ,बेबस ,बोझिल कदमों से घर की तरफ जा रहे थे और उनके सामने अतीत खडा़ हो गया था,जब वो अपने घर के बगीचे में मुँह लटकाए खडे़ थे । उनके साथ कोई खेलने वाला न था ।नित्य तो कहते थे ब

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सुलगते रिश्ते-भाग 55

8 अगस्त 2022
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मेरे माँ और पापा की हत्या ता,,,ता,,, ताऊ जी,,,,, ने ,,,,,,करा ,,,,, क,,,रा,,,ई !! ये,,,ये,,, ता,,, ताऊ ,,,जी,,,,ने !!! नहींईईईईं,,,, नहींईईईईं ,,,, मुझे ,,, मुझे राय पैलेस जाना होगा ,,,, ताऊ जी

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सुलगते रिश्ते--भाग 56 अंतिम भाग

8 अगस्त 2022
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सुरेंद्र राय अपनी बदहवासी में ये भूल ही गए थे कि लता घर पर है और वो भगवान के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिडा़ रहे थे -- मेरे पाप की सजा मेरी जिज्ञासा को क्यों दी,,,, क्यों दीईईई ,, हांआंहांहांहांहां !!! लत

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