सुन सखी, मेरा अपने प्रिय पाठकों से मिलने का नया बहाना है। आप सब की प्रेरणा और प्रशंसा दोनों ही मुझे जल्दी जल्दी आप से कुछ कहने और सुनने के लिए ललायित कर रहीं हैं। यदि आपका प्यार यूं ही बरसता रहा तो क़ोई आश्चर्य नही कि बाढ़ आ जाये। वो बाढ़ नहीं जो विध्वंस लाती है। ये वो बाढ़ है जो खुशियों का सैलाब लाती है। बने रहो मेरा दाहिना हाथ ताकि मैं सरपट लिख सकूँ। मैं वैसे तो कोई ऐसी बात नहीं लिखती जिस से किसी को ठेस पहुंचे फिर भी किसी को ऐसा लगे तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। बच्चे युवा और वृद्ध सब की सखी हूँ मैं। मेरी नजर जरा हट कर हैं सबसे, मुझे आम आदमी में बेहतरीन कलाकार, किसी मेहनत कश मजदूर में, साक्षात ईश्वर, और किसी भी शारीरिक रुप से अक्षम मनुष्य में संवेदनशीलता की असीम शक्ति दिखती है। चलो साथ साथ सब आनंद उठाते हैं सदैव आप सब की शुभचिंतक -------;---रश्मि
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